किडनी स्टोन क्यों होता है – kidney stone surgery cost

स्टोन क्यों बनते हैं किडनी स्टोन होना एक कामन बीमारी है कई बार लोगों को या गलतफहमी हो जाती है कि किडनी स्टोन का इलाज करना उतना जरूरी नहीं है यह तो बनते रहते हैं और ज्यादा पानी पीने से निकल भी जाते हैं अक्सर छोटे कस्बे या गांव में लोग झाड़-फूंक जैसी भ्रांतियों में फंस जाते हैं और इस कारण वह अपने आप को एवं भयानक मुसीबत में डाल लेते हैं! किडनी में स्टोन बनने का मुख्य कारण पानी कम पीना माना जाता है जब हम पानी कम पीते है तो यूरिक एसिड को पतला करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल पाता है जिसके कारण हमारा मूत्र अधिक अम्लीय हो जाता है, जिसके कारण हमारा मूत्र बहुत पीला आना शुरू हो जाता है और यह अम्लीय ही किडनी में स्टोन बनने का मुख्य कारण होता है पानी कम पीने के अलावा अपने डाइट में प्रोटीन, नमक और चीनी की मात्रा ज्यादा लेने से किडनी स्टोन होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है ! आज हम किडनी स्टोन क्यों बनते है, किडनी में स्टोन होने के क्या क्या लक्षण है और इसका क्या इलाज है और ये भी जानेंगे की kidney stone surgery cost क्या है !
kidney stone surgery cost
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किडनी में स्टोन होने के लक्षण

  • दर्द होना

किडनी स्टोन का दर्द पीठ से पीछे कमर की तरफ होता है कई बार यह दर्द कमर से लेकर पेशाब की नली तक आ रहा होता है यह दर्द उस वक्त ज्यादा होता है जब किडनी की पथरी पेशाब की नली में आ गई हो या पेशाब की थैली के पास आकर अटक गई हो ऐसी स्थिति में अगर स्टोन नली में ऊपर की तरफ है तब तो यह दर्द पीछे कमर की तरफ आता है और अगर स्टोन नली में पेशाब की थैली के पास जाकर अटक गई है तो यह दर्द नीचे पेशाब की नली के पास आता है किडनी स्टोन में यह दर्द बहुत असहनीय होता है और यह दर्द रह- रह कर आता है

  • पेशाब के रास्ते खून आना

कई पेशेंट में ऐसा भी देखा जाता है कि असहनीय दर्द के साथ-साथ पेशाब करते वक़्त पेशाब के रास्ते ब्लड आने लगता है, या पेशाब में लालपन देखने को मिलता है ऐसा इसलिए होता है जब किडनी स्टोन सरकते हुये नीचे आ रहा होता है तो ऐसे में पेशाब नली का जो रास्ता होता है वह बहुत सकरा और मुलायम होता है जिसके कारण सरकता हुआ स्टोन कई बार नली में खरोच कर देता है जिससे ब्लड का रिसाव होना शुरू हो जाता है !

  • पेशाब बार-बार आता है

डॉक्टर द्वारा दी गई पैन किलर से आराम तो मिल जाता है पर पेशाब बार- बार आने की शंका पेशेंट के मन में बनी रहती है ऐसा तब होता है जब नली से सरकता हुआ स्टोन पेशाब की थैली के करीब पहुंच गया हो ऐसे में पेशाब की थैली में पेशाब हो या ना हो लेकिन बार-बार पेशाब करने की इच्छा बनी रहती है इस तरह के लक्षण में यह समस्या तभी ठीक हो पाती है जब स्टोन सर्जरी द्वारा बाहर निकल गया हो !

  • पेशाब में रुकावट

पेशाब लगा हो और पेशाब करने पर पेशाब ना आ रहा हो तो यह समस्या बहुत ही असहनीय हो जाती है ऐसा तब होता है जब नली के रास्ते स्टोन सरकता हुआ पेशाब की थैली में पहुंच जाता है और पेशाब के बाहर निकलने वाली नली के रास्ते पे जाकर अटक गया हो जिससे पेशाब आने के द्वार पर रुकावट बन जाती है ऐसी कंडीशन में डॉक्टर सबसे पहले पेशेंट को कैथेटर लगाते हैं ताकि पेशेंट के थैली से पेशाब बाहर आ सके उसके उपरांत स्टोन को बाहर निकालने की प्रक्रिया की जाती है !

  • तेज बुखार आना

कई बार देखा गया है कि पेशेंट को तेज बुखार आने लगता है ऐसा तब होता है जब नली में या किडनी में स्टोन के रुकावट के कारण जो रुका हुआ पेशाब है उसमें इंफेक्शन होने लगता है या फिर पश बनने लगता है ऐसे में पेशेंट को ठंड लगने के साथ-साथ तेज बुखार और दर्द होना शुरू हो जाता है!

  • पेशाब में जलन होना

पेशाब में इन्फेक्शन होने के कारण पेशाब में जलन होती है यह जलन जब पेशाब बाहर निकलता है, तो उस वक्त ज्यादा महसूस होता है, यह तेज गर्माहट के साथ जलन और चुभन सा भी महसूस हो सकता है ऐसे पेशेंट पूरी तरह से पेशाब करने से पहले ही पेशाब रोक देते है डॉक्टर ऐसे पेशेंट के इंफेक्शन की जांच के बाद कुछ एंटीबायोटिक देते हैं!

डॉक्टर एग्जामिनेशन कैसे करते है

यह सारे लक्षण अगर पेशेंट को दिखाई दे रहे हैं तो ऐसे में पेशेंट को फ़ौरन किसी अच्छे मूत्र रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए किडनी में या पेशाब की नली में स्टोन है कि नहीं यह जानने के लिए डॉक्टर विभिन्न प्रकार के टेस्ट करते हैं!
  • हिस्ट्री

पेशेंट की हिस्ट्री और हो रही समस्या के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं कि समस्या कहां पर है डॉक्टर आपसे पूछ सकते हैं कि दर्द कहां पर है, कितने दिन से यह दर्द हो रहा है, पेशेंट से खाना खाया जा रहा है कि नहीं ! शरीर में दर्द कहाँ से कहाँ तक जा रहा है !

  • एग्जामिनेशन

पेशेंट की पुरानी मेडिकल फिटनेस या बीमारी के बारे में पूछा जाता है, कि पेशेंट डायबिटिक पेशेंट तो नहीं है पेशेंट को बेड पर लेटा कर उसके दर्द होने की सही लोकेशन का पता किया जाता है डॉक्टर पेशेंट से पुरानी बीमारियां व सर्जरी के बारे में पूछ सकते हैं! सारी हिस्ट्री को लेने के बाद डॉक्टर पेशेंट की ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट और यूएसजी या सीटी स्कैन करने की सलाह देते हैं!

  • ब्लड टेस्ट

ब्लड टेस्ट की जांच इसलिए की जाती है जिससे किडनी फंक्शन और यूरिन कल्चर कैसा है इसके साथ कैल्शियम और इलेक्ट्रोलाइट्स की मात्रा भी चेक किया जाता है इन टेस्ट को करने की सलाह डॉक्टर तभी देते हैं जब पेशेंट की किडनी में स्टोन होने के लक्षण दिखाइए दे रहे हो !

  • यूरिन टेस्ट

पेशाब में इन्फेक्शन तो नहीं ब्लड शुगर की मात्रा ज्यादा तो नहीं है या पेशाब में क्रिस्टल तो नहीं दिख रहा है जिससे स्टोन होने की संभावना का पता किया जाता है!

  • रेडियोलॉजी

इसमें KUB एक्स-रे के माध्यम से स्टोन को देखा जाता है, साथ में डॉक्टर USG (अल्ट्रा साउंड ) कराने की भी सलाह दे सकते है डॉक्टर USG (अल्ट्रा साउंड ) की रिपोर्ट से किडनी, पेशाब नली और पेशाब की थैली की पूरी जानकारी लेते है USG (अल्ट्रा साउंड ) से यह भी पता चलता है कि स्टोन कहां-कहां पर है किडनी, पेशाब नली या पेशाब की थैली में है, उस स्टोन का साइज क्या है साथ में यह भी पता चलता है कि स्टोन कहाँ फंसा हुआ है, किडनी को कितना नुकसान पहुंचा है कहीं उसके कारण किडनी में सूजन तो नहीं है कभी-कभी डॉक्टर पेशेंट को सीटी यूरोग्राफी करने की सलाह देते हैं, यह टेस्ट थोड़ा महंगा होता है, परंतु इस जांच में सारी चीजें सही तौर पर साफ हो जाती है, जैसे किडनी में सूजन कितनी है, स्टोन का साइज क्या है, उसमें कितनी हार्डनेस है और यह कहां-कहां पर है और कितनी मात्रा में है कभी- कभी नली में फॅसा हुआ स्टोन USG (अल्ट्रा साउंड ) से दिखाई नहीं देता है, लेकिन सीटी यूरोग्राफी में स्टोन साफ नजर आता है ! डॉक्टर पेशेंट की सर्जरी किस तकनीक से करेंगे इसका फैसला करने के लिए सीटी यूरोग्राफी रिपोर्ट बहुत ज्यादा मदद करती है !

किडनी स्टोन ट्रीटमेंट के प्रकार

किडनी के पथरी का इलाज करने से पहले डॉक्टर सारी जाँचो के माध्यम से यह पता लगाते हैं कि पथरी की साइज क्या है, उसकी लोकेशन क्या है यह स्टोन किडनी में हो सकती है, पेशाब की नली में हो सकती है, पेशाब की थैली में हो सकती है जांच में डॉक्टर यह भी पता करने की कोशिश करते हैं कि स्टोन कितना हार्ड है डॉक्टर ब्लड और यूरिन टेस्ट के माध्यम से पेशेंट का शुगर लेवेल और यूरिन इन्फेक्शन की जांच भी करते हैं साथ में डॉक्टर पेशेंट का ब्लड प्रेशर भी देखते हैं इन सारी चीजों को देखने और समझने के बाद निर्भर करता है कि पेशेंट का ट्रीटमेंट किस प्रकार किया जाएगा !

  • कंजरवेटिव ट्रीटमेंट

डॉक्टर कंजरवेटिव ट्रीटमेंट का इस्तेमाल तभी करते हैं जब जांच द्वारा यह पता चले कि स्टोन का साइज बहुत ही छोटा है या स्टोन किडनी से निकलकर पेशाब नली में आ गया हो, डॉक्टर को जांच के माध्यम से किडनी में या नली में दिखने वाला स्टोन का साइज 7 एमएम से कम लगता है और पेशेंट को ज्यादा दर्द और सूजन नहीं है, तो डॉक्टर दवाइयों के माध्यम से इस स्टोन को बाहर निकालने की कोशिश करते हैं दवाइयों में जो दवा दी जाती है वह दर्द को कम करने वाली दवा होती है, यह दर्द को कम करने वाली दवा ऐसे साल्ट की होती है जिससे किडनी को नुकसान ना पहुंचे साथ में डॉक्टर पेशेंट को कुछ और दवाइयां देते हैं, यह दवा मूत्र नली को चौड़ा करने का काम करती है जिसके कारण छोटे स्टोन आसानी से बाहर आ जाते हैं डॉक्टर द्वारा इस तरह के ट्रीटमेंट में पेशेंट को अधिक मात्रा में पानी पीने के लिए बोला जाता है लगभग 3 से 4 लीटर पानी पीने से किडनी में पेशाब ठीक तरीके से बनता है, जिससे पेशाब करते वक़्त छोटे स्टोन बाहर निकल आते हैं इस पूरे ट्रीटमेंट को पूरा होने में 4 से 6 हफ्ते लग सकते हैं आमतौर पर देखा गया है कि 10 से 12 दिन के अंदर स्टोन बाहर आ जाता है परंतु स्टोन बाहर आया या नहीं इसके लिए 4 से 6 हफ्ते बाद एक बार फिर USG (अल्ट्रा साउंड ) करके यह सुनिश्चित किया जाता है कि स्टोन पूरी तरह से निकला की नहीं ! छोटे स्टोन होने के कारण कभी-कभी पेशेंट को दर्द नहीं होता है, पर इसका मतलब यह नहीं कि स्टोन पूरी तरह से निकल गया हो, ऐसे में पेशेंट को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है कि डॉक्टर की सलाह से ही सारे कार्य और ट्रीटमेंट ले अगर इसे नजरअंदाज किया गया तो यह स्टोन पेशेंट के किडनी को ख़राब कर सकते हैं ध्यान दें कि अगर 4 से 6 हफ्ते में भी इस ट्रीटमेंट से आराम नहीं मिल रहा है, या दर्द से राहत पाने के लिए बार-बार दवा लेनी पड़ रही है, कुछ खाने पीने पर बार-बार पलटी हो रही है, तो ऐसे में डॉक्टर से तुरंत मिलना ही सही रहता है! डॉक्टर इस ट्रीटमेंट को छोड़कर सर्जरी द्वारा स्टोन को बाहर निकालने का फैसला पेशेंट के हित में लेने के लिए तय करते हैं !

  • शॉक वेव लिथोट्रिप्सी

इस तरह के ट्रीटमेंट में एक्सरे मशीन या सीएम मशीन से फोकस करके स्टोन जिस जगह पर है उस जगह पर किरणों से फोकस करके उन्हें तोड़ा जाता है और यह टूटे स्टोन पेशाब नली के रास्ते बाहर निकल जाते हैं लेकिन इस तकनीक से पथरी निकालने से पहले कुछ जांचे करनी जरूरी रहती हैं

  1. पथरी हार्ड है या नरम इसपर फोकस करने पर यह किरणों से टूटेगी या नहीं , इसके लिए डॉक्टर सिटी स्कैन कराने की सलाह देते हैं!
  2. पेशेंट का किडनी फंक्शन नॉर्मल होना जरूरी है क्योंकि किडनी फंक्शन अगर नॉर्मल नहीं रहेगा तो टूटे हुए स्टोन को बाहर निकालने में समस्या हो सकती है जो कि पेशेंट और किडनी के लिए बिल्कुल भी सही नहीं रहेगा !
  3. स्टोन जिस तरफ है उस तरफ की किडनी काम कर रही है कि नहीं यह जानना जरूरी है कई बार पेशेंट की किडनी फंक्शन टेस्ट नॉर्मल आता है, उसका कारण यह है, कि पेशेंट के दो किडनी होती है, इसलिए आईवीपी टेस्ट के माध्यम से डॉक्टर यह जानना चाहते हैं कि जिस तरफ स्टोन है वह किडनी सही ढंग से काम कर रही है कि नहीं !
  4. पेशेंट के यूरिन में इंफेक्शन नहीं होना चाहिए क्योंकि स्टोन टूटने पर इसमें से निकलने वाले बैक्टीरिया यूरिन में इंफेक्शन पैदा कर सकते हैं, ऐसे में अगर यूरिन में पहले से इंफेक्शन रहेगा तो यह ज्यादा घातक हो सकता है ! इस जांच को करके यूरिन इन्फेक्शन अगर है तो पहले उसे ठीक किया जाता है उसके बाद इस प्रोसीजर को करते हैं !
  5. इस तकनीक के माध्यम से तीन से चार सेंशन के द्वारा इस पथरी को पेशाब की नली के द्वारा बाहर निकाला जाता है तीन से चार सेंशन का जो गैप है वह 20 से 25 दिन का होता है इस तकनीक के माध्यम से ये ट्रिटमेंट काफी लंबा चलता है जिसके कारण डॉक्टर इस तकनीक के द्वारा ज्यादा सर्जरी नहीं करते हैं परंतु कई बार देखा जाता है कि पेशेंट की कंडीशन non-surgical है तो ऐसी स्थिति में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है इस तकनीक का एक नुकसान भी है अगर स्टोन पूरी तरह से बाहर नहीं निकलता है तो उसके कुछ कण अगर अंदर रह जाते हैं तो दोबारा स्टोन बनने की संभावना हो सकती है!
  • ओपन सर्जरी

आजकल इस सर्जरी का इस्तेमाल बहुत ही कम हो रहा है क्योंकि अब हॉस्पिटल में बहुत ही एडवांस तकनीक आ चुकी है ! इस तरह की तकनीक 20 से 25 साल पहले ज्यादा किया जाता था इसमें किडनी , पेशाब नली या पेशाब थैली तक चीरा लगाकर पहुंचा जाता था और स्टोन बाहर निकाल लिया जाता था आज के समय में इस तरह की सर्जरी ना के बराबर की जा रही है!

  • Endourology प्रोसीजर

इस तकनीक में पेशेंट को ज्यादा तकलीफ नहीं होती है यह पूरा प्रोसीजर दूरबीन और लेजर के माध्यम से किया जाता है कमर में चीरा लगाकर या पेशाब के रास्ते गुर्दे या नली तक पहुंचकर पथरी को तोड़कर उसे बाहर निकाल दिया जाता है इस प्रोसीजर को करने के बाद पेशेंट को 24 घंटे में ही हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है इस सर्जरी में पेशेंट को दर्द बहुत कम होता है और साथ में पेशेंट एक हफ्ते बाद से ही अपने दिनचर्या के कामकाज करना शुरू कर देता है डॉक्टर द्वारा की गई सर्जरी जिसमे लेजर और दूरबीन का इस्तेमाल होता है इसके भी कई अलग-अलग तकनीक है और वह तकनीक पेशेंट की जांच पर निर्भर करती है कि कौन सी तकनीक इस्तेमाल की जाए !

कौन-कौन सी तकनीक है

  • सिस्टोस्कोपी

पेशेंट की किडनी से निकलकर पेशाब नली के रास्ते से अगर कोई स्टोन पेशाब की थैली में आकर अटक गया है, तो उस स्टोन को सिस्टोस्कोपी के माध्यम से बाहर निकाला जाता है !

  • यूरेटेरोस्कोपी (URS )

पेशेंट की किडनी से निकलकर स्टोन पेशाब की नली में फस गया है तो पेशाब के रास्ते पतला सा इंस्ट्रूमेंट लेकरअंदर जाते हैं और लेजर से पथरी को तोड़कर बाहर निकालते हैं !

  • फ्लेक्सिबल यूरेटेरोस्कोपी (RIRS)

इस तकनीक में पेशाब के रास्ते दूरबीन और बहुत ही सुझ्म नली के माध्यम से पेशाब के रास्ते किडनी तक पहुंचकर स्टोन को तोड़ा जाता है, और उसके छोटे-छोटे टुकड़े करके बाहर निकाल लिया जाता है! यह तकनीक मुलायम और छोटे स्टोन को तोड़कर बाहर निकालने में ज्यादा कारगर है !

  • पीसीएनएल

पीसीएनएल तकनीक में शरीर में कमर के पीछे एक से दो सेंटीमीटर का छेद का दूरबीन के द्वारा सीधे किडनी तक पहुंचते हैं, और स्टोन को तोड़कर निकाल लेते हैं, डॉक्टर ज्यादातर केस में इसी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि इसमें स्टोन पूरी तरह से बाहर निकाल लिया जाता है ! किडनी में स्टोन छूटने की संभावना बहुत कम रह जाती है !

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  • कंजरवेटिव ट्रीटमेंट का कोई फिक्स पैकेज नहीं होता है डॉक्टर अगर आपको हॉस्पिटल में एडमिट करते है तो हॉस्पिटल में जो भी वार्ड केटेगरी या प्राइवेट रूम व डीलक्स रूम आप लेते हो उसके अकॉर्डिंग आपका बेड चार्ज लगता है इसके अलावा प्रतिदिन डॉक्टर विजिट चार्ज, ब्लड टेस्ट, ट्रीटमेंट से जुड़ी हुई सारी इन्वेस्टीगेशन और ट्रीटमेंट के दौरान चलने वाली मेडिसिन सभी का चार्ज एक्स्ट्रा होता है !
  • सिस्टोस्कोपी एक छोटा प्रोसीजर होता है जिसमे 7000 रुपये से 12000 रुपये तक हॉस्पिटल आपसे चार्ज कर सकता है !
  • यूरेटेरोस्कोपी जिसे URS भी कहा जाता है इस सर्जरी का पैकेज 40000 रुपये से लेकर 75000 रुपये तक हो सकता है !
  • फ्लेक्सिबल यूरेटेरोस्कोपी (RIRS) जिसका फुल फॉर्म Retrograde Intrarenal Surgery होता है इस सर्जरी की अगर कॉस्ट की बात की जाये तो इसका पैकेज 80000 रुपये से लेकर 120000 रुपये तक हो सकता है !
  • पीसीएनएल का फुल फॉर्म Percutaneous Nephrolithotomy सर्जरी होता है, आज के समय में डॉक्टर सबसे ज्यादा यही सर्जरी करते है जिसकी सर्जरी कॉस्ट 45000 रुपये से लेकर 83000 रुपये तक हो सकती है !

 

इन सारी तकनीकों में से कौन सी तकनीक का इस्तेमाल करना है यह डॉक्टर पेशेंट की सारी जांच और पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री लेने के बाद तय करते हैं !

FAQ

1 Question किडनी में स्टोन होने का मुख्य कारण क्या है?

जब हम पानी कम पीते है तो यूरिक एसिड को पतला करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल पाता है जिसके कारण हमारा मूत्र अधिक अम्लीय हो जाता है, जिसके कारण हमारा मूत्र बहुत पीला आना शुरू हो जाता है और यह अम्लीय ही किडनी में स्टोन बनने का मुख्य कारण होता है पानी कम पिने के अलावा अपने डाइट में प्रोटीन, नमक और चीनी की मात्रा ज्यादा लेने से किडनी स्टोन होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है !

2 Question क्या किडनी स्टोन से जान को खतरा हो सकता है?

छोटे स्टोन होने के कारण कभी-कभी पेशेंट को दर्द नहीं होता है, पर इसका मतलब यह नहीं कि स्टोन पूरी तरह से निकल गया हो, ऐसे में पेशेंट को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है कि डॉक्टर की सलाह से ही सारे कार्य और ट्रीटमेंट ले अगर इसे नजरअंदाज किया गया तो यह स्टोन पेशेंट के किडनी को ख़राब कर सकते हैं, जो पेशेंट के लिए जानलेवा हो सकता है !

3 Question किडनी स्टोन हटाने की सबसे अच्छी प्रक्रिया क्या है?

पीसीएनएल तकनीक सबसे अच्छी मानी जाती है, डॉक्टर ज्यादातर केस में इसी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि इसमें स्टोन पूरी तरह से बाहर निकाल लिया जाता है ! किडनी में स्टोन छूटने की संभावना बहुत कम रह जाती है !

4 Question क्या गर्म चाय से किडनी में पथरी होती है?

किडनी के स्टोन बनने में चाय कुछ हद तक सहायक माना जाता है, वैसे तो हर किसी को सुबह सुबह चाय पिने की आदत होती है लेकिन अगर किसी को किडनी स्टोन बार बार बनने की हिस्ट्री हो तो ऐसे में चाय पिने से उसे परहेज करना चाहिए क्योंकि इसमें ऑक्सालेट बहुत अधिक पाया जाता है और इसी ऑक्सालिक एसिड से किडनी में स्टोन बनने के संभावना बन जाती है !

5 Question बिना सर्जरी के किडनी स्टोन कैसे निकाले जाते हैं?

जब जांच द्वारा यह पता चले कि स्टोन का साइज बहुत ही छोटा है या स्टोन किडनी से निकलकर पेशाब नली में आ गया हो, डॉक्टर को जांच के माध्यम से किडनी में या नली में दिखने वाला स्टोन का साइज 7 एमएम से कम लगता है और पेशेंट को ज्यादा दर्द और सूजन नहीं है, तो डॉक्टर दवाइयों के माध्यम से इस स्टोन को बाहर निकालने की कोशिश करते हैं! इसके अलावा शॉक वेव लिथोट्रिप्सी ट्रीटमेंट में एक्सरे मशीन या सीएम मशीन से फोकस करके स्टोन जिस जगह पर है उस जगह पर किरणों से फोकस करके उन्हें तोड़ा जाता है और यह टूटे स्टोन पेशाब नली के रास्ते बाहर निकल जाते हैं लेकिन इस तकनीक से पथरी निकालने से पहले कुछ जांचे करनी जरूरी रहती हैं!

आशा करता हूं हमारे द्वारा बताई हुई यह जानकारी आपके काम आएगी और आपको सारी जानकारी अच्छी लगी होगी अगर आपको यह सारी जानकारी अच्छी लगी हो तो आप औरों को शेयर करें और कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं कि आपको यह पूरी जानकारी जानने के बाद कैसा लगा !

 

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