जब तनाव से जुड़ी हुई बातें भावनाओं के माध्यम से व्यक्त की जाती है तो अक्सर रोना आ जाता है !

जब इंसान छोटी बात पे भी रो दे तो ऐसे में लोग आपको सेंसिटिव इंसान या ड्रामा क्वीन कहकर भी पुकारते होंगे।

भावनाओं को सोच समझकर कर व्यक्त नहीं कर सकते जब कोई अपना आपकी बात सुनता है तो रोना आ जाता है !

बुरी यादें और अच्छी यादें भी कभी -कभी हमें रूला देती है याद रखें रोना किसी भी सूरत में गलत नहीं है।

तनाव व्यक्ति के मन में इमोशनल सेंसिटिविटी बढ़ाते है। इससे तनाव के कारण बार-बार व्यक्ति रोने लगता है।

ट्रिगर्स को पहचाने अपनी भावनाओं को समझें और स्वीकार करें इससे आप अपनी भावनाओं पे काबू कर पाओगे!

तनाव में जब आंसू छलकने लगे तो डीप ब्रीदिंग का सहारा ले गहरी सांस लें और उसे मुंह से बाहर निकाले

अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें और अपने विचारों को इवेल्यूएट करें इससे मन में उठने वाले विचार शांत होने लगते हैं!

पॉजिटिव थॉटस को बढ़ावा दे अपनी एनर्जी को बढ़ाये और किसी व्यक्ति की कही बात को खुद पर हावी न होने दें।

किसी चीज़ या व्यक्ति से परेशानी है, तो उसे न कहने की हिम्मत रखें व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में सीमाएं बना कर रखें!