हर्निया क्या है ये कितने प्रकार के होते हैं, हिंदी में -hernia surgery cost

हर्निया क्या है ?

आज हम समझेंगे हर्निया क्या होता है, यह क्यों होता है, और इसका इलाज क्या है ? तो सबसे पहले समझ लेते हैं, हर्निया होता क्या है, हमारा जो पेट होता है, उसके अंदर दो तरह की आते होती हैं, जिसे हम स्मॉल intestine और लार्ज intestine बोलते हैं यह जो आंते होती हैं यह हमारे पेट की जो ऊपरी चमड़ी या खाल होती है उससे ढकी हुई होती है जिसे एब्डोमिनल वाल भी कहते हैं जब यह दिवार  किसी एक जगह से कमजोर हो जाती है, तो हमारी आते उस कमजोर हुई जगह से बाहर आने लग जाती हैं ! मांस पेशियों को कमजोर पाकर यह अपनी जगह से ज्यादा फैलने लगती है! और पेट की चमड़ी तक पहुंच जाती हैं, और इसी कारण से आप की चमड़ी के नीचे फुला- फुला महसूस होता है! जिसे हम हर्निया बोलते हैं! हमारी एब्डोमिनल वाल कई कारणों से किसी भी जगह से कमजोर पड़ सकती है, इसलिए डॉक्टर हमें कमजोर पड़ गयी जगह के हिसाब से diagnose कर सकते है, ये पुरे पेट पे कही भी हो सकता है, जिसके कारण इसे अलग अलग नाम देके diagnose किया जाता है जिसके कारण hernia surgery cost अलग अलग होती है!
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हर्निया कितने प्रकार के होते हैं

एपिग्रेस्टिक हर्निया

हमारी नाभि से ऊपर बीचों बीच के हिस्से में अगर चमड़ी में फुलावट है, तो इसे एपिग्रेस्टिक हर्निया कहते हैं! यह आपके चेस्ट से नीचे वाले भाग के बीचो-बीच होता है!

इंसीजनल हर्निया

अगर किसी व्यक्ति का पहले ऑपरेशन हो चुका है, जो कि चीरे को लगाने के बाद किया गया हो तो अक्सर कई केस में पाया जाता है, कि उस पुराने चीरे में अंदर की तरफ इंफेक्शन हो जाता है या अंदर लगे टाँके खुल जाते हैं, जिसके कारण अंदर की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं! जिसकी वजह से एब्डोमिनल के अंदर का भाग बाहर आने लगता है ! यह फुलावट नाभि से बिल्कुल ऊपर तथा पहले हुई सर्जरी के चीरे के बिल्कुल ऊपर दिखाई देगी इसे ही इंसीजनल हर्निया कहा जाता ह! यह हर्निया फीमेल पेशेंट में ज्यादा देखने को मिलता है

अम्बिलिकल हर्निया

अगर किसी व्यक्ति के नाभि पर फुलावट आ रही है, तो उसे अम्बिलिकल हर्निया कहते हैं, इसमें होता यह है कि हमारी नाभि के पास वाले हिस्से की मांसपेशियां अंदर से कमजोर पड़ जाती हैं, जिसकी वजह से छोटी आंत अपनी जगह बनाते हुए नाभि के पास वाली चमड़ी तक पहुंच जाती है यह फुलावट नाभि को साथ लेकर उभरी हुई दिखाई देती है!

इनगुइनल हर्निया

आपके खड़े होने पर या भारी वजन उठाने पर जब आप के पेट पर प्रेशर आता है, तो उसके कारण हमारी आंतों का जो हिस्सा है वह स्क्रोटम वाले हिस्से तक पहुंच जाता है इस तरह के हर्निया में पेशेंट लेट जाएगा तो उसकी आंते अंदर चली जाती हैं, और फुलावट कम हो जाती है, लेकिन जब पेशेंट खड़ा होगा या कोई वजन उठाएगा तो उसे दुबारा फुलावट महसूस होने लगती है, यह हर्निया ज्यादातर पुरुषों में होता है ,जिसमें उसके जननांग के पास फुलावट महसूस होती है !

हीटूस हर्निया  

छाती से नीचे वाले हिस्से जिसे हम डायग्राम बोलते हैं उसके नीचे एक खाने की थैली होती है, जिसमें हमारा खाना जाता है, जिसे स्टमक बोला जाता है अगर पेशेंट का स्टमक डायग्राम से ऊपर जाने लग जाता है, तो छाती की तरफ सूजन आने लग जाती है जिसे हीटूस हर्निया कहते हैं! ऐसे केस में पेशेंट को एसिडिटी के साथ-साथ सीने में जलन महसूस होता है !

हर्निया होने के कारण क्या है

  • जब कोई व्यक्ति अपनी क्षमता से ज्यादा वजन उठाता है या कोई मेहनत वाला काम अपनी क्षमता से ज्यादा करता है, तो ऐसी परिस्थिति में उसे हर्निया हो सकता है
  • गर्भवती महिला में मसल में ज्यादा खिंचाव होने के कारण मांस पेशियों की दीवार कमजोर पड़ जाती है,!
  • मोटापा https://saumyshree.com/weight-loss कारण है जिसमें मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं!
  • अगर कब्ज की समस्या बनी रहती है, तो मल को रिलीज करने के लिए अक्सर व्यक्ति ज्यादा जोर लगाता है, जिसका असर उसकी पेट के मसल पर पड़ता है !
  • खिलाड़ियों को भी हर्निया कई बार हद से ज्यादा एक्टिविटी करने से या ज्यादा एक्सरसाइज करने से हो सकता है !
  • किसी व्यक्ति को अगर लंबे समय से खासी रहती है, तो उसे भी हर्निया होने की संभावना बनी रहती है!
  • बच्चे का समय से पहले जन्म हो जाना तथा जन्म के समय बच्चे का वजन सामान्य ना होना भी कारण बन सकता है हर्निया होने का !

 

हर्निया को कैसे पहचाने

  • पेट के जिस भाग में मांसपेशियां कमजोर हो गई है, वहां पर पेशेंट को सूजन या फुलावट महसूस होने लगती है, यह फुलावट अक्सर लोगों को एक आम बात लगती है, क्योंकि उन्हें कोई दर्द नहीं होता अक्सर इस तरह के केस में जल्दी दर्द नहीं होता है, दर्द पेशेंट को तभी होता है, जब पेशेंट की आंत उस मांस पेशियों में ज्यादा दबाव के कारण फंस गई हो और वह वापस अपनी जगह पर नहीं जा पा रही है, तो उस परिस्थिति में ही पेशेंट को भयानक दर्द महसूस होता है!
  • पेशेंट की चमड़ी पर एक फुलावट सा महसूस होगा लेकिन पेशेंट जब लेटता है,  तो फुलावट कम हो जाती है!
  • किसी एक्टिविटी को करने में या झुकने या बैठने में परेशानी महसूस होने लगती है!
  • व्यक्ति के पेट में हमेशा भारीपन महसूस होगा उसकी गैस पास होने में समस्या आती है!
  • अगर व्यक्ति के स्क्रोटम के पास फुलावट ज्यादा है तो उसे झुकने में तथा अन्य किसी काम को करने में बहुत परेशानी होगी स्क्रोटम के पास आंत कई बार फंस जाने के कारण पेशेंट को बहुत दर्द महसूस होता है, साथ-साथ उसका जी भी मचलता है!

 

हर्निया का क्या है इलाज

सबसे पहले यह समझ ले की हर्निया किसी भी तरह की दवाई से ठीक नहीं हो सकता है, इसका सिर्फ एकमात्र इलाज है वह है ऑपरेशन ! ऑपरेशन के द्वारा ही इसका इलाज संभव है, इस सर्जरी में पेशेंट के फूले हुए भाग की चमड़ी को काटा जाता है, मांसपेशियों को हटाकर जो भाग अंदर से बाहर की तरफ आ रहा होता है, उसे दोबारा अंदर की तरफ कर दिया जाता है और उसके बाद मांसपेशियों के खुले भाग को बंद कर उस पर एक (जाली ) Mesh लगा दिया जाता है, ताकि कमजोर पड़ी मांसपेशियों को ताकत मिल सके सारी चीजों को सही से पैक करने के साथ -साथ उसे सील दिया जाता है इसके बाद ऊपर वाली चमड़ी को भी सील दिया जाता है सर्जरी में आपके शरीर से किसी भी पार्ट को काटकर बाहर नहीं निकाला जाता है!

हर्निया का इलाज कराना क्यों जरूरी है

हर्निया जब बाहर आया होता है लेकिन लेटने पर यह अंदर चला जाता है तो यहां तक तो पेशेंट को दर्द या ज्यादा कोई तकलीफ महसूस नहीं होती है, परंतु अगर पेशेंट लंबे समय तक ऐसी ही हालत में इसे छोड़ देता है तो पेशेंट को खांसी आने पर, कब्ज के दौरान प्रेशर देने पर , पेशाब ज्यादा देर तक रोकने से हर्निया बढ़ता जाता है और इस कारण से लेटने पर भी हर्निया अंदर जाना बंद कर देता है, ऐसा इसलिए होता है, जब आंत की परत और चमड़ी की परत ज्यादा देर तक एक ही जगह पर रहती है, तो वह आपस में चमकने लगती है, जिससे वह अंदर जाना बंद कर देती है जिसे ऑब्स्ट्रक्टेड हर्निया भी बोला जाता है, और पेशेंट इस कंडीशन में भी इलाज नहीं कराता तो आंत तक पहुंचने वाला ब्लड आंत तक सही ढंग से पहुंच नहीं पाता जिसके कारण आंत में सड़न पैदा होने लगती है जो हर्निया एक नॉर्मल सर्जरी से ठीक हो सकती थी, अब वह सर्जरी एक एमरजैंसी सर्जरी में बदल सकती है इसलिए हर्निया की सर्जरी को जल्द से जल्द कराना ही बेहतर रहता है !

सर्जरी के बाद ध्यान देने वाली बातें

  • अगर पेशेंट की सर्जरी लेप्रोस्कोपिक हुई है तो ऐसी सर्जरी में पेशेंट के पेट में दो या तीन छेद करके की जाती है यह छेद बहुत ही छोटे होते हैं डॉक्टर इन छेद पर सूचर करने के बाद इन पर वाटर प्रूफ ड्रेसिंग करते हैं जिससे आप दूसरे दिन से ही नहाना, चलना और अपने नॉर्मल काम करना शुरू कर देते हैं यह नॉर्मल एक्टिविटी करना बहुत जरूरी है, ऐसा करने से पेशेंट को पैन मे रिलीफ जल्दी मिलने लगता है !
  • ऑपरेशन के बाद जब पेशेंट बेड से उठते हैं तो पेट के बल ना उठे कोशिश करें करवट बदल कर उठे ताकि पेट पर ज्यादा जोर ना पड़े !
  • ऐसी कोई भी एक्टिविटी 3 महीने तक नहीं करनी है, जिसमें पेट पर जोर पड़े जैसे वजन उठाना वेटलिफ्टिंग या योगा!
  • पेशेंट को अगर खांसी है, या कॉन्स्टिट्यूशन है, तो इसका इलाज कराना सही रहता है क्योंकि जब पेशेंट खाँसते है या पेट साफ करने के लिए जाते है तो ऐसे में पेशेंट को पेट पर बहुत ज्यादा प्रेशर देना पड़ता है जिससे दोबारा हर्निया होने के चांस बढ़ जाते हैं!
  • किक मारने वाली बाइक में किक भी ना लगाएं ऐसा करने पर आपके पेट पर बहुत ज्यादा जोर पड़ता है!
  • प्रोटीन वाली डाइट ही लेनी चाहिए कोशिश करें जिसमें फाइबर की मात्रा ज्यादा हो ऐसी चीजें खाएं ताकि आपको पेट साफ करने में ज्यादा जोर लगाने की जरूरत ना पड़े!
  • सर्जरी होने के बाद डॉक्टर की सलाह का पूरा पालन करें https://www.apollo247.com/specialties  और फ़ॉलोअप के लिए डॉक्टर से मिलते रहे, ताकि आगे आपको कोई परेशानी ना हो !
  • सर्जरी के बाद अगर आपको कोई दर्द है, या किसी भी तरह की कोई परेशानी महसूस हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें !

 

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hernia surgery cost की अगर बात की जाये तो यह सर्जरी 2 तरीके से की जाती है, अगर सर्जरी ओपन की जा रही है, तो इसमें लगने वाली जाली (mesh ) के साथ लगभग 45000 रूपये से लेकर 100000 रुपये तक hernia surgery cost  हो सकती है, और अगर सर्जरी लैप्रोस्कोपी के द्वारा हो रही है तो इसमें 50000 से 70000 रुपये और ज्यादा लग सकते है ! सर्जरी का ये पूरा पैकेज आपके द्वारा लिए गए वार्ड बेड या पर निर्भर करेगा !

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