क्या समाज के प्रति लोगो का प्यार कम हो गया है ? – samaj ki paribhasha

पिछले कई सालों से यह प्रथा चली आ रही है कि समाज में रहने वाले व्यक्ति में से कोई एक व्यक्ति कुछ नया करने की सोचता है तो उसे समाज मूर्ख या पागल कहने लगता है वह व्यक्ति अगर कुछ अच्छा करना चाहता भी है तो उसे अच्छा करने पर प्रोत्साहन देने वाले और समझाने वाले एक दो और उसे रोकने और डराने वाले हजारों मिल जाएंगे ! यह सत्य है, कि आज तक भी जिस व्यक्ति को लोगो ने मुर्ख या पागल कहा गया है वही व्यक्ति इस दुनिया में नाम कमाया है वही अपनी मंजिल प्राप्त किया है समाज यह कहता है कि समय के साथ-साथ अपने आप को बदलना चाहिए पर मेरा यह मानना है कि समय को बदलने के लिए अपने आप को बदलने के साथ -साथ इस समाज को भी अपने सोच और सामाजिक तरीके के काम काज में भी बदलाव लाना चाहिए! हम चाहते तो बहुत कुछ है की समाज में ये सही नहीं है इसे सही करने के लिए पर पहल कोई नहीं करना चाहिए और इसलिए मुझे कभी कभी खुद से ये सवाल करना पड़ता है की क्या समाज के प्रति लोगो का प्यार कम हो गया है समाज में रहने वाला हर व्यक्ति एक दूसरे में कमी निकालने की कोशिश करता है परंतु वह अपनी कमी नहीं देखता अगर व्यक्ति पूर्ण रूप से सज्जन है तो उस व्यक्ति को तो समझाया जा सकता है परंतु ऐसा आज तक ना हुआ है ना होगा क्योंकि हर व्यक्ति के अंदर कोई ना कोई कमी जरूर रहती है यह पृथ्वी की रचना कह लीजिए या प्राकृतिक देन ! ऐसे में बहुत जरुरी हो जाता है की samaj ki paribhasha क्या है ?
samaj ki paribhasha
samaj ki paribhasha
अगर आप विश्व के इतिहास को पढ़ते हैं तो आज तक जिस अतीत की समाधि पर बना एक सुंदर भवन जिसके द्वारा हम आसमान की ऊंचाई को पीढ़ी दर पीढ़ी प्राप्त कर रहे हैं आज विज्ञान की कोई भी सुविधाएं हम ध्यान से देखते हैं तो हमें आश्चर्य तो होता ही है साथ में खुशी भी मिलती है लेकिन ऐसे में हम उन लोगों को नहीं भूल सकते जो इस कार्य को करने के लिए उनको पागल और उन पर व्यंग्य कसा गया एक बार एक वैज्ञानिक ने कहा था कि मैं 1 दिन सूर्य की किरणों को कैद कर लूंगा कुछ लोगों ने उसे पागल कहा कुछ ने सनकी कहा सब लोग उसका मजाक उड़ाने लगे लेकिन उस वैज्ञानिक के हजारों असफलताओं में एक सफलता की किरण जाग उठी उसने एक ऐसे लैंप का निर्माण किया जो अंधेरे में रोशनी प्रदान करती है आज पूरा विश्व अंधेरे में उसी लैंप के कारण जगमगा रहा है अब कोई उसे पागल नहीं कहता अब तो उसे कोई सनकी नहीं कहता, कुछ ऐसे ही व्यक्ति जो समाज के प्रति प्रेम रखते है उनके बलिदान और योगदान के बलबूते ही ये समाज चल पा रहा है, ऐसे लोग बहुत कम होते है जो अपने और अपने परिवार के अलावा बाहरी दुनिया और उस दुनिया में रह रहे लोगो के बारे में सोचते है ! हमे ऐसे लोगो का सम्मान करने के साथ-साथ हमेशा ऐसे लोगो जैसा बनने की कोशिश करनी चाहिए ! और यही samaj ki paribhasha है !
हम लोग स्वयं ही उन लोगो पे ध्यान देते है जो लोग दूसरों के पीछे भागते हैं दूसरों में कमी निकालने की कोशिश करते हैं जिसे अच्छा काम करना रहता है वह कर के चला जाता है और समाज बाद में उन्हीं की बढ़ाई करने में लग जाता है हम यह कभी नहीं सोचते कि हम खुद कुछ अच्छा कार्य करें फिर ही किसी का मजाक उड़ाए समाज में रहने वाला हर प्राणी हर कार्य में कमी निकालने का प्रयास करते हैं पर हम यह नहीं समझते कि कमी निकाल कर हम अपना ही नुकसान कर रहे हैं क्योंकि अगला व्यक्ति तो अपनी कमी में सुधार कर लेगा परंतु हम वही के वही रह जायँगे !
यह सब देख कर लगता है कि समाज के प्रति प्रेम किसी व्यक्ति के अंदर रही नहीं गया परंतु ऐसा नहीं है वह कहते हैं ना जहां अंधेरा है, वहां उजाला है, जहां झूठ है, वहां सच है, जहां बुरा है, वहां सही भी है, समाज में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो समाज से प्रेम करते हैं समाज में गलत सही पर ध्यान देते रहते हैं वह एक दूसरे से प्रेम करते हैं वह अपनी प्रेम की बोली से दोस्तों का मन तो जीतते ही है, साथ में वह अपने दुश्मन के भी प्रेमी हो जाते हैं, और वही व्यक्ति ज्यादा सफल होते हैं हमारे लिए अगर समाज में रहने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है तो वह है प्रेम की बोली समाज में प्रेम की बोली बोलने वालों की सभी जगह मांग रहती है ऐसे आदमी सभी को अच्छे लगते हैं लेकिन कहते हैं ना कि किसी आदमी को इतना दुख अपनी परेशानी से नहीं रहता जितना दुख उसे दूसरे के सुख से मिलता है पर कुछ टाँग खींचने वाले आदमी उस सज्जन व्यक्ति को गलत रास्ते पर ले जाने की कोशिश करते हैं परंतु जिसका विचार ही सज्जन हो वह कभी गलत रास्ते पर नहीं जाता जो लोग अपने विचारों को ठीक ढंग से लोगों के सामने पेश करते हैं वह हमेशा समाज में उच्च स्तर की गिनती में गिने जाते हैं प्रेम की बोली बोलने वाले सभी के मित्र होते हैं वह सभी के प्रेमी होते हैं उनके अपने कर्तव्य अपने वसूल और अपना एक धर्म होता है वह समाज के प्रति सच्ची निष्ठा से प्रेम करते हैं वे यह मानते हैं कि अगर समाज से सच्चा प्रेम करना है तो देश की कानून और उनके द्वारा बनाए गए मौलिक कर्तव्य को पूर्ण निष्ठा से मानना व पालन करना होगा, और हमारे समाज में जब तक ऐसे लोग रहेंगे तब-तक एक सभ्य और बहतर समाज का निर्माण होता रहेगा !
By Vivek Singh
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