असली घर – hindi story book

असली घर – hindi story book

एक राजा जिसके पास कई महल थे वह एक महान संत के पास जाया करता था और उनका सत्संग सुना करता था ! कई महल होने के बाद भी वह इससे संतुष्ट नहीं था ! उसकी कामना थी की वह एक ऐसा महल की निर्माण करवाए जिसमे सांसारिक जीवन की सारी सुख सुविधा उपलब्ध हो तथा उस महल में वो हर सामग्री हो जिससे वह बेहतर सुख भोग सके ! अपने मन की इस मनोकामना पूरी करने के लिए उसने राज्य के सबसे अच्छे से अच्छे कारीगर बुलवाये और एक ऐसा असली घर ( महल) बनाने का निर्देश दिया जिसमें वह सारी सुख सुविधा का भोग सके !

असली घर
असली घर

 

कारीगर ने दिन रात मेहनत करके एक बहुत ही सूंदर महल का निर्माण किया जिसमें हर तरह की सुविधा उपलब्ध थी ! अब राजा उसी महल में रहने लगा और वहाँ की हर सामग्री का इतेमाल करके सुख भोगने लगा !

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अब राजा की मनोकामना थी की वह अपने संत को भी अपने उस महल में एक बार लेकर आये ! अपनी यह इच्छा उसने संत जी को बताया की संत जी आप एक बार मेरे महल में चलो परन्तु संत जी उसे टालते रहे ! पर राजा ने संत जी को अपने महल में लाने की जिद पकड़ ली थी ! इसलिए संत को महल में आना ही पड़ा !

राजा इस बात से बहुत ही प्रसन्न हुआ की संत जी मेरे महल में आ रहे है ! संत के महल के भीतर आते ही राजा संत को पुरे महल घूमने लगा और हर जगह के बारे में बताने लगा की यह मेरे सोने का कछ है यह भोजन करने की जगह है और यहाँ स्थान मेरे सभा लेने की है ! राजा को उम्मीद थी की संत जी कुछ बोलेंगे पर उन्होंने एक शब्द नहीं कहा और मौन रहे ! संत जी के मौन होने का कारण यह था की अगर वह महल की सुविधा की प्रसंसा करते तो उन्हें हिंसा का पाप लगता , क्योंकि एक मकान बनवाते वक़्त बहुत हिंसा होती है , जिसमें कई जीव के रहने का स्थान टूट जाता है पेड़ पौधे काट दिए जाते है जिससे सांप , चूहे और गिलहरी के रहने और उनके खेलने -घूमने की जगह खत्म हो जाती है ! क्योकि जितनी जगह पर मकान बना है ये जीव -जन्तु वहाँ नहीं जा सकते है ! महल बनने से पहले इस जगह पर कई लोग रह सकते थे परन्तु अब यहाँ सिर्फ एक लोग रह सकते है !

संत जी को मौन देख राजा को लगा की लगता है की संत जी को महल अच्छा नहीं लगा ! और हैरानी भरे शब्दो में संत जी से पूछा ? संत जी महल में कोई कमी है क्या ? संत जी राजा की तरफ देखते हुए बोले राजन इस महल में बहुत बड़ी कमी है !

राजा यह सुन बहुत परेशान हुआ की राज्य के सबसे बेहतर कारीगर से इस महल को बनवाया है और जो थोड़ी बहुत कमी थी उसे भी ठीक करवा दिया है फिर भी महाराज जी बोल रहे है की महल में बहुत बड़ी कमी है ! राजा बिना समय गवाए संत जी से पूछता है की महाराज आप तुरंत बताये की महल में क्या कमी रह गयी है हम उसे तुरंत ठीक करवा देंगे !

संत ने बोला की राजन ये महल से बाहर जाने वाला ये दरवाजा तुम्हे महल में नहीं रखना चाहिए था !
राजा ने कहा ” महाराज बिना दरवाजे का महल कैसा होगा , लोग बाहर से अंदर और अंदर से बाहर कैसे जायेंगे !
संत ने कहा ” राजन तुमने ये महल क्यों बनवाया है ?
राजा ने कहा ” महाराज इस महल में मैं रहूँगा इसलिए !
संत ने कहा ” राजन तुमने तो यह महल अपने रहने के लिए बनवाया है परन्तु एक दिन जब तुम्हारे प्राण चले जायेंगे तो इस महल से तुम्हे उठाकर लोग बाहर कर देंगे ! जब ये महल तुमने अपने लिए बनवाया है तो , तुम्हारे प्राण जाने पे तुम्हे बाहर कैसे कर सकते है इसलिए इस महल में ये दरवाजा सबसे बड़ी कमी है , ये दरवाजा नहीं रहेगा तो तुम्हें कोई बाहर नहीं ले जा पायेगा !

राजा समझ चूका था , की यह उसका असली घर नहीं है एक ना एक दिन उसे ये घर छोड़ कर जाना ही होगा असली घर तो वह है जहा जाने के बाद वापस ना आना पड़े !

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