बात फिलाडेल्फिया शहर की है ! एक दम्पति अचानक काम के कारण उस शहर में गया हुआ था की रात के समय वो अपने रुकने के लिए होटल में रूम खोज रहे थे तभी शहर में तेज तूफान के साथ मूसलाधार बारिश होने लगी ! बारिश से बच बचा वो दम्पति एक होटल में रूम के लिए पूछे तो होटल के स्टाफ ने होटल के सारे रूम बुक होने की बात बताई , जिससे वो दम्पति बहुत ही चिंतित हो उठे !
होटल के स्टाफ ने उस दम्पति से बोला की इतनी रात को इस भयनाक बारिश में आप कहा जाएँगे ? अगर आपको सही लगे तो आप होटल के स्टाफ रूम में रात गुजार सकते है वो मेरा रूम है पर वो रूम बहुत ही छोटा और साधारण है !
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इस पर उस दम्पति ने होटल के स्टाफ से कहा की फिर आप कहा रहेंगे ?
होटल के स्टाफ ने कहा आप मेरी फ़िक्र ना करे मैं तो किसी भी टेबल पे भी रात गुजार लूंगा !
दम्पति स्टाफ की इंसानियत देख बहुत ही खुश था ! होटल के स्टाफ ने उस दम्पति को अपने रूम में ले गया और खुद रिसेप्शन पे रखी टेबल पे सो गया !
दम्पति सुबह होते ही उस होटल से चले गए !
motivational kahani in hindi :- इच्छा पर काबू रखे !
लगभग दो महीने बाद होटल के उस स्टाफ के नाम एक पत्र आया ! उस पत्र में नूयार्क आने का निमंत्रण और साथ में आने -जाने की टिकट भी थी ! होटल के स्टाफ को कुछ समझ नहीं आया ! पर उसने नूयार्क जाने का फैसला लिया ! नूयार्क पहुंचने पर उस स्टाफ को पता चला की उसको जिस व्यक्ति ने निमंत्रण दिया है वह वही व्यक्ति था जो उस रात होटल में उसके कमरे में रात गुजारी थी ! और स्टाफ के कमरे में रात गुजारने वाला व्यक्ति अमेरिका के प्रसिद्ध न्ययाधीश विलियम वेलफोर्ड थे !
वेलफोर्ड ने जब स्टाफ को देखा तो वो बहुत खुश हुए और उस स्टाफ को अपने साथ नूयार्क के एक बहुत बड़े होटल में लेकर गए ! जिस होटल का नाम था वेलफोर्ड होटल ! वेलफोर्ड ने होटल के उस स्टाफ की ओर देखते हुए बोला, “की यह होटल मैंने सिर्फ तुम्हारे लिए बनवाया है ! आज से इस होटल का सारा कार्य भार तुम सँभालने वाले हो ! होटल का वो छोटा सा स्टाफ घबराये हुए शब्दो में बोला, “की साहब मैं तो एक छोटे से होटल का एक मामूली सा क्लर्क हूँ ! इतने बड़े होटल की जिम्मेदारी मैं कैसे उठा पाउँगा !
वेलफोर्ड मुस्कुराते हुए बोले , ” तुम्हारे अन्दर इंसानियत है और जिस इंसान के अंदर इंसानियत होती है वह इंसान दुनिया की बड़ी से बड़ी जिम्मेदारी भी उठा सकता है !
कहानी का सार :-
जीवन में आप कितने ही बड़े पद या प्रतिष्ठा को पर पहुंच जाये , कभी अपने अंदर की इंसानियत को कभी नहीं खोना चाहिए !