Yeast Infection in Men (कैंडिडा बैलेनाइटिस)

Yeast Infection in Men (कैंडिडा बैलेनाइटिस)

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जब हम यीस्ट संक्रमण (Yeast Infection) की बात करते हैं, तो अधिकतर लोग इसे महिलाओं की समस्या मानते हैं। आमतौर पर महिलाओं में वजाइनल यीस्ट संक्रमण के बारे में जागरूकता ज्यादा है, लेकिन वास्तव में यह संक्रमण पुरुषों को भी प्रभावित कर सकता है।

पुरुषों में इस स्थिति को कैंडिडा बैलेनाइटिस (Candida Balanitis) कहा जाता है। यह संक्रमण मुख्यतः लिंग के सिर (glans) और चमड़ी (foreskin) पर होता है। कैंडिडा बैलेनाइटिस एक फंगल संक्रमण है, जो विशेष रूप से उस समय होता है जब त्वचा पर मौजूद प्राकृतिक फंगस असामान्य रूप से बढ़ने लगता है। यदि इस संक्रमण को शुरुआती अवस्था में पहचाना और ठीक से इलाज नहीं किया जाए, तो यह गंभीर असुविधा, जलन, दर्द और यहां तक कि यौन स्वास्थ्य से जुड़ी जटिलताओं का कारण बन सकता है।

पुरुषों में यीस्ट संक्रमण के कई कारण हो सकते हैं जैसे — व्यक्तिगत स्वच्छता की कमी, असुरक्षित यौन संबंध, डायबिटीज, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक सेवन, या फिर तंग और सिंथेटिक कपड़े पहनना। यह संक्रमण शारीरिक असुविधा के साथ-साथ मानसिक तनाव भी उत्पन्न कर सकता है, क्योंकि इससे आत्म-विश्वास और यौन जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

इस ब्लॉग में हम गहराई से चर्चा करेंगे कि पुरुषों में यीस्ट संक्रमण आखिर कैसे होता है, इसके प्रमुख कारण क्या हैं, कौन से लक्षण पहचानने योग्य होते हैं, किस तरह से इसका सही निदान किया जाता है, और किस प्रकार के उपचार से राहत मिल सकती है। साथ ही, हम रिकवरी की प्रक्रिया, संक्रमण को रोकने के उपाय, उपचार के पीछे के उद्देश्य और संभावित जोखिमों को भी विस्तार से समझेंगे। इसके अतिरिक्त, हम उन सामान्य सवालों का उत्तर भी देंगे जो पुरुषों में बार-बार यीस्ट संक्रमण होने या इसके ठीक होने की अवधि से जुड़े होते हैं।

यीस्ट इन्फेक्शन क्या होता है पुरुष में?

पुरुषों में यीस्ट संक्रमण एक प्रकार का फंगल संक्रमण है, जो मुख्यतः कैंडिडा एल्बिकैंस (Candida Albicans) नामक फंगस के अत्यधिक बढ़ने के कारण होता है। सामान्य परिस्थितियों में यह फंगस त्वचा, मुंह, आंतों और जननांगों पर प्राकृतिक रूप से मौजूद रहता है और कोई समस्या नहीं करता। लेकिन जब शरीर का प्राकृतिक संतुलन, जिसे माइक्रोबायोम बैलेंस कहा जाता है, किसी कारणवश बिगड़ जाता है — जैसे कमजोर इम्युनिटी, अत्यधिक नमी, एंटीबायोटिक्स का अनियंत्रित उपयोग या शुगर का उच्च स्तर — तब यह फंगस तेजी से बढ़ने लगता है और संक्रमण का रूप ले लेता है।

पुरुषों में यह संक्रमण प्रायः लिंग (Penis) के सिर (glans) और चमड़ी (foreskin) पर होता है। इसे कैंडिडा बैलेनाइटिस भी कहा जाता है। प्रारंभिक लक्षणों में लिंग के आसपास लालिमा, सूजन, खुजली, जलन, बदबूदार डिस्चार्ज और कभी-कभी त्वचा पर सफेद चकत्ते देखे जा सकते हैं। पेशाब करते समय जलन या यौन संबंध बनाते समय दर्द होना भी इसके आम संकेतों में शामिल है। यदि संक्रमण की उपेक्षा की जाए और समय रहते उचित इलाज न लिया जाए, तो यह समस्या और गंभीर रूप ले सकती है, जिससे फोरस्किन के सिकुड़ने (Phimosis) जैसी जटिलताएं या गहरे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

खासतौर पर ऐसे पुरुष जिन्हें डायबिटीज है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, या जो असुरक्षित यौन संबंध बनाते हैं, उन्हें यीस्ट संक्रमण का खतरा अधिक होता है। अच्छी स्वच्छता बनाए रखना, ढीले और सांस लेने योग्य कपड़े पहनना, और संतुलित आहार लेना इस संक्रमण से बचाव के लिए बेहद जरूरी कदम हैं। प्रारंभिक लक्षण दिखते ही चिकित्सकीय सलाह लेना आवश्यक है ताकि संक्रमण जड़ से खत्म किया जा सके और भविष्य की जटिलताओं से बचा जा सके।

पुरुषों में यीस्ट संक्रमण के कारण (Causes)

खराब व्यक्तिगत स्वच्छता: जननांग क्षेत्र को सही ढंग से साफ न रखने पर फंगस पनपने का खतरा बढ़ जाता है।

गर्म और आर्द्र वातावरण: अधिक पसीना और नमी फंगस के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ता है।

असुरक्षित यौन संबंध: संक्रमित साथी के साथ यौन संबंध बनाने पर कैंडिडा फंगस एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकता है।

डायबिटीज: रक्त में अधिक शुगर स्तर फंगस के विकास को तेजी से बढ़ावा देता है, जिससे संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है।

कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र: शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर फंगस से लड़ने की ताकत घट जाती है और संक्रमण आसानी से फैल सकता है।

एंटीबायोटिक्स का अत्यधिक उपयोग: लंबे समय तक एंटीबायोटिक्स लेने से शरीर का माइक्रोबायोम असंतुलित हो जाता है, जिससे फंगस बढ़ सकता है।

अत्यधिक तंग कपड़े पहनना: टाइट अंडरवियर या पैंट त्वचा को हवा नहीं लगने देते, जिससे क्षेत्र में नमी और गर्मी बढ़ती है, और फंगल संक्रमण का खतरा होता है।

त्वचा पर कट या चोट: त्वचा पर छोटे घाव या खरोंच फंगस को प्रवेश करने का आसान रास्ता दे देते हैं, जिससे संक्रमण तेजी से फैल सकता है।

पुरुष यीस्ट संक्रमण के लाभ (Benefits)

(यहाँ “लाभ” का अर्थ संक्रमण के निदान से होने वाले फायदे से है, न कि संक्रमण खुद से।)

स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ना: जब किसी पुरुष को यीस्ट संक्रमण होता है और वह इसका इलाज कराता है, तो वह स्वच्छता, साफ-सफाई और निजी स्वास्थ्य की देखभाल पर अधिक ध्यान देने लगता है। इससे भविष्य में अन्य संक्रमणों से भी बचाव होता है।

समय रहते अन्य बीमारियों की पहचान: कई बार जब मरीज यीस्ट संक्रमण के इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं, तो विस्तृत जांच के दौरान डायबिटीज, कमजोर इम्यून सिस्टम या अन्य गंभीर बीमारियों का पता चल जाता है। इस प्रकार संक्रमण के बहाने समय रहते बड़े रोगों की पहचान और इलाज संभव हो पाता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का अवसर: संक्रमण से उबरने के लिए डॉक्टर अक्सर खानपान में सुधार, नियमित व्यायाम और अच्छी जीवनशैली अपनाने की सलाह देते हैं। इससे न केवल संक्रमण जल्दी ठीक होता है, बल्कि व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली भी मजबूत बनती है, जो भविष्य में अन्य बीमारियों से रक्षा करती है।

पुरुष यीस्ट संक्रमण के लक्षण (Symptoms)

लिंग के सिर पर लालिमा और सूजन: संक्रमण की शुरुआत में लिंग के सिर (glans) पर हल्की या तेज लालिमा और सूजन नजर आ सकती है, जो धीरे-धीरे बढ़ सकती है।

चमड़ी पर सफेद परत या धब्बे: संक्रमित क्षेत्र पर सफेद रंग की परत या धब्बे जम सकते हैं, जो कभी-कभी पपड़ी जैसी दिखाई देते हैं और असहजता पैदा करते हैं।

खुजली या जलन की अनुभूति: संक्रमित भाग में लगातार खुजली या जलन महसूस हो सकती है, जो दिन-प्रतिदिन बढ़ती है और बेचैनी उत्पन्न करती है।

पेशाब या संभोग के दौरान दर्द: पेशाब करते समय जलन या दर्द का अनुभव हो सकता है। इसी तरह, यौन संबंध के दौरान भी असहजता या चुभन महसूस हो सकती है।

लिंग के आसपास बदबूदार डिस्चार्ज: कभी-कभी संक्रमण के कारण लिंग से सफेद या पीला बदबूदार डिस्चार्ज (तरल पदार्थ) निकल सकता है, जो संक्रमण की गंभीरता को दर्शाता है।

फटी हुई, सूखी या दर्दनाक त्वचा: संक्रमित क्षेत्र की त्वचा सूख सकती है, फट सकती है या उस पर दर्दनाक दरारें पड़ सकती हैं, जो संक्रमण को और भी तकलीफदेह बना देती हैं।

अत्यधिक संवेदनशीलता और जलन: हल्के स्पर्श पर भी संक्रमित क्षेत्र में अत्यधिक संवेदनशीलता और चुभन जैसा दर्द महसूस हो सकता है, जिससे व्यक्ति का सामान्य चलना-फिरना या बैठना भी कष्टदायक बन सकता है।

पुरुष यीस्ट संक्रमण का निदान (Diagnosis)

  • शारीरिक परीक्षण: डॉक्टर सबसे पहले प्रभावित क्षेत्र की बारीकी से जांच करते हैं। वे लिंग की त्वचा पर लालिमा, सूजन, दाने, सफेद परत या डिस्चार्ज जैसे लक्षणों का निरीक्षण करते हैं। इससे उन्हें संक्रमण की गंभीरता और अन्य संभावित स्थितियों का प्रारंभिक अंदाजा हो जाता है।

  • स्वैब टेस्ट: यदि लक्षण स्पष्ट नहीं हैं या पुष्टि की आवश्यकता है, तो डॉक्टर प्रभावित क्षेत्र से एक नमूना (स्वैब) लेते हैं। इस नमूने को माइक्रोस्कोप के नीचे जांचा जाता है ताकि कैंडिडा फंगस की उपस्थिति की पुष्टि की जा सके।

  • ब्लड शुगर टेस्ट: चूंकि डायबिटीज वाले व्यक्तियों में यीस्ट संक्रमण की संभावना अधिक होती है, इसलिए डॉक्टर ब्लड शुगर टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। इससे यदि मधुमेह की समस्या है तो उसका भी जल्द इलाज शुरू किया जा सकता है।

  • कल्चर टेस्ट: यदि संक्रमण बार-बार हो रहा हो या इलाज के बावजूद ठीक न हो रहा हो, तो डॉक्टर कल्चर टेस्ट करवा सकते हैं। इसमें संक्रमण के सैंपल को विशेष माध्यम में विकसित किया जाता है ताकि फंगस के प्रकार और उसकी गंभीरता का पता लगाया जा सके।

  • यौन संचारित रोगों (STD) की स्क्रीनिंग: कभी-कभी यीस्ट संक्रमण के लक्षण सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज़ (STDs) जैसे हरपीज या क्लेमाइडिया से मिलते-जुलते होते हैं। इसलिए डॉक्टर STD की भी जांच करवा सकते हैं ताकि सही कारण का पता चल सके और उचित इलाज किया जा सके।

पुरुष यीस्ट संक्रमण का उपचार (Treatment)

  1. एंटिफंगल क्रीम्स और लोशन:
    • क्लोट्रिमाजोल (Clotrimazole)
    • मिकोनाजोल (Miconazole)
    • केटोकोनाजोल (Ketoconazole)
  2. एंटिफंगल टैबलेट्स:
    • फ्लुकोनाजोल (Fluconazole) – गंभीर संक्रमण में ओरल दवाइयाँ दी जाती हैं।
  3. सफाई और स्वच्छता:
    • गुनगुने पानी से नियमित सफाई करें।
    • साबुन का अधिक प्रयोग न करें; हल्के और बिना खुशबू वाले क्लींजर का उपयोग करें।
  4. डायबिटीज का नियंत्रण:
    • यदि डायबिटीज है तो शुगर स्तर नियंत्रण में रखना बेहद आवश्यक है।
  5. संभोग से परहेज:
    • इलाज पूरा होने तक यौन संबंध न बनाना बेहतर होता है, ताकि संक्रमण फैले नहीं।

रिकवरी प्रक्रिया (Recovery Process)

  • हल्के संक्रमण में रिकवरी समय: यदि संक्रमण शुरुआती और हल्का है, तो एंटिफंगल क्रीम या दवाओं के नियमित उपयोग से यह आमतौर पर 5-7 दिनों में पूरी तरह ठीक हो सकता है। इस दौरान लक्षणों में धीरे-धीरे सुधार दिखने लगता है।

  • गंभीर संक्रमण में रिकवरी समय: यदि संक्रमण अधिक गंभीर हो, बार-बार हो रहा हो, या व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो (जैसे डायबिटीज के मरीजों में), तो 2-3 सप्ताह तक उपचार और रिकवरी की आवश्यकता पड़ सकती है। ऐसे मामलों में इलाज थोड़ा लंबा चलता है और सावधानी अधिक जरूरी होती है।

  • लक्षण बने रहने पर सावधानी: यदि एंटिफंगल उपचार के पूरा होने के बाद भी लक्षणों में सुधार नहीं दिखता, या समस्या फिर से उभरती है, तो तुरंत डॉक्टर से दोबारा परामर्श लेना चाहिए। आगे की जांच या दवाओं में बदलाव की आवश्यकता हो सकती है।

  • इलाज के दौरान विशेष ध्यान: संक्रमण के दौरान और बाद में व्यक्तिगत स्वच्छता, सूखे कपड़े पहनना, और संतुलित पोषण का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इससे फंगस की वृद्धि को रोका जा सकता है और रिकवरी तेज होती है।

पुरुष यीस्ट संक्रमण के इलाज का उद्देश्य (Purpose)

  • संक्रमण को पूरी तरह खत्म करना: इलाज का प्राथमिक उद्देश्य कैंडिडा फंगस को शरीर से पूरी तरह समाप्त करना है, ताकि संक्रमण पूरी तरह जड़ से खत्म हो और दोबारा न उभरे। बिना सही इलाज के संक्रमण छुप सकता है और बाद में फिर से गंभीर रूप में लौट सकता है।

  • भविष्य में संक्रमण की पुनरावृत्ति को रोकना: केवल वर्तमान संक्रमण का इलाज करना ही काफी नहीं है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि भविष्य में दोबारा यीस्ट संक्रमण न हो। इसके लिए स्वच्छता के नियम अपनाना, जीवनशैली में सुधार और जरूरी एहतियात बरतना भी इलाज का अहम हिस्सा है।

  • त्वचा की सामान्य स्थिति को बहाल करना: संक्रमण से प्रभावित क्षेत्र की त्वचा में सूजन, फटना, खुजली और दर्द हो सकता है। उपचार का उद्देश्य त्वचा को उसके सामान्य, स्वस्थ और लचीले स्वरूप में वापस लाना है ताकि व्यक्ति को कोई दीर्घकालिक समस्या न रहे।

  • रोगी को असुविधा और दर्द से राहत देना: यीस्ट संक्रमण के कारण होने वाली जलन, खुजली और दर्द से मरीज को तुरंत राहत दिलाना भी एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है, ताकि उसकी दैनिक गतिविधियां सामान्य ढंग से चलती रहें और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित न हो।

प्रक्रिया (Procedure)

  • प्रारंभिक लक्षणों पर ध्यान देना: संक्रमण के शुरुआती लक्षण जैसे खुजली, जलन या लालिमा महसूस होते ही तुरंत ध्यान देना चाहिए। लक्षणों के साथ तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है, ताकि संक्रमण बढ़ने से पहले ही इलाज शुरू किया जा सके।

  • डॉक्टर द्वारा निदान की पुष्टि: डॉक्टर निदान की पुष्टि करने के लिए शारीरिक परीक्षण और विभिन्न आवश्यक टेस्ट जैसे स्वैब टेस्ट, ब्लड शुगर टेस्ट आदि कर सकते हैं। ये टेस्ट संक्रमण के प्रकार और कारणों को पहचानने में मदद करते हैं।

  • निर्धारित दवाओं का पूरा कोर्स: डॉक्टर द्वारा निर्धारित एंटिफंगल दवाओं और क्रीम का पूरा कोर्स करना जरूरी है। इसका पालन करने से संक्रमण पूरी तरह से समाप्त होता है। इलाज का कोर्स समय पर पूरा करें, भले ही लक्षण गायब हो जाएं।

  • उपचार के दौरान और बाद में सफाई बनाए रखना: इलाज के दौरान और बाद में स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। प्रभावित क्षेत्र को नियमित रूप से धोकर साफ और सूखा रखना फंगस के विकास को रोकने में मदद करता है।

  • यदि साथी संक्रमित हो तो उसका भी इलाज कराना: यदि साथी को भी यीस्ट संक्रमण है, तो उसका भी इलाज कराना जरूरी है। इससे संक्रमण के पुनरावृत्ति का खतरा कम हो जाता है।

  • जीवनशैली में सुधार: संक्रमण से बचने और भविष्य में पुनरावृत्ति को रोकने के लिए जीवनशैली में बदलाव जरूरी हैं। जैसे ढीले कपड़े पहनना, चीनी का सेवन घटाना, और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम करना।

पुरुष यीस्ट संक्रमण के जोखिम (Risks)

  • संक्रमण का बार-बार लौट आना: यदि संक्रमण का ठीक से इलाज न किया जाए या जीवनशैली में सुधार न किया जाए, तो यीस्ट संक्रमण बार-बार लौट सकता है। यह विशेष रूप से उन पुरुषों में होता है जो कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र या अन्य जोखिम कारकों का सामना कर रहे होते हैं।

  • त्वचा में स्थायी क्षति या निशान: यदि संक्रमण गंभीर हो जाए और सही समय पर इलाज न मिले, तो लिंग की त्वचा पर स्थायी क्षति, दाग या निशान हो सकते हैं। इससे व्यक्ति को मानसिक असुविधा और शारीरिक दिक्कतें हो सकती हैं।

  • संक्रमण का फैलाव पेशाब नली या अन्य अंगों में होना: बिना इलाज के यीस्ट संक्रमण पेशाब नली, मूत्राशय या अन्य अंगों में फैल सकता है, जो ज्यादा गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है, जैसे पेशाब में दर्द, रक्त या अन्य जटिलताएं।

  • यौन जीवन पर नकारात्मक प्रभाव: यीस्ट संक्रमण के कारण लिंग में असहजता, दर्द और जलन हो सकती है, जो यौन जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इससे यौन संबंधों में परेशानी और मानसिक तनाव भी हो सकता है।

  • मानसिक तनाव और आत्म-विश्वास में कमी: बार-बार संक्रमण होने पर व्यक्ति मानसिक तनाव, चिंता और आत्म-विश्वास में कमी का सामना कर सकता है। यह उसकी सामान्य दिनचर्या और सामाजिक जीवन को प्रभावित कर सकता है।

  • संक्रमण का रक्त प्रवाह (Sepsis) में फैलना (बहुत दुर्लभ लेकिन संभव): यदि संक्रमण का इलाज समय पर नहीं किया जाता और यह शरीर में फैलता है, तो यह रक्त प्रवाह में संक्रमण (Sepsis) का कारण बन सकता है। यह एक जानलेवा स्थिति हो सकती है, हालांकि यह बहुत दुर्लभ है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. कौन सा डॉक्टर पुरुषों के लिए यीस्ट इन्फेक्शन का इलाज करता है?

उत्तर:

  • आप त्वचा रोग विशेषज्ञ (Dermatologist) या मूत्र रोग विशेषज्ञ (Urologist) से परामर्श कर सकते हैं।
  • यदि संक्रमण यौन जनित रोगों से जुड़ा है, तो सेक्सोलॉजिस्ट या संक्रामक रोग विशेषज्ञ भी मदद कर सकते हैं।

2. मुझे हर महीने यीस्ट इन्फेक्शन क्यों होता है?

उत्तर:

  • बार-बार यीस्ट संक्रमण होना निम्न कारणों से हो सकता है:
    • अनियंत्रित डायबिटीज
    • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली
    • अत्यधिक एंटीबायोटिक या स्टेरॉयड का सेवन
    • नमी और पसीने वाले वातावरण में रहना
    • साथी का भी संक्रमित होना (और इलाज न कराना)
    • अत्यधिक चीनी का सेवन

इस स्थिति में जरूरी है कि डॉक्टर से गहराई से जांच करवाई जाए और मूल कारण को पहचाना जाए।

3. यीस्ट इन्फेक्शन कितने दिन में ठीक होता है?

उत्तर:

  • हल्के संक्रमण आमतौर पर 5 से 7 दिन में ठीक हो जाते हैं यदि सही समय पर इलाज शुरू हो जाए।
  • गंभीर संक्रमण को ठीक होने में 2 से 3 सप्ताह तक लग सकते हैं।
  • यदि संक्रमण लगातार बना रहे या बार-बार लौट आए, तो दीर्घकालीन उपचार और जीवनशैली में बदलाव आवश्यक हो सकता है।

निष्कर्ष

पुरुषों में यीस्ट संक्रमण (कैंडिडा बैलेनाइटिस) एक आम लेकिन अक्सर अनदेखी की जाने वाली समस्या है। इसकी पहचान करना और समय पर उपचार कराना बेहद आवश्यक है ताकि जटिलताओं से बचा जा सके। स्वस्थ जीवनशैली, सही खानपान, अच्छी स्वच्छता आदतें और चिकित्सकीय सलाह का पालन करके इस संक्रमण से बचाव संभव है।

यदि आप बार-बार यीस्ट संक्रमण से परेशान हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें। यह शरीर के अंदर किसी गहरे कारण की ओर इशारा कर सकता है। सही जांच और उपचार से आप अपने स्वास्थ्य को वापस पा सकते हैं।

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