अगर कोई व्यक्ति आप पर अपना काबू बनाए हुए हैं, तो इसका मतलब है कि आप भावनात्मक अमान्यता का शिकार हैं।

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भावनात्मक अमान्यता से तात्पर्य है किसी व्यक्ति की कही हुई बातों को भावनाओं या विचारों को सिरे से खारिज कर देना।

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भावनात्मक अमान्यता मस्तिष्क को प्रभावित करता है ऐसे में इंसान की प्रतिभा और आत्म विश्वास की झमता कम होने लगती है !

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ऐसे में इंसान लोगो से दूर रहने लगता है, उसे हर काम में डर लगने लगता है , की इस काम पर लोग ना जाने कैसी प्रतिक्रिया देंगे !

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अक्सर लोग कुछ भी कह कर बाद में बोल देते है की हम तो मजाक कर रहे थे ! ये छोटी -छोटी बातें व्यक्ति के मन को चोट पहुँचती है !

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भावनात्मक अमान्यता में व्यक्ति ऐसा महसूस करता है कि वो महत्वहीन है और लोगों की नज़र में उसकी कोई वैल्यू नहीं है।

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भावनात्मक व्यक्ति पर अन्य लोग निशाना साधने लगते हैं जिसके कारण व्यक्ति खुद को कमज़ोर महसूस करने लगते हैं।

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जब व्यक्ति आपको गलत साबित करके नीचा दिखाये या आपकी बात पर ध्यान ना दे ऐसे लोगों की बातों को गंभीरत से न लें।

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जिस जगह आपकी बातों को नहीं सुना जा रहा हो आपकी बातचीत में इंटरस्ट न लिया जा रहा हो तो वहां ज्यादा देर ना रुके!

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जो व्यक्ति आपकी भावनाओं की क़दर नहीं करता है उससे दूरी बनाकर चलें और ज्यादा बातचीत करने से भी बचें।

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किसी व्यक्ति के अनुचित व्यवहार को खुद पर हावी न होने दें पॉज़िटिव होकर सिर्फ अपने काम पर ध्यान दें !

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