135 रुपये वाला OPD बिल -हिंदी स्टोरी – rajasthan government pensioners

rajasthan government pensioners हिंदी स्टोरी

बात 2015 की है मैं जयपुर आई साइड (नाम बदला हुआ है) जो की आँखों का अस्पताल है उन दिनों मैं उसमे TPA credit billing में कार्यरत था ! रोजाना की तरह मैं रोज़ सुबह अपने ऑफिस टाइम से पहुंच कर अपना कार्यभार संभाल रहा था ! दोपहर के लगभग 12:30 बज रहें होंगे तभी एक बुजर्ग मरीज़ मेरी तरफ आकर बोलते है, मैं राजस्थान गवर्नमेंट का कर्मचारी रह चूका हूँ , और अब मैं एक पेंशनर हु, मुझे डॉक्टर को अपनी आँखों को दिखाना है, उन दिनों rajasthan government pensioners का कैशलेस ट्रीटमेंट नहीं होता था, मरीज़ पहले पेय करके सारा ट्रीटमेंट लेता था उसके बाद खुद पुरे बिल को क्लैम करने के लिए विभाग में जाता था ! जैसा की मैं सभी मरीज़ को गाइड करता था की पहले 135 रुपये की पर्ची कटवा ले उसके बाद आपका नंबर लग जायेगा ! डॉ के देखने के बाद  डॉक्टर कोई सर्जरी या कोई टेस्ट लिखते है, तो आगे दुबारा पर्ची कटेगी ! पूरा प्रोसेस जानने के बाद उन्होंने बताये हुए प्रोसेस का पालन किया और पर्ची कटवा के लाइन में लग गए! मैंने देखा है की कई बार ऐसा भी होता है, की लोगो को सारी बात पता होने के बाद भी वो चीजों को दुबारा पूछने की कोशिश करते है , मेरे सामने जो बुजुर्ग व्यक्ति खड़े थे वो राजस्थान गवर्नमेंट के कर्मचारी रह चुके थे , और उन्हें इन सारे प्रोसेस के बारे में अच्छे से पता था , पर मुझे ऐसा लगा की वो जानबूझकर खुद को इन सारे प्रोसेस से अनजान दिखा रहे थे , जहां तक मैं एक गवर्नमेंट कर्मचारी को समझ पाया हु की वो ऐसा क्यों करते है , क्योकि सामने वाला उन्हें सारी चीजों से अनजान समझ कर अच्छे से एक-एक चीज समझाये और हर हो रहे प्रोसेस में उनकी मदद भी की जाये !

rajasthan government pensioners
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लाइन लम्बी थी इसलिए उन्हें इन्तजार लम्बा करना था, वो मेरी तरफ बार-बार देखे जा रहे थे, की मैं लम्बी लाइन में लगी फाइल को थोड़ा ऊपर कर दू ताकि उनका नंबर जल्दी आ सके ! पर मेरा हमेशा से सभी मरीज़ को लेकर एक सामान समझने का सिद्धांत रहा है ! और इस मामले में भी मैंने उनकी इस तरह की कोई मदद नहीं की और अपने काम में लगा रहा ! जैसे तैसे लम्बे इन्तजार के बाद उनका नंबर आया और डॉक्टर को अपनी आंखे दिखाने के बाद वो अपनी फाइल लेकर मेरे पास आ गये ! मुझे लगा की वो मुझसे पुछेंगे की मेडिसिन कहा से लेनी है, या डॉक्टर ने मुझे कुछ टेस्ट कराने के लिए लिखे है क्या, पर उन्होंने मुझसे ये सब पूछने के वजाय ये पूछा की ये 135 रुपये की पर्ची का मैं क्लेम कैसे करूँगा , मैं मन ही मन सोच रहा था की आँख से कही ज्यादा फ़िक्र तो 135 रुपये जो खर्च हो गए है, उसकी लगी हुयी है !

गवर्नमेंट के कई ऐसे विभाग है, जो आज भी अंग्रेजो के द्वारा बनाये गए नियम जो उस समय के संसाधनों और जरुरत के हिसाब से बने थे, उन नियमो के अनुसार आज भी कार्य कर रहे है, और इन विभागों के कर्मचारियों को उन नियमो के पालन की ऐसी आदत लगी है , की अगर किसी फाइल में कोई टिक या सिग्नेचर नहीं हुआ है , जो की थोड़े से एफर्ट से तुरंत पूरी की जा सकती है, लेकिन उस एक कमी से पूरी फाइल रिजेक्ट कर दी जाती है !, और सबसे हैरानी की बात यह है, की इनके खुद के ही बनाये हुए ये नियम जो की आपस की सहमति से बदला या उसमे सुधार भी किया जा सकता है ये कर्मचारी खुद इस बने हुए नियम में उलझ के परेशान हो जाते है, और ऐसे ही मेडिकल विभाग के कुछ नियम में मेरे सामने खड़े बुजुर्ग व्यक्ति बुरी तरह फसने वाले थे !

135 रुपये का वो बिल देख मैं सामने खड़े उस सरकारी कर्मचारी को देख रहा था जो अब एक पेंशनर हो चुके थे , मैं सोच रहा था की इस उम्र में तो इनको आराम करना चाहिए अब 135 रुपये के इस बिल के लिए इन्हे कितना दौड़ना- भागना पड़ेगा ! खेर मेरा जो कर्तव्य था, मैंने उसका पालन किया और उनके लिए एक लम्बी साँस लेकर उन्हें 135 रुपये के उस बिल को क्लेम करने का पूरा प्रोसेस समझाया !

सर आपको किसी बुक की दुकान से क्लेम करने वाला ग्रीन फॉर्म मिलेगा , आपको उसकी तीन कॉपी लेनी है 135 रुपये के अलावा अगर आप मेडिसिन भी लेते हो तो 135 रुपये वाला बिल और मेडिसिन वाला बिल दोनों की सारी जानकारी आपको 3 ग्रीन फॉर्म में एक जैसी ही भरनी है, या मेडिसिन आप अपनी मेडिकल डायरी में लिखवा कर गवर्नमेंट द्वारा अलॉट की हुयी फार्मेसी से ले सकते है और अगर आप चाहे तो दोनों बिल को इस फॉर्म के द्वारा क्लेम कर सकते है फॉर्म भरने के बाद आपको डॉक्टर द्वारा तीनो फॉर्म, डॉक्टर प्रिस्किप्शन ,135 रुपये वाले बिल पे और मेडिसिन बिल पे साइन के साथ -साथ डॉ सील भी लगवाना है ! सारी बात समझने के बाद वो ग्रीन फॉर्म लेने के लिए निकल पड़े !

लगभग एक घंटे के बाद ग्रीन फॉर्म लेकर वो मेरे सामने आये और बोलने लगे की कई दुकान पे जाने के बाद ये फॉर्म मिला है , मैंने उन्हें बैठने के लिया बोला और चाय पानी के लिए पूछा ! मैंने उनसे कहा की सर ये फॉर्म आप भर दे तो मैं डॉक्टर से सील और साइन करवा कर आपको ये पूरी बिल क्लेम फाइल कम्पलीट करके दे दू ! उन्होंने मेरी तरफ उम्मीद भरी निग़ाह से देखा और मैं समझ गया की वो चाहते है की ये पूरा फॉर्म मैं ही भर दू ! और मैं वैसा ही किया पूरा फॉर्म भर के फॉर्म पे और सभी पेपर पर डॉक्टर से साइन और सील लगवा के उन्हें पूरी फाइल बना के दे दी !

हम सभी की हमेशा कोशिश यही रहनी चाहिए की अगर कोई समस्या सामने आयी है तो उसे ख़त्म करो और अगर वो समस्या दुबारा आये तो उसके लिए पूरी तरह से तैयार रहो ताकि पहले जितना परेशान ना होना पड़े , मुझे लगा की ऐसे पेशेंट तो आगे भी आते रहंगे , उन्हें ग्रीन फॉर्म के लिए परेशान ना होना पड़े इसके लिए मैं पहले से ही ग्रीन क्लेम फॉर्म अपने पास रख लिया ! रोजाना की तरह मैं अपने काम में लगा हुआ था, की लगभग एक हफ्ते बाद rajasthan government pensioners व्यक्ति मेरे सामने फिर आ गए ! और कहने लगे की इस फॉर्म में पीछे भी साइन और सील लगेगी और साथ में मैंने जो मेडिसिन ली है उसको अलग-अलग मेडिसिन के नाम, बिल नंबर, दिनांक और उसकी रेट के अनुसार लिखनी है ! वैसे तो  कैसा भी फॉर्म हो मैं, बहुत अच्छे से एक-एक चीज़ पढ़ कर भरता हु , लेकिन मैं भूल गया था की ये फॉर्म अंग्रेजो के ज़माने का बना हुआ फॉर्म है , जिस फॉर्म को अकसर उन्ही के विभाग में काम करने वाले कर्मचारी भरने में चूक कर देते है, तो मुझसे भी गलती होने की पूरी संभावना तो बनती है ! पर इस बार मैं बिल्कुल भी रिस्क नहीं लिया , और उनके द्वारा लाया हुआ पुराना फॉर्म हटा कर मेरे पास रखा हुआ नया ग्रीन क्लेम फॉर्म https://sso.rajasthan.gov.in/signin उनको दे दिया और बोला सर ये फॉर्म आप स्वयं भरे और कहाँ -कहाँ हमे साइन और सील लगाना है या कुछ और भी करना है तो बता दे क्योंकि ये फॉर्म आपके ही विभाग का है, और आप लोगो के द्वारा ही बनाया गया है, तो आप इसे बेहतर ढंग से समझते होंगे, मुझे पूरा यकि है, की उन्होंने वो फॉर्म बड़े भारी मन से भरा होगा , और जिस पुराने फॉर्म को मैं 15 मिनट में भरा था, उसी नए ग्रीन फॉर्म को वो खुद भरने में 45 मिनट लगा दिए ! उन्होंने जहाँ -जहाँ जो -जो बोला मैं डॉक्टर से हर जगह साइन और सील लगवा दिया , और मैं ये भी बोला कुछ और कमी हो तो एक बार बैठ कर देख लो सर , वो मुस्कुरा कर बोले नहीं अब सब ठीक है ! मैंने भी उन्हें मुस्कुरा कर विदा किया !

ठीक दो दिन बाद ऑफिस में मेरी निग़ाह कंप्यूटर पर थी, और आवाज़ आती है की विवेक जी इस फॉर्म में एक कमी रह गयी , मैं अपनी नज़र उठता हूँ और देखता हु की राजस्थान गवर्नमेंट पेंशनर व्यक्ति मेरे सामने फिर आ गए, मैं समझ नहीं पा रहा था की एक लम्बी साँस मैं खुद के लिए लू या सामने खड़े rajasthan government pensioners व्यक्ति के लिए लू , मैं उन्हें बैठने के लिए बोलता हु, और उनके क्लेम फाइल में जो ग्रीन फॉर्म था, उसमे लिखे टोटल क्लेम अमाउंट को देखता हु, तो मेडिसिन बिल सहित टोटल अमाउंट मात्र 255 रुपये था ,मैं 255 रुपये का बिल देखकर एक लम्बी साँस लेते हुए पूछता हु सर आप कहाँ से आते है?, उनका ज़वाब था बनी पार्क से , मैंने कहा सर ये रुपये आप सेटिफेक्शन के लिए पास करा रहे है की मेरा बिल पास हो गया ! या  जो रुपये खर्च हुए है, ये आपको मिल जाये, इसलिए पास करा रहे है !  वो मेरी तरफ देख कर बोलते है , रुपये पास हो जाये उसके लिए, क्यों क्या हुआ ? मैं बोलता हूँ सर बनी पार्क से मालवीय नगर लगभग 17 किलोमीटर है, और इस बिल के लिए आप तीसरी बार आ रहे हो , 255 रुपये के बराबर तो आप तेल जला चुके होंगे , तो इस बिल को पास करवाने का तो मुझे कोई मतलब नज़र नहीं आ रहा! rajasthan government pensioners व्यक्ति मेरी तरफ देखते हुए बोलते है, बात तो तुम सही कह रहे हो, इस बारे में तो मैं सोचा ही नहीं, इस बिल को पास कराने के बाद भी मैं नुक़सान में ही रहूँगा ! उन्होंने मुझे एक प्यारी सी स्माइल दी, और बोले छोटी-छोटी चीजों के पीछे भाग कर हम अपना बड़ा नुक़सान कर बैठते है, मैं आगे से ध्यान रखूँगा!  मैं उनके फॉर्म में जो कमी थी उसे पूरा करके, उन्हें मुस्कुरा कर विदा करता हूँ !

मोरल :-

कभी-कभी छोटी-छोटी चीजों के पीछे भाग कर हम अपना बड़ा नुक़सान कर बैठते है !

By :- विवेक सिंह

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