Loo लगने पर क्या करें और कैसे बचें जानलेवा स्थिति से

Loo लगने पर क्या करें और कैसे बचें जानलेवा स्थिति से

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1 Loo लगने पर क्या करें और कैसे बचें जानलेवा स्थिति से

Loo : गर्मी का मौसम जब अपने चरम पर होता है, खासकर भारत के उत्तर, पश्चिम और मध्य हिस्सों में, तब लू की समस्या एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन जाती है। मई-जून के महीने में जब सूर्य की किरणें सीधी पृथ्वी पर पड़ती हैं, तब वातावरण का तापमान अत्यधिक बढ़ जाता है। ऐसे समय में जब दोपहर के समय तेज़ गर्म हवाएँ चलने लगती हैं, तब इन्हें ‘लू’ कहा जाता है। यह हवा न केवल गर्म होती है बल्कि अत्यधिक शुष्क भी होती है, जिससे यह शरीर से नमी खींच लेती है। खासकर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और दिल्ली जैसे इलाकों में लू आम बात है।

लू क्या है?

लू का प्रभाव केवल गर्मी के अहसास तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह शरीर के ताप संतुलन को बिगाड़ देती है। जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक ऐसी हवा के संपर्क में रहता है, विशेषकर अगर उसने पर्याप्त पानी नहीं पिया हो, तो शरीर का तापमान सामान्य से बहुत ऊपर चला जाता है, और पसीने के ज़रिये शरीर ठंडा नहीं हो पाता। यह स्थिति “हीट स्ट्रोक” कहलाती है, जो बेहद गंभीर हो सकती है। लू के दौरान तापमान कभी-कभी 45 से 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है, और यदि शरीर समय रहते इससे नहीं निपट पाता, तो यह जानलेवा भी हो सकती है।

इसलिए लू को हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है। इससे बचने के लिए समय पर सावधानी और सही जानकारी बेहद जरूरी है, ताकि इस मौसम में खुद को और अपनों को सुरक्षित रखा जा सके।

लू लगने के कारण

लू लगने के कई कारण होते हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है शरीर का तापमान अत्यधिक बढ़ जाना, जिसे चिकित्सा भाषा में हीट स्ट्रोक कहा जाता है। जब कोई व्यक्ति अत्यधिक गर्म वातावरण में लम्बे समय तक रहता है, तो उसका शरीर तापमान को नियंत्रित नहीं कर पाता और शरीर के अंदरूनी अंगों पर असर पड़ने लगता है। यह स्थिति बेहद खतरनाक हो सकती है।

तेज धूप में बिना किसी सुरक्षा के लम्बे समय तक रहना भी लू लगने का मुख्य कारण है। विशेषकर दोपहर 11 बजे से शाम 4 बजे तक जब सूर्य की किरणें सबसे अधिक तीव्र होती हैं, तब धूप में निकलना शरीर के तापमान को तेज़ी से बढ़ा सकता है।

इसके अलावा, डिहाइड्रेशन यानि पानी की कमी, लू का एक और बड़ा कारण है। गर्मी में शरीर से पसीने के रूप में बहुत सारा पानी निकलता है, और यदि व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में पानी या तरल पदार्थ नहीं लेता, तो शरीर में नमक और पानी की कमी हो जाती है, जिससे लू लगने की संभावना बढ़ जाती है।

सिर और शरीर को ठीक से ढककर न निकलना, तथा खाली पेट बाहर जाना भी शरीर को कमजोर करता है और गर्मी का असर सीधे मस्तिष्क और हृदय पर पड़ता है, जिससे लू लगने का खतरा बढ़ जाता है। अतः इन बातों की अनदेखी जानलेवा साबित हो सकती है।

लू लगने से मौत कैसे हो जाती है?

लू लगने की प्रक्रिया:

लू लगने पर शरीर का तापमान तेज़ी से बढ़ता है और वह 104°F (40°C) से ऊपर जा सकता है। शरीर का प्राकृतिक ठंडा करने का सिस्टम (पसीना आना) इस गर्मी से मुकाबला नहीं कर पाता, जिससे:

शरीर में परिवर्तन:

  • मस्तिष्क पर असर → चक्कर, भ्रम, बेहोशी
  • हृदय पर असर → दिल की धड़कन तेज़, हार्ट फेलियर की संभावना
  • किडनी पर असर → पेशाब रुकना, टॉक्सिन्स का जमा होना
  • फेफड़ों पर असर → तेज सांसें, ऑक्सीजन की कमी

मौत का कारण:

यदि समय पर इलाज न हो तो यह अंगों की विफलता (organ failure) के कारण मौत का कारण बन सकता है। हीट स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है।

लू के लक्षण (Symptoms of Heat Stroke):

लू लगने के लक्षण बहुत स्पष्ट और गंभीर होते हैं, जिन्हें पहचानकर समय रहते इलाज करना जरूरी होता है। लू लगने की स्थिति में शरीर का तापमान सामान्य से बहुत अधिक, यानी लगभग 104°F (40°C) या उससे अधिक हो सकता है। यह पहला और सबसे प्रमुख संकेत होता है कि शरीर गर्मी से जूझ नहीं पा रहा।

शुरुआत में व्यक्ति को अत्यधिक पसीना आता है, लेकिन जैसे ही स्थिति गंभीर होती है, पसीना आना अचानक बंद हो जाता है, जिससे त्वचा शुष्क और गर्म महसूस होती है। इसके साथ ही सिरदर्द, चक्कर आना और थकावट महसूस होना शुरू हो जाता है।

उल्टी या मतली जैसे लक्षण भी आम हैं, क्योंकि शरीर का आंतरिक संतुलन गड़बड़ा जाता है। इसके अलावा, व्यक्ति की साँसें तेज़ चलने लगती हैं और दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है, जो हृदय पर दबाव बढ़ने का संकेत है।

जैसे-जैसे हीट स्ट्रोक बढ़ता है, व्यक्ति में भ्रम की स्थिति, बेचैनी, घबराहट और अंततः बेहोशी तक आ सकती है। ये सभी संकेत बताते हैं कि शरीर हीट स्ट्रोक की चपेट में है और उसे तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है। लक्षणों को नजरअंदाज करना जानलेवा हो सकता है।

लू से बचाव के उपाय (How to Protect Yourself from Loo):

गर्मियों में लू से बचाव के लिए सही सावधानियाँ अपनाना बेहद आवश्यक है, क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। नीचे दिए गए उपाय अपनाकर आप खुद को और अपने परिवार को लू से सुरक्षित रख सकते हैं:

1. कपड़ों का चयन:
लू से बचने के लिए कपड़ों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। गर्मी में हल्के, ढीले और सूती कपड़े पहनना चाहिए क्योंकि ये त्वचा को सांस लेने देते हैं और पसीना आसानी से सूखने में मदद करते हैं। सिर को ढकना बहुत जरूरी है—इसके लिए टोपी, स्कार्फ या गमछे का उपयोग करें। इससे सिर पर सीधी धूप नहीं पड़ती और शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है। साथ ही, आंखों की सुरक्षा के लिए सनग्लास लगाना भी जरूरी है।

2. समय का ध्यान रखें:
गर्मियों में दोपहर 11 बजे से शाम 4 बजे तक का समय सबसे अधिक गर्म होता है। इस दौरान घर से बाहर निकलने से बचें। अगर बहुत जरूरी हो, तो रुक-रुककर छांव में चलें, और साथ में पानी की बोतल रखें।

3. हाइड्रेशन (पानी की पूर्ति):
गर्मी में शरीर से बहुत सारा पानी पसीने के रूप में निकल जाता है, जिससे डिहाइड्रेशन और लू लगने का खतरा बढ़ता है। इसलिए हर रोज़ कम से कम 3-4 लीटर पानी पिएं। साथ ही नींबू पानी, छाछ, जलजीरा, नारियल पानी जैसे तरल पदार्थ लें। ORS का सेवन शरीर में नमक और शुगर के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।

4. खानपान:
गर्मी में हल्का और पानीदार भोजन करना चाहिए। तली-भुनी चीजें शरीर में गर्मी बढ़ाती हैं, इसलिए इनसे बचें। मौसमी फल जैसे तरबूज, खीरा, ककड़ी, आम पना शरीर को ठंडक देते हैं और लू से बचाव में सहायक होते हैं।

5. घर का रख-रखाव:
घर को ठंडा रखने के लिए कूलर, पंखा या एसी का सही उपयोग करें। खिड़कियों पर गीले पर्दे लगाना एक आसान घरेलू उपाय है, जिससे घर के अंदर का तापमान कम किया जा सकता है। ठंडा वातावरण बनाए रखने से शरीर को राहत मिलती है और लू का खतरा कम होता है।

इन सभी उपायों को अपनाकर गर्मियों के कहर से खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है। जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है।

लू लग जाए तो क्या करें?

प्राथमिक उपचार (First Aid for Heat Stroke):

अगर किसी व्यक्ति को लू लग जाए तो घबराने की बजाय शांत रहकर तुरंत प्राथमिक उपचार देना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि समय पर की गई मदद उसकी जान बचा सकती है। लू लगने की स्थिति को हीट स्ट्रोक कहा जाता है और यह एक मेडिकल इमरजेंसी होती है। इसलिए पहले 15–30 मिनट में की गई देखभाल अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।

1. छाया या ठंडी जगह पर ले जाएं:
सबसे पहले मरीज को तुरंत धूप से दूर किसी छायादार, ठंडी और हवादार स्थान पर ले जाएं। यह शरीर के तापमान को कम करने में पहला कदम होता है।

2. कपड़े ढीले कर दें:
उसके कपड़े ढीले कर दें ताकि शरीर की गर्मी बाहर निकल सके। अगर भारी या टाइट कपड़े हैं, तो उन्हें हटा दें।

3. ठंडा करें:
मरीज के शरीर को ठंडे पानी या बर्फ से धीरे-धीरे पोंछें। सिर, गर्दन, बगल और जांघों पर ठंडे पानी की पट्टियां या बर्फ की थैली रखें। इससे शरीर का तापमान तेजी से घटाया जा सकता है।

4. तरल पदार्थ दें (अगर होश में हो):
अगर मरीज होश में है और कुछ निगल सकता है, तो उसे तुरंत ORS, नींबू पानी, छाछ या नारियल पानी दें। इससे शरीर में खोया हुआ पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स वापस आते हैं।

5. अस्पताल ले जाएं:
प्राथमिक उपचार के तुरंत बाद मरीज को नजदीकी अस्पताल ले जाएं। डॉक्टर की देखरेख में ही उचित इलाज होना चाहिए।

महत्वपूर्ण चेतावनी:
यदि मरीज बेहोश है, तो उसे कोई भी तरल पदार्थ मुँह से न दें, क्योंकि इससे दम घुटने का खतरा होता है। ऐसे में तुरंत एम्बुलेंस बुलाएं और डॉक्टर की सलाह का इंतजार करें।

तेज़ और सही प्राथमिक उपचार ही लू से होने वाली मृत्यु को रोक सकता है। जागरूक रहें, सतर्क रहें।

गर्मी से बचने के सामान्य उपाय:

गर्मियों में अत्यधिक तापमान से बचने के लिए कुछ सामान्य और व्यावहारिक उपाय अपनाकर हम खुद को सुरक्षित रख सकते हैं। ये उपाय खासतौर पर उन लोगों के लिए और भी जरूरी हैं जो बाहर काम करते हैं या दिन के समय यात्रा करते हैं।

🔸 घर में रहते समय अपनाएं ये उपाय:

  1. दोपहर में बाहर न निकलें:
    गर्मी के चरम समय, यानी दोपहर 12 से 4 बजे के बीच घर से बाहर निकलने से बचें। इस समय सूरज की किरणें सबसे तेज होती हैं और लू लगने का खतरा सबसे ज्यादा होता है।

  2. कमरे को ठंडा रखें:
    घर के अंदर पंखा, कूलर या एसी का सही इस्तेमाल करें। यदि ये उपलब्ध नहीं हैं, तो खिड़कियों पर गीला पर्दा लगाएं जिससे गर्म हवा अंदर न आए और घर ठंडा रहे।

  3. गीले तौलिए का प्रयोग:
    समय-समय पर गीले तौलिए से शरीर को पोंछें, खासकर गर्दन, चेहरा और हाथ-पैरों पर। इससे शरीर का तापमान नीचे आता है और गर्मी से राहत मिलती है।

🔸 कामकाजी लोग और मजदूरों के लिए सलाह:

  1. दोपहर में काम से विराम लें:
    निर्माण कार्य, खेतों में काम या अन्य बाहरी काम करने वाले लोग गर्मी के चरम समय में काम से विराम लें। संभव हो तो काम को सुबह या शाम के समय शिफ्ट करें।

  2. छांव या अस्थायी शेड का प्रयोग करें:
    मजदूरों को धूप में सीधे खड़े होकर काम करने से बचना चाहिए। जहाँ तक संभव हो, छांव में रहें या अस्थायी शेड (तिरपाल, छाता आदि) लगाकर काम करें।

  3. सरकारी गाइडलाइन का पालन करें:
    गर्मी के मौसम में सरकार की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों (heat wave advisory) का पालन करें। इसमें कार्यस्थल पर पानी, ओआरएस, विश्राम का समय, और ठंडी जगह उपलब्ध कराने की सलाह दी जाती है।

इन सामान्य उपायों को अपनाकर हम न सिर्फ गर्मी से खुद को बचा सकते हैं, बल्कि लू जैसे गंभीर खतरे से भी सुरक्षित रह सकते हैं। सावधानी ही सुरक्षा है – यह न भूलें।

बच्चे और बुजुर्गों के लिए विशेष सावधानियाँ:

गर्मी के मौसम में बच्चे और बुजुर्ग विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं। इनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, जिससे ये लू, हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन जैसी समस्याओं से जल्दी प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए इनके लिए कुछ विशेष सावधानियाँ बरतना जरूरी है।

🔸 बच्चों के लिए सावधानियाँ:

  1. दोपहर में खेलने से रोकें:
    बच्चों को दोपहर 11 बजे से शाम 4 बजे के बीच बाहर खेलने से रोकें। यह वह समय होता है जब धूप सबसे तीखी होती है और लू लगने की आशंका सबसे अधिक होती है।
  2. ठंडे और तरल पदार्थ दें:
    बच्चों को ठंडा पानी, नारियल पानी, नींबू शरबत, छाछ जैसी तरल चीजें दें ताकि शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी न हो।
  3. बर्फ और आइसक्रीम सीमित मात्रा में दें:
    बच्चों को ठंडी चीजें बहुत पसंद होती हैं, लेकिन अत्यधिक बर्फ या आइसक्रीम से सर्दी-जुकाम हो सकता है। इसलिए इन्हें सीमित मात्रा में और संतुलित समय पर दें।

🔸 बुजुर्गों के लिए सावधानियाँ:

  1. हीट स्ट्रोक का अधिक खतरा:
    बुजुर्गों को आमतौर पर अधिक पसीना नहीं आता, जिससे शरीर की गर्मी बाहर नहीं निकल पाती। इससे हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है
  2. समय-समय पर पानी दें:
    कई बार बुजुर्ग खुद से पानी पीना भूल जाते हैं। इसलिए हर 1-2 घंटे में उन्हें पानी या कोई तरल पदार्थ देना जरूरी है, भले ही उन्हें प्यास न लगी हो।
  3. ठंडी जगह में रखें:
    बुजुर्गों को धूप से दूर, ठंडी और हवादार जगह पर रखें। अगर संभव हो तो कमरे में कूलर या पंखे की व्यवस्था करें।

बच्चे और बुजुर्ग दोनों ही अपने स्वास्थ्य को लेकर स्वयं सजग नहीं रह पाते, इसलिए घर के अन्य सदस्यों की जिम्मेदारी होती है कि वे इनकी देखभाल करें और गर्मी से सुरक्षित रखें। थोड़ी सी सावधानी बड़ी परेशानी से बचा सकती है।

भारत सरकार और WHO की चेतावनी:

गर्मी के मौसम में भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) आम जनता को जागरूक करने के लिए हर साल विशेष चेतावनी और दिशा-निर्देश जारी करते हैं। इनका उद्देश्य यह होता है कि लोग समय रहते सतर्क हो जाएं और लू व हीट स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याओं से बच सकें।

🔸 भारत सरकार और WHO की चेतावनी में मुख्य बिंदु:

1. लू का पूर्वानुमान होने पर सतर्क रहें:

  • मौसम विभाग जब हीटवेव की चेतावनी देता है, तो इसका मतलब होता है कि अगले कुछ दिनों में तापमान असामान्य रूप से बढ़ने वाला है।
  • इस दौरान बाहर निकलने से बचें, खासकर दोपहर में।

2. मौसम की जानकारी नियमित लेते रहें:

  • टीवी, रेडियो, इंटरनेट, मोबाइल ऐप्स या समाचार चैनलों के माध्यम से मौसम का अपडेट लेते रहें।
  • सरकार द्वारा जारी heat alert या red/orange/yellow alert को गंभीरता से लें।

3. संस्थानों में आवश्यक बदलाव:

  • स्कूलों में: गर्मियों की छुट्टियां पहले घोषित की जाती हैं या स्कूल का समय बदल दिया जाता है।
  • ऑफिसों में: खासतौर पर सरकारी और निर्माण कार्यों में काम का समय सुबह और शाम में शिफ्ट किया जाता है।
  • यातायात/ट्रांसपोर्ट में: यात्रियों के लिए पेयजल की व्यवस्था, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर छांव और पंखों की व्यवस्था की जाती है।

WHO और भारत सरकार की ये चेतावनियाँ केवल कागज़ी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि हमारे जीवन रक्षक संकेत हैं। इनका पालन करके हम लू जैसे गंभीर खतरे से सुरक्षित रह सकते हैं। जान है तो जहान है, और गर्मी में सतर्कता ही सबसे बड़ा इलाज है।

लू से जुड़ी भ्रांतियाँ:

भ्रांतिसत्य
लू सिर्फ गांवों में लगती हैशहरों में भी तापमान ज्यादा होता है, खतरा उतना ही होता है
लू सिर्फ गरीबों को लगती हैअमीर हो या गरीब, अगर धूप में निकलें तो सबको खतरा
पसीना आना अच्छा लक्षण हैकभी-कभी पसीना आना बंद हो जाता है, जो खतरनाक है
सिर्फ पानी पीने से बचाव हो जाएगासंतुलित नमक-शक्कर का सेवन भी जरूरी है

लू से बचाव के लिए घरेलू नुस्खे:

  • आम पना: उबले कच्चे आम में जीरा, काला नमक और पुदीना मिलाएं
  • बेल शरबत: ठंडक देता है, डिहाइड्रेशन रोकता है
  • प्याज का रस: सिर पर लगाने से राहत मिलती है
  • तुलसी व गुलाब जल: शरीर को शीतलता देता है

अगर बाहर जाना जरूरी हो तो?

  • सिर, गर्दन, कान को पूरी तरह ढकें
  • सनस्क्रीन लगाएं (SPF 30+)
  • पानी की बोतल साथ रखें
  • धूप में पैदल न चलें – वाहन या सार्वजनिक साधन का प्रयोग करें

सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम:

  • सार्वजनिक स्थानों पर प्याऊ लगवाना
  • हीट हेल्थ एक्शन प्लान (HHAP)
  • गरीब और फुटपाथ पर रहने वालों के लिए अस्थायी आश्रय

निष्कर्ष:

गर्मी और लू की अनदेखी जानलेवा हो सकती है। लू एक “साइलेंट किलर” की तरह है जो बिना लक्षणों के भी गंभीर परिणाम दे सकती है। इस भीषण गर्मी में सतर्क रहना ही जीवन रक्षा का सबसे बड़ा उपाय है। समय पर सावधानी, सही खानपान और शरीर की देखभाल से हम न केवल लू से बच सकते हैं, बल्कि दूसरों को भी सुरक्षित रख सकते हैं।

आपकी सुरक्षा आपके हाथ में है – गर्मी को हल्के में न लें।

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