आज हम बात करेंगे कंधे से जुड़ी कई समस्या के बारे में कंधे की आमतौर पर जो बीमारी देखने को मिलती हैं वह बीमारी रोटेटर कफ टियर होती है जिसमे देखा गया है की पेशेंट के कंधे की मांसपेशियो में किसी प्रकार की क्षति पहुंच गई हो या कंधे बार-बार उतर जा रहे हो जिसे पोस्टीरियर डिसलोकेटेड शोल्डर कहा जाता है इसके अलावा जो समस्या ज्यादातर पेशेंट के सोल्डर में देखी जाती है उसे फ्रोजन शोल्डर बोलते हैं आज के इस लेख में हम विशेष तौर पर फ्रोजन शोल्डर के बारे में और frozen shoulder surgery cost की बात करेंगे ! इसके नाम से ही आप समझ सकते हैं सोल्डर का जाम हो जाना ! मेडिकल भाषा में इसे पेरीआर्थराइटिस भी बोला जाता है पेरीअर्थराइटिस का मतलब जोड़ के चारों ओर जो इनफ्लुएंस होता है उसे पेरीअर्थराइटिस बोला जाता है फ्रोजन शोल्डर का जो सबसे मुख्य लक्षण देखा गया है वह कंधे का जाम होना है , कंधे के जाम होने के अलावा कंधे में हल्का सा भी मूवमेंट या पीछे की पोजीशन में ले जाने में ज्यादा दर्द होता है यह दर्द पेशेंट को रात में अधिक होता है यदि हम पैथोलॉजी की बात करें तो फ्रोजन शोल्डर में कंधे की जो जाम हुयी पोजीशन है उसे जल्दी से रिलीज़ किया जाता है कंधे के जोड़ में चारों तरफ एक आवरण होता है जो एक कवच नुमा होता है जिसे कैप्सूल बोला जाता है, फ्रोजन शोल्डर के केस में इस कैप्सूल के अंदर सिकुड़न आने लगता है, कैप्सूल के अंदर कंधे के आगे वाले भाग पर और कंधे के निचे वाले भाग पर ये सिकुड़न ज्यादा देखने को मिलती है यही कारण है की पुरे हाथ को जब हम पीछे या ऊपर की तरफ लेकर जाते है तो हाथ पीछे नहीं जाता है ! यह बीमारी फीमेल में अधिक देखी जाती है 30 से लेकर 50 साल की उम्र के लोगों में यह बीमारी अधिक पायी जाती है !
पेशेंट के कंधे में चोट लगने से, कंधे में फ्रैक्चर होने से, या फिर रोटेटर कफ में ज्यादा गहरी चोट लगने से फ्रोजन शोल्डर जैसी बीमारी हो सकती है, डॉक्टर बताते है की सर्वाइकल में कोई गंभीर समस्या होने पर भी फ्रोजन शोल्डर जैसी समस्या हो सकती है इसका मुख्य कारण पेशेंट के कंधे को कई महीनों या साल तक एक ही स्थिति में स्थिर रखा गया हो उसमें किसी तरह का कोई मोमेंट नहीं किया गया हो, कंधे में लगातार दर्द बना रहता हो जिसके कारण कंधे में मोमेंट बहुत कम किया जाता रहा हो इन सभी कारणों से कंधे में एक प्रकार का स्टेप डेवलप हो सकता है जिसे मेडिकल भाषा में सेकेंडरी फ्रोजन शोल्डर बोला जाता है!
दूसरी अवस्था
दूसरी अवस्था जो होती है उसे बोला जाता है ड्राइवर फोल्डर फोल्डर या इंप्लीड फ्रोजन शोल्डर इसका मतलब यह होता है इसका कोई कारण नहीं होता परंतु इसके परंतु कई बार हमारे शरीर में इंट्रो फ्रेंड एंटीरियर है या डिजीज के अंदर यह हो सकता है और सबसे अहम रूप से देखा गया है कि मधुमेह, अतिसक्रिय थायराइड (अतिगलग्रंथिता),अंडरएक्टिव थायराइड, टीबी, हृदय रोग के अंदर भी फ्रोजन शोल्डर होने के काफी ज्यादा चांस होते हैं तो अब तक हमने जाना फ्रोजन शोल्डर क्या होता है उसके सिंगटम क्या-क्या होते हैं उसके होने के कारण क्या-क्या है अब हम बात करेंगे कि फ्रोजन शोल्डर का क्या क्या ट्रीटमेंट हो सकता है
फ्रोजन शोल्डर के लक्षण क्या-क्या है और ट्रीटमेंट
क्लिनिकल फाइंडिंग और हिस्ट्री
फ्रोजन शोल्डर की पहचान क्लीनिकल फाइंडिंग से हो जाती है कंधे के जॉइंट्स कितना स्टेबल हो गया है या रेंज ऑफ मोमेंट में कमी कितनी है डॉक्टर यह देखने की कोशिश करते हैं डॉक्टरhttps://www.apollo247.com/doctors यह देखने की कोशिश करते हैं कि पेशेंट का हाथ पीछे की तरफ कितना जा रहा है शोल्डर की मांसपेशियों में कितनी ताकत है यह सब देखकर डॉक्टर पेशेंट की पूरी हिस्ट्री लेने की कोशिश करते हैं कि पेशेंट को कोई गंभीर चोट तो नहीं लगी थी या फिर पेशेंट को लंबे समय से डायबिटीज या थायराइड की समस्या तो नहीं है अगर डॉक्टर को क्लिनिकल फाइंडिंग और हिस्ट्री के अकॉर्डिंग यह लगता है कि पेशेंट को रोटेटर कफ से संबंधित कोई समस्या है तो डॉक्टर पेशेंट को कंधे की MRI कराने की सलाह देते हैं!
फिजिकल थेरेपी और दवाइयों से
सारी रिपोर्ट और क्लीनिकल फाइंडिंग से डॉक्टर यह सुनिश्चित कर लेते है की यह फ्रोजन शोल्डर ही है तो पहला जो इलाज का तरीका होता है कि पेशेंट को कुछ एंटी इंफ्लेमेटरी दी जाती है और इसके साथ में कुछ फिजिकल थेरेपी भी दी जा सकती है फिजिकल थेरेपी और दवाइयों को देने का पहला उद्देश्य होता है कि जॉइन के दर्द को कम किया जाये , और फिजिकल थेरेपी के कुछ शेक होते हैं उसके द्वारा इस दर्द को कम किया जाता है!
रोटेटर कफ को स्ट्रेन देने वाली कसरत
पेशेंट के शोल्डर ज्वाइंट को खोलने का काम किया जाता है , मतलब रेंज ऑफ़ मूमेंट को बढ़ाने की कोशिश की जाती है जिसमें जॉइंट्स पे हल्का सा लोड देकर उसको मैनुअली प्रेशर देकर सोल्डर के जॉइंट को खोलने की कोशिश की जाती है जब जॉइंट में थोड़ा मोमेंट आ जाता है तो तीसरा उद्देश्या होता है कि आपकी ज्वाइंट की मसल को स्ट्रेन दिया जाए मतलब रोटेटर कफ को स्ट्रेन देने की जो कसरत होते हैं पेशेंट से करवाई जाती है अधिकतर कई बार यह देखा जाता है कि पेशेंट स्ट्रेन कसरत करने से कतराते है क्योंकि इस कसरत को करते वक़्त थोड़ा दर्द का सामना करना पड़ता है अगर रोटेटर कफ को स्ट्रेन देने वाली कसरत पेशेंट नहीं करते तो पेशेंट को रिकवरी सही से नहीं हो पाती है, पेशेंट को फिजियो थेरेपी के माध्यम से मरीज को फ्रोजन शोल्डर का इलाज दिया जा सकता है !
स्टेरॉयड्स के इंजेक्शन
फिजियोथैरेपी के बाद भी अगर पेशेंट को फायदा नहीं मिलता तो स्टेरॉयड्स के इंजेक्शन भी लगाए जा सकते हैं, परंतु यहां पर यह ध्यान देना होगा कि स्टेरॉयड्स के इंजेक्शन इंट्रामस्क्युलर यानी कि जॉइंट के अंदर अल्ट्रासाउंड की गाइडेंस में लगाई जाए !
कैप्सूल को डायलुट किया जाता है
यदि स्टेरॉयड्स के ऑप्शन में पेशेंट नहीं जाना चाहता तो दूसरा ऑप्शन में कैप्सूल अगर बहुत ज्यादा सिकुड़ गया है तो एक इंजेक्शन के द्वारा सेलाइन डालकर उस कैप्सूल को थोड़ा सा डायलुट किया जाता है कैप्सूल को थोड़ा सा रिलीज किया जाता है जैसे कि वह कैप्सूल थोड़ा रिलीज होता है सोल्डर का मोमेंट पहले के अपेछा बढ़ने लगता है!
Arthroscopic Adhesiolysis सर्जरी
एक दूरबीन मरीज के कंधे में डालकर कैप्सूल में जो एडहेसिव है जो पूरे कैप्सूल को टाइट कर के रखे हये है उन्हें रिलीज किया जाता है कैप्सूल को थोड़ा डायलुट किया जाता है जिससे कि पेशेंट के कैप्सूल के अंदर मोमेंट हो जाए इस सर्जरी में सोल्डर के आगे का कैप्सूल और नीचे के कैप्सूल दोनों ही भाग को एडहेसिव से रिमूव किया जाता है इस तकनीक का इस्तेमाल तभी करते हैं जब पहले बताए गए सारी तकनीक काम नहीं करती है तो arthroscopic adhesiolysis सर्जरी करके पेशेंट को आराम दिया जाता है !