Face Pigmentation(फेस पिगमेंटेशन)-11 Commonly Asked Questions
Face Pigmentation(फेस पिगमेंटेशन)-11 Commonly Asked Questions
फेस पिगमेंटेशन (Face Pigmentation) पे पूछे जाने वाले 11 common questions
Face Pigmentation – यह गाइड त्वचा में पिगमेंटेशन के कारणों, रोकथाम, उपचार और देखभाल के तरीकों को विस्तार से समझाने के लिए तैयार की गई है। पिगमेंटेशन एक आम समस्या है, जिससे दुनिया भर में कई लोग प्रभावित होते हैं। यह गहरे धब्बों, असमान त्वचा टोन या रंग परिवर्तन के रूप में दिखाई दे सकता है।
पिगमेंटेशन का मुख्य कारण त्वचा में मौजूद मेलेनिन नामक पिगमेंट का असमान उत्पादन होता है। यह उत्पादन सूरज की किरणों, हार्मोनल असंतुलन, त्वचा की चोटों, उम्र बढ़ने और अनुवांशिक प्रवृत्ति से प्रभावित हो सकता है।
इस गाइड में आप जानेंगे कि पिगमेंटेशन को कैसे रोका जा सकता है, जैसे कि सनस्क्रीन का नियमित उपयोग, त्वचा को हाइड्रेट रखना, सही स्किनकेयर उत्पादों का चयन, और स्वस्थ आहार अपनाना। इसके अलावा, हम टॉपिकल क्रीम्स, केमिकल पील्स, लेजर थेरेपी और प्राकृतिक उपचारों के माध्यम से पिगमेंटेशन के प्रभावी उपचारों पर भी चर्चा करेंगे।
चाहे आप हल्के या गहरे पिगमेंटेशन से जूझ रहे हों, यह गाइड आपको सही जानकारी और समाधान प्रदान करेगी, जिससे आप स्वस्थ और चमकती त्वचा पा सकें।
त्वचा में पिगमेंटेशन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. त्वचा में पिगमेंटेशन के क्या कारण होते हैं?
त्वचा में पिगमेंटेशन मुख्य रूप से मेलेनिन नामक रंगद्रव्य के उत्पादन में असंतुलन के कारण होता है। मेलेनिन का उत्पादन मेलानोसाइट कोशिकाओं द्वारा नियंत्रित होता है, और विभिन्न आंतरिक एवं बाहरी कारक इस प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं।
सूरज की हानिकारक पराबैंगनी (UV) किरणें त्वचा को नुकसान पहुँचाती हैं और मेलेनिन के उत्पादन को बढ़ाकर टैनिंग, सनस्पॉट या हाइपरपिगमेंटेशन का कारण बनती हैं। लंबे समय तक धूप में रहने से त्वचा पर गहरे धब्बे विकसित हो सकते हैं। हार्मोनल बदलाव भी एक प्रमुख कारण हैं, खासकर गर्भावस्था, मेनोपॉज, या गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन के दौरान। मेलाज्मा नामक स्थिति में त्वचा पर भूरे या धूसर रंग के धब्बे उभर सकते हैं।
इसके अलावा, किसी चोट, जलन, मुँहासे, या सूजन के बाद पोस्ट-इंफ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन (PIH) विकसित हो सकता है। उम्र बढ़ने के साथ त्वचा की कोशिकाओं का पुनर्जनन धीमा हो जाता है, जिससे डार्क स्पॉट्स अधिक स्पष्ट हो जाते हैं। आनुवंशिक कारणों से भी कुछ लोगों में पिगमेंटेशन की प्रवृत्ति अधिक होती है।
इसके अलावा, कुछ चिकित्सीय स्थितियाँ जैसे एडिसन रोग, लिवर से जुड़ी समस्याएँ और कुछ दवाएँ (एंटीबायोटिक्स, कीमोथेरपी आदि) त्वचा के रंग में असमान परिवर्तन ला सकती हैं।
Q2. मैं त्वचा में पिगमेंटेशन को कैसे रोक सकता हूँ?
त्वचा में पिगमेंटेशन को रोकने के लिए सही स्किनकेयर रूटीन और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना आवश्यक है। सबसे महत्वपूर्ण कदम सनस्क्रीन का नियमित उपयोग है। ब्रॉड-स्पेक्ट्रम SPF 30+ सनस्क्रीन लगाना UV किरणों से त्वचा की रक्षा करता है, जिससे टैनिंग और डार्क स्पॉट्स की संभावना कम होती है। साथ ही, धूप में निकलते समय टोपी, सनग्लास और सुरक्षात्मक कपड़े पहनना भी लाभकारी होता है।
तेज धूप के संपर्क से बचने के लिए सुबह 10 बजे से दोपहर 4 बजे के बीच धूप में जाने से बचना चाहिए, क्योंकि इस समय UV किरणें सबसे अधिक प्रभावशाली होती हैं। इसके अलावा, एक अच्छी स्किनकेयर रूटीन अपनाकर त्वचा को पोषण देना जरूरी है। एंटीऑक्सिडेंट्स जैसे विटामिन C और नियासिनामाइड युक्त उत्पादों का उपयोग करने से त्वचा को नुकसान से बचाया जा सकता है और दाग-धब्बे हल्के हो सकते हैं। साथ ही, त्वचा को हाइड्रेट रखना और मॉइस्चराइजर का उपयोग करना इसकी सुरक्षा को बढ़ाता है।
यदि पिगमेंटेशन हार्मोनल असंतुलन के कारण हो रहा है, तो डॉक्टर से परामर्श लेना महत्वपूर्ण है। मुहांसों को दबाने या त्वचा को खरोंचने से बचें, क्योंकि इससे पोस्ट-इंफ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन (PIH) हो सकता है। इन सावधानियों को अपनाकर आप त्वचा को स्वस्थ और पिगमेंटेशन मुक्त रख सकते हैं।
Q3. त्वचा में पिगमेंटेशन का इलाज कैसे किया जा सकता है?
पिगमेंटेशन का उपचार उसके प्रकार, गंभीरता और कारणों पर निर्भर करता है। इसके लिए विभिन्न उपचार विकल्प उपलब्ध हैं, जो त्वचा की देखभाल को प्रभावी बनाते हैं।
टॉपिकल उपचार में हाइड्रोक्विनोन शामिल है, जो एक प्रभावी स्किन-लाइटनिंग एजेंट है और मेलानिन के उत्पादन को नियंत्रित कर गहरे धब्बों को हल्का करता है। रेटिनोइड्स त्वचा कोशिकाओं के पुनर्जनन को तेज करते हैं, जिससे दाग-धब्बे धीरे-धीरे कम होते हैं। विटामिन C एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है, जो त्वचा को उज्जवल बनाता है और मुक्त कणों से सुरक्षा प्रदान करता है। एजेलिक एसिड मेलानोसाइट्स की अधिक सक्रियता को रोकता है और गहरे धब्बों को कम करने में मदद करता है।
इसके अलावा, केमिकल पील्स जैसे ग्लाइकोलिक, सैलिसिलिक और लैक्टिक एसिड त्वचा की ऊपरी परत को एक्सफोलिएट करते हैं, जिससे नई, स्वस्थ त्वचा उभरती है। लेजर थेरेपी, विशेष रूप से IPL और फ्रैक्शनल लेजर, गहरे पिगमेंटेशन को लक्षित करके मेलेनिन को तोड़ते हैं। माइक्रोडर्माब्रेशन और डर्माब्रेशन तकनीकें त्वचा की ऊपरी परत को हटाकर पिगमेंटेशन को कम करती हैं।
प्राकृतिक उपचारों में एलोवेरा, हल्दी, नींबू का रस (सावधानीपूर्वक), और ग्रीन टी एक्सट्रैक्ट शामिल हैं, जो त्वचा को पोषण देते हैं और दाग-धब्बों को हल्का करने में सहायक होते हैं।
Q4. त्वचा में पिगमेंटेशन के उपचार के क्या जोखिम होते हैं?
हालांकि पिगमेंटेशन के उपचार प्रभावी हो सकते हैं, लेकिन इनमें कुछ संभावित जोखिम भी जुड़े होते हैं, जिनका ध्यान रखना आवश्यक है। कुछ उपचारों के कारण त्वचा में जलन हो सकती है, जिससे लालिमा, खुजली, पीलापन और संवेदनशीलता बढ़ सकती है। विशेष रूप से, हाइड्रोक्विनोन, रेटिनोइड्स और केमिकल पील्स जैसी प्रक्रियाओं से त्वचा में हल्की जलन या सूखापन हो सकता है, जो समय के साथ ठीक हो सकता है।
गलत तरीके से किए गए उपचार से हाइपरपिगमेंटेशन बढ़ सकता है। उदाहरण के लिए, बहुत अधिक आक्रामक स्किनकेयर या लेजर थेरेपी के कारण त्वचा में जलन हो सकती है, जिससे पिगमेंटेशन और गहरा हो सकता है। इसके अलावा, यदि उपचार अत्यधिक आक्रामक हो या इसके बाद सही देखभाल न की जाए, तो त्वचा पर दाग-धब्बे या स्थायी निशान पड़ सकते हैं।
कुछ लोगों को कुछ स्किनकेयर उत्पादों से एलर्जी प्रतिक्रियाएँ हो सकती हैं, जिससे खुजली, रैशेज या सूजन हो सकती है। इसलिए, किसी भी नए उपचार को शुरू करने से पहले पैच टेस्ट करना जरूरी होता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि रोकथाम के उपाय जैसे सनस्क्रीन का नियमित उपयोग और स्किनकेयर रूटीन का पालन नहीं किया जाता है, तो पिगमेंटेशन दोबारा लौट सकता है। इसलिए, उपचार के साथ-साथ उचित देखभाल और सावधानियाँ बरतना आवश्यक है।
Q5. त्वचा में पिगमेंटेशन के उपचार के परिणाम कितने समय तक रहते हैं?
पिगमेंटेशन के उपचार के परिणाम व्यक्ति की त्वचा के प्रकार, उपचार के तरीके और अनुशासित स्किनकेयर रूटीन पर निर्भर करते हैं। टॉपिकल क्रीम, जैसे हाइड्रोक्विनोन, रेटिनोइड्स और विटामिन C, आमतौर पर 4 से 12 हफ्तों में धीरे-धीरे प्रभाव दिखाने लगती हैं, लेकिन निरंतर उपयोग आवश्यक होता है।
केमिकल पील्स त्वचा की ऊपरी परत को हटाकर पिगमेंटेशन को हल्का करती हैं, और इसके परिणाम कुछ महीनों तक दिख सकते हैं। हालांकि, उपचार के बाद सही देखभाल और सनस्क्रीन का उपयोग अनिवार्य होता है, क्योंकि त्वचा संवेदनशील हो जाती है।
लेजर थेरेपी सबसे प्रभावी उपचारों में से एक है और इसके दीर्घकालिक परिणाम मिल सकते हैं। लेकिन बेहतर परिणाम बनाए रखने के लिए फॉलो-अप सत्र और त्वचा की देखभाल आवश्यक होती है।
प्राकृतिक उपचार जैसे एलोवेरा, हल्दी और नींबू का रस धीरे-धीरे असर दिखाते हैं और इनका प्रभाव सीमित हो सकता है। ये हल्के मामलों में सहायक हो सकते हैं, लेकिन गहरे पिगमेंटेशन के लिए अधिक प्रभावी उपचारों की आवश्यकता पड़ सकती है। इसलिए, किसी भी उपचार के साथ धैर्य और निरंतरता बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
Q6. हाइपरपिगमेंटेशन के जोखिम को कैसे कम किया जा सकता है?
हाइपरपिगमेंटेशन के जोखिम को कम करने के लिए सही स्किनकेयर और जीवनशैली अपनाना बेहद जरूरी है। सबसे महत्वपूर्ण कदम नियमित रूप से सनस्क्रीन लगाना है। ब्रॉड-स्पेक्ट्रम SPF 30+ या अधिक वाला सनस्क्रीन UV किरणों से त्वचा की रक्षा करता है, जिससे टैनिंग और डार्क स्पॉट्स की संभावना कम होती है। सनस्क्रीन को हर 2-3 घंटे में दोबारा लगाना भी आवश्यक है, खासकर यदि आप धूप में अधिक समय बिताते हैं।
इसके अलावा, कठोर स्किनकेयर उत्पादों से बचना चाहिए। बहुत अधिक एक्सफोलिएशन, हार्श केमिकल युक्त क्रीम, या तेज़ एसिड वाले उत्पाद त्वचा को संवेदनशील बना सकते हैं और हाइपरपिगमेंटेशन को बढ़ा सकते हैं।
मुँहासों का समय पर इलाज करना भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर इन्हें अनदेखा किया जाए या बार-बार छेड़ा जाए, तो इससे पोस्ट-इंफ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन (PIH) हो सकता है। हल्के और त्वचा के अनुकूल उत्पादों का उपयोग करके मुहांसों को नियंत्रित किया जा सकता है।
एंटीऑक्सिडेंट युक्त स्वस्थ आहार लेना भी फायदेमंद होता है। विटामिन C, विटामिन E, ग्रीन टी, और अन्य एंटीऑक्सिडेंट त्वचा की रक्षा करने और रंगत को निखारने में मदद करते हैं।
अंत में, त्वचा को हाइड्रेट रखना आवश्यक है, जिससे त्वचा की प्राकृतिक बैरियर मजबूत होती है और हाइपरपिगमेंटेशन का खतरा कम होता है। पर्याप्त पानी पिएँ और मॉइस्चराइज़र का नियमित उपयोग करें।
Q7. त्वचा में पिगमेंटेशन को नियंत्रित कौन करता है?
त्वचा में पिगमेंटेशन को मुख्य रूप से मेलेनिन नामक पिगमेंट नियंत्रित करता है, जिसका उत्पादन मेलानोसाइट्स कोशिकाओं द्वारा किया जाता है। पिगमेंटेशन को प्रभावित करने वाले कई कारक होते हैं, जिनमें अनुवांशिकता, पर्यावरणीय प्रभाव, हार्मोनल बदलाव और त्वचा की क्षति शामिल हैं।
अनुवांशिकता आपकी त्वचा के प्राकृतिक रंग को निर्धारित करती है। यदि परिवार में गहरे या असमान पिगमेंटेशन की प्रवृत्ति रही है, तो आपकी त्वचा भी इससे प्रभावित हो सकती है।
सूरज की किरणें त्वचा के पिगमेंटेशन को नियंत्रित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। जब त्वचा UV किरणों के संपर्क में आती है, तो मेलेनिन का उत्पादन बढ़ जाता है, जिससे त्वचा पर टैनिंग, सन स्पॉट्स या मेलाज्मा जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
हार्मोनल असंतुलन भी पिगमेंटेशन को प्रभावित करता है। विशेष रूप से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन, गर्भावस्था, गर्भनिरोधक गोलियों और मेनोपॉज के दौरान त्वचा की रंगत में बदलाव ला सकते हैं।
त्वचा की क्षति, जैसे कि मुहांसे, जलन, घाव या सूजन, पोस्ट-इंफ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन (PIH) का कारण बन सकती है, जिससे प्रभावित क्षेत्र गहरे हो जाते हैं। इन सभी कारकों के कारण त्वचा का पिगमेंटेशन बदल सकता है।
Q8. पिगमेंटेशन का इलाज करने में कितना समय लगता है?
पिगमेंटेशन का इलाज करने के लिए विभिन्न उपचार उपलब्ध हैं, और उनका प्रभाव समय के साथ धीरे-धीरे दिखता है। टॉपिकल क्रीम्स, जैसे हाइड्रोक्विनोन, रेटिनोइड्स, और विटामिन C, नियमित उपयोग से 1 से 3 महीनों में परिणाम दिखा सकती हैं। हालांकि, निरंतर उपयोग और धैर्य आवश्यक होता है।
केमिकल पील्स, जैसे ग्लाइकोलिक, सैलिसिलिक, और लैक्टिक एसिड पील्स, त्वचा की ऊपरी परत को हटाकर नई त्वचा को उजागर करती हैं। आमतौर पर 2 से 6 सत्रों की आवश्यकता होती है, और 3 से 6 महीनों में महत्वपूर्ण सुधार देखा जा सकता है।
लेजर थेरेपी तेजी से परिणाम प्रदान कर सकती है, क्योंकि यह गहरे पिगमेंटेशन को लक्षित करती है। प्रभावी परिणाम के लिए 1 से 5 सत्रों की जरूरत पड़ सकती है, और कुछ हफ्तों में फर्क दिखने लगता है।
माइक्रोडर्माब्रेशन, जिसमें त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाकर पुनर्जीवन प्रक्रिया को तेज किया जाता है, 5 से 10 सत्रों के बाद अच्छे परिणाम दिखा सकता है। यह विधि हल्के से मध्यम पिगमेंटेशन के लिए उपयोगी होती है।
हालांकि, किसी भी उपचार के साथ नियमित देखभाल और सही स्किनकेयर रूटीन बेहद जरूरी है। बिना उचित देखभाल के, पिगमेंटेशन फिर से लौट सकता है, इसलिए सूरज से बचाव और मॉइस्चराइजिंग जैसी आदतें बनाए रखना आवश्यक है।
Q9. Pigmentation के लिए सर्वश्रेष्ठ आहार (Best Diet for Pigmentation)
Pigmentation को कम करने के लिए, एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर संतुलित आहार लेना जरूरी है। ये पोषक तत्व त्वचा को अंदर से पोषण देकर मेलेनिन उत्पादन को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
✅ विटामिन C युक्त आहार – संतरा, नींबू, अमरूद, कीवी, पपीता, टमाटर
✅ विटामिन E युक्त खाद्य पदार्थ – बादाम, अखरोट, सूरजमुखी के बीज, एवोकाडो
✅ विटामिन A (बीटा-कैरोटीन) युक्त आहार – गाजर, शकरकंद, पालक, कद्दू
✅ जिंक और सेलेनियम युक्त फूड्स – कद्दू के बीज, मशरूम, दालें, चिया सीड्स
✅ ओमेगा-3 फैटी एसिड्स – अलसी के बीज, चिया सीड्स, अखरोट, मछली
✅ प्राकृतिक डिटॉक्स फूड्स – हल्दी, हरी चाय, तुलसी, एलोवेरा
1. विटामिन C युक्त आहार
विटामिन C एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है, जो मेलेनिन के अतिरिक्त उत्पादन को नियंत्रित करता है और त्वचा को उज्जवल बनाता है। यह कोलेजन उत्पादन को भी बढ़ाता है, जिससे त्वचा अधिक हेल्दी और जवां दिखती है।
खाद्य स्रोत: संतरा, नींबू, अमरूद, कीवी, पपीता, टमाटर, स्ट्रॉबेरी।
2. विटामिन E युक्त खाद्य पदार्थ
विटामिन E त्वचा की कोशिकाओं को फ्री-रेडिकल डैमेज से बचाता है और प्राकृतिक मॉइस्चराइज़र की तरह काम करता है। यह हाइपरपिगमेंटेशन को कम करने में मदद करता है।
खाद्य स्रोत: बादाम, अखरोट, सूरजमुखी के बीज, एवोकाडो, जैतून का तेल।
3. विटामिन A (बीटा-कैरोटीन) युक्त आहार
विटामिन A त्वचा के पुनर्जीवन और डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करता है। बीटा-कैरोटीन एक प्राकृतिक त्वचा ब्राइटनर है, जो डार्क स्पॉट्स और हाइपरपिगमेंटेशन को कम करने में सहायक होता है।
खाद्य स्रोत: गाजर, शकरकंद, पालक, कद्दू, टमाटर।
4. जिंक और सेलेनियम युक्त फूड्स
जिंक और सेलेनियम त्वचा की मरम्मत और सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जिससे पिगमेंटेशन की समस्या धीरे-धीरे कम होती है।
खाद्य स्रोत: कद्दू के बीज, मशरूम, दालें, चिया सीड्स, अंडे।
5. ओमेगा-3 फैटी एसिड्स
ओमेगा-3 फैटी एसिड्स त्वचा की जलन और सूजन को कम करते हैं और त्वचा को अधिक हाइड्रेटेड और चमकदार बनाते हैं।
खाद्य स्रोत: अलसी के बीज, चिया सीड्स, अखरोट, मछली (सैल्मन, टूना)।
6. प्राकृतिक डिटॉक्स फूड्स
त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने के लिए डिटॉक्सिफिकेशन बहुत जरूरी है। ये फूड्स शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालते हैं और त्वचा को साफ और चमकदार बनाते हैं।
खाद्य स्रोत: हल्दी, हरी चाय, तुलसी, एलोवेरा, खीरा, नारियल पानी।
इन सभी पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेने से त्वचा की रंगत में सुधार होता है और पिगमेंटेशन धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसके साथ ही, पर्याप्त पानी पिएं और जंक फूड से बचें ताकि आपकी त्वचा प्राकृतिक रूप से स्वस्थ और निखरी हुई दिखे। 🌿💆♀️
Q10. आंतरिक रूप से रंजकता का इलाज कैसे करें? (How to Treat Pigmentation Internally?)
Pigmentation को अंदर से ठीक करने के लिए आपको लिवर डिटॉक्स, हार्मोन बैलेंस, और एंटीऑक्सिडेंट्स पर ध्यान देना होगा।
✔ हाइड्रेशन बनाए रखें – दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं।
✔ हेल्दी गट (आंत) के लिए प्रोबायोटिक्स लें – दही, किमची, किण्वित खाद्य पदार्थ लें।
✔ शरीर से टॉक्सिन निकालें – नींबू पानी, ग्रीन टी और डिटॉक्स जूस पिएं।
✔ शुगर और प्रोसेस्ड फूड से बचें – ये शरीर में सूजन (inflammation) बढ़ाते हैं, जिससे pigmentation खराब हो सकता है।
✔ आयरन और फोलिक एसिड लें – हरी सब्जियां, बीन्स, अनार, और बीट रूट खाएं।
Q11. Pigmentation के लिए कौन-सा पेय सबसे अच्छा है? (Which Drink is Best for Pigmentation?)
Pigmentation को कम करने के लिए कुछ खास ड्रिंक्स त्वचा को अंदर से पोषण देकर इसे स्वस्थ बनाने में मदद करते हैं।
🍹 नींबू और शहद वाला गुनगुना पानी – शरीर को डिटॉक्स करता है और त्वचा को ग्लोइंग बनाता है।
🍵 ग्रीन टी – एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होती है, जो फ्री-रेडिकल डैमेज से बचाती है।
🥕 गाजर और चुकंदर का जूस – विटामिन A और एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर, त्वचा को साफ और चमकदार बनाता है।
🥒 खीरे और पुदीना डिटॉक्स वॉटर – शरीर को ठंडा रखता है और सूजन को कम करता है।
🥭 पपीता स्मूदी – पपीते में पपेन नामक एंजाइम होता है, जो त्वचा की सफाई और पुनर्जीवन में मदद करता है।
अगर आप सही आहार और जीवनशैली अपनाएंगे, तो आंतरिक रूप से pigmentation को नियंत्रित किया जा सकता है। 🌿💆♀️
निष्कर्ष
त्वचा में पिगमेंटेशन को सही स्किनकेयर, रोकथाम और उपयुक्त उपचार से प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है। कुछ उपचार तेजी से परिणाम देते हैं, लेकिन लगातार देखभाल और धूप से बचाव महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसी भी उपचार को अपनाने से पहले त्वचा विशेषज्ञ से परामर्श करना सबसे अच्छा विकल्प होगा।