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बच्चेदानी का क्या है इलाज – bachedani ka operation

बच्चेदानी खराब होने का क्या कारण है

बच्चेदानी के खराब होने के कुछ मुख्य कारण हैं:

पेशेंट के बच्चेदानी में इंफेक्शन होने के कारण उसे तेज बुखार आने के साथ -साथ पेशाब करते वक्त असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है ! दैनिक दिनचर्या के बदलाव के करना संक्रामक रोगो का कई बार हाबी हो जाना भी एक कारण माना जाता है जिसके कारण पेशाब करने में असुविधा और दर्द जैसे लक्षण पेशेंट में पाये जाते हैं।

ज्यादा तर पेशेंट संक्रमण के कारण हो रहे दर्द को समझ ही नहीं पाती की ये दर्द किस कारण से हो रहा है, जिसका नतीजा ये होता है कि ये संक्रमण ग्रंथि संक्रमण में बदल जाता है जिससे पेशेंट को पेशाब करते वक्त असुविधा के साथ साथ दर्द भी अधिक होता है !

गर्भाशय का संक्रमण धीरे-धीरे बढ़ता रहता है, जिसका असर गर्भाशय की ग्रंथि पे पड़ने लगता है और वो खराब होने लगती है इस तरह के संक्रमण का पेशेंट सही समय पर जब इलाज नहीं लेता है तो ये संक्रमण बड़ा रूप ले लेता है जिसका दुस्ट प्रभाव बच्चेदानी पे पड़ता है और बच्चेदानी खराब होने लगती है । ऐसे में bachedani ka operation अंतिम विकल्प होता है

गर्भाशय के अंदर छोटे छोटे ऊतक बढ़ने लगते है जो की मशरूम की तरह दिखने वाले होते है ये गांठ बच्चेदानी को झति पहुँचती है जिसके कारण एक स्वस्थ बच्चेदानी भी बीमार पड़ने लगती है जिसकी वजह से परिणाम स्वरूप योनिमुख में संक्रमण और रक्तस्राव बढ़ जाता है!

 

bachedani ka operation

 

 

बच्चेदानी का क्या है इलाज

बच्चेदानी का इलाज पेशेंट को हो रही समस्या के अनुसार तय की जाती है जिसके लिए पेशेंट को एक प्रशिक्षित चिकित्सक (Gynecologists’) से परामर्श लेना होगा डॉक्टर पेशेंट की समस्याओं के अनुसार उसका क्या इलाज करना है तय करते है, https://www.apollo247.com/doctors बच्चेदानी से संबंधित कुछ मुख्य समस्याएं हैं, जिनका जिक्र हम आगे करने वाले है !

डॉक्टर पेशेंट के योनि में संक्रमण का पता कर पेशेंट को एंटीबायोटिक्स दवाओं का सेवन करने की सलाह देते है, योनि में संक्रमण होना एक आम बात बिल्कुल भी नहीं है, इस तरह की हो रही बीमारी कई और बीमारी को जन्म देती है इसलिए ऐसे में डॉक्टर की सलाह का पालन पेशेंट को ध्यान से करना चाहिए !

वेजाइनल फिस्टुला होने पर सर्जरी के माध्यम से इस बीमारी का इलाज किया जाता है। योनि के पास मौजूद अंग जैसे मूत्राशय, कोलन और मलाशय के जुड़ जाने की वजह से ये फिस्टुला बनता है जिसे वेजाइनल फिस्टुला कहा जाता है। वेजाइनल फिस्टुला के कारण योनि तथा मूत्र मार्ग में संक्रमण अत्यधिक बढ़ जाता है जिसके कारण योनि से बदबू भी आ सकती है !

पेशेंट गर्भाशय से जुड़ी हुई समस्या जब डॉक्टर के पास लेकर जाते है तो जरुरी नहीं है की डॉक्टर पेशेंट को सर्जरी के लिए ही बोले !पेशेंट की समस्या गंभीर ना होने पर डॉक्टर दवाओं के माध्यम से भी इलाज करने की सलाह देते है ! ये दवाईया गर्भाशय के संक्रमण के साथ -साथ अगर कोई गांठ है तो उनके लिए भी हो सकती है !

गर्भाशय जैसी समस्या अगर किसी महिला को है, तो डॉक्टर ऐसी बीमारी में bachedani ka operation का विकल्प तभी चुनते है, जब पेशेंट की जान पर खतरा हो या फिर गर्भाशय में बढ़ रहा ट्यूमर बड़े कैंसर का रूप ले रहा हो ! ऐसे में डॉक्टर हिस्टेरेक्टोमी सर्जरी करने की सलाह देते है ! कई स्थितियों में देखा गया है की अगर पेशेंट की उम्र ज्यादा है और संक्रमण की समस्या बार -बार बनी रहती है तो ऐसे पेशेंट का भी गर्भाशय बाहर निकाल देना ही डॉक्टर बेहतर समझते है !

ध्यान दे की बच्चेदानी से जुड़ी हुई समस्या होने पर एक बेहतर अस्पताल के साथ -साथ एक अनुभवी डॉक्टर का ही चयन करे गर्भाशय से जुड़ी हुई हर हो रही परेशानी को डॉक्टर से चर्चा करके ही bachedani ka operation करवाये , क्योंकि गर्भाशय एक महिला के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है !

बच्चेदानी का ऑपरेशन क्यों किया जाता है

बच्चेदानी की बीमारी में डॉक्टर के लिए ऑपरेशन करना सबसे अंतिम विकल्प होता है जब किसी पेशेंट के गर्भाशय के रोग दवाओं और अन्य उपचारो से ठीक नहीं होते है और अगर बच्चेदानी में होने वाला संक्रमण, ट्यूमर और कैंसर अगर तेजी से बढ़ रहा हो, जिससे पेशेंट की जान को भी खतरा हो सकता है तो ऐसी स्थितियों में डॉक्टर द्वारा पेशेंट की हिस्टेरेक्टोमी सर्जरी कर दी जाती है !

गर्भाशय निकालने के बाद शरीर में क्या होता है

 

बच्चेदानी के ऑपरेशन के बाद क्या क्या परहेज करना चाहिए

ऑपरेशन के बाद डॉक्टर द्वारा बताये हुए सारे निर्देशों का पालन नियमित रूप से करे, और डॉक्टर द्वारा बताये गए परहेज को अनुशासित होकर माने ! याद रखे डॉक्टर द्वारा की गयी सर्जरी के बाद सर्जरी को पूर्ण रूप से सफल बनाने में डॉक्टर द्वारा बताये गए निर्देश का पालन और परहेज एक अहम भूमिका अदा करते है !

 

यह सुझाव सिर्फ आम जानकारी देने के लिए हैं, यदि आप बच्चेदानी जैसी बीमारी से पीड़ित हैं, तो आपको डॉक्टर की सलाह और परामर्श का पालन करना चाहिए।

 

FAQ

Question : आपको कैसे पता चलेगा कि आपका गर्भाशय कमजोर है?

पेशेंट को मूत्राशय करते वक़्त दर्द के साथ रुकावट का सामना करना पड़ता है गर्भाशय के अंदर छोटे छोटे ऊतक बढ़ने लगते है जो की मशरूम की तरह दिखने वाले होते है ये ऊतक योनि से बाहर महसूस होने लगते है !

Question : गर्भाशय को क्या मजबूत बनाता है?

गर्भाशय को मजबूत और स्वस्थ रखने के लिए एक महिला को सही मात्रा में पौष्टिक आहार लेना अति आवश्यक होता है, पौष्टिक आहार में महिला को फोलिक एसिड और बीटा-कैरोटीन जैसे तत्वों का सेवन अधिक मात्रा में करनी चाहिए !

Question : बच्चेदानी का ऑपरेशन कितने दिन में ठीक हो जाता है?

बच्चेदानी की सर्जरी करने के बाद डॉक्टर पेशेंट को अस्पताल में ही 3 से 4 दिन के लिए रोकते है , पेशेंट का ट्रीटमेंट अस्पताल में ही डॉक्टरों की निगरानी में ३ से 4 दिन चलता है डॉक्टर को लगता है की पेशेंट की सर्जरी के बाद रिकवरी अच्छी हो रही है तब ही पेशेंट को अस्पताल से डिस्चार्ज करने की सलाह डॉक्टर देते है ! डिस्चार्ज के बाद पेशेंट को पूरी तरह से रिकवर होने में 1 से दो महीने लग सकते है , जिसके दौरान पेशेंट को समय -समय पर डॉक्टर के पास फ़ॉलोअप के लिए जाना होता है और डॉक्टर द्वारा दी गयी दवाईया नियमित रूप से लेनी होती है , इस दौरान पेशेंट को ज्यादा मेहनत वाला कार्य और ज्यादा वजन नहीं उठाने की सलाह डॉक्टर देते है !

Question : बच्चेदानी में बीमारी कैसे होती है?

बच्चेदानी की बीमारी का मुख्य कारण बैक्टीरिया होता है जो प्रसव या अन्य किसी सर्जरी के दौरान अंदर प्रवेश करता है धीमे -धीमे ये बैक्टीरिया बच्चेदानी में संक्रमण पैदा करते है ! बच्चेदानी की सर्जरी करने की सलाह डॉक्टर तभी देते है जब किसी पेशेंट के रोग का संक्रमण या अन्य बीमारी दवाओं और अन्य उपचारो से ठीक नहीं होती है ! अगर बच्चेदानी में होने वाला संक्रमण, ट्यूमर और कैंसर अगर तेजी से बढ़ रहा हो, जिससे पेशेंट की जान को भी खतरा हो सकता है तो ऐसी स्थितियों में डॉक्टर द्वारा पेशेंट की हिस्टेरेक्टोमी सर्जरी कर दी जाती है !

Question : बच्चेदानी खराब होने के लक्षण क्या होते हैं?

बच्चेदानी के ख़राब होने में सबसे मुख्य कारण महिलाओं के पीरियड्स में बदलाओ होना माना जाता है जब महिला को पीरियड्स ज्यादा आने लगे तो संक्रमण का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है !

 

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