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सांस लेने में दिक्कत कब और क्यों होती है? – कारण, इलाज और घरेलू उपाय

सांस लेने में दिक्कत कब और क्यों होती है? – कारण, इलाज और घरेलू उपाय

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1 सांस लेने में दिक्कत कब और क्यों होती है? – कारण, इलाज और घरेलू उपाय

सांस लेना जीवन की सबसे बुनियादी प्रक्रिया है, जो हमारे शरीर की हर कोशिका को ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती है। जब इस सहज प्रक्रिया में रुकावट आती है, तो यह केवल असहजता तक सीमित नहीं रहती, बल्कि गंभीर स्वास्थ्य संकट का संकेत भी हो सकती है। सांस लेने में तकलीफ या डिस्प्निया (Dyspnea) एक आम समस्या है, लेकिन इसके पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं – जैसे अस्थमा, हृदय रोग, गैस, तनाव, मोटापा, संक्रमण, या किसी अन्य गंभीर बीमारी का संकेत।

सांस लेने में दिक्कत कब होती है?

1. शारीरिक परिश्रम के बाद – तेज़ चलना, दौड़ना, सीढ़ियाँ चढ़ना जैसी गतिविधियों के बाद सांस फूलना सामान्य हो सकता है, लेकिन यदि यह अक्सर और ज़्यादा समय तक रहता है, तो यह फेफड़ों या दिल की कमजोरी का संकेत हो सकता है।

2. नींद के दौरान – कुछ लोगों को सोते समय सांस फूलने या घुटन जैसी स्थिति महसूस होती है। यह स्लीप एपनिया, एसिड रिफ्लक्स, या हृदय संबंधी रोग का लक्षण हो सकता है।

3. ठंडी हवा या धूल में – एलर्जी, अस्थमा या प्रदूषण के कारण वायुमार्ग में सूजन हो सकती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है।

4. मानसिक तनाव और चिंता में – अत्यधिक तनाव, घबराहट या पैनिक अटैक के दौरान लोग तेज़ सांस लेने लगते हैं या उन्हें दम घुटने का एहसास होता है।

5. भोजन के बाद – विशेषकर जब भोजन हैवी हो या गैस बनती हो, तो डायाफ्राम पर दबाव पड़ता है और सांस लेने में तकलीफ होती है।

6. गंभीर रोगों में – फेफड़ों की बीमारी जैसे अस्थमा, टीबी, सीओपीडी या दिल की समस्याओं में यह एक प्रमुख लक्षण हो सकता है।

7. कोरोना संक्रमण में – COVID-19 वायरस फेफड़ों पर असर डालता है जिससे ऑक्सीजन का प्रवाह बाधित होता है, और सांस लेना मुश्किल हो सकता है।

सही समय पर कारणों की पहचान और उपचार सांस से जुड़ी किसी भी गंभीर स्थिति से बचा सकता है।

सांस लेने में दिक्कत क्यों होती है?

इसकी कई चिकित्सकीय और गैर-चिकित्सकीय वजहें हो सकती हैं:

(i) फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं

(ii) हृदय की समस्याएं

(iii) पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं

(iv) मानसिक कारण

(v) मोटापा और व्यायाम की कमी

(vi) COVID-19 और अन्य वायरल संक्रमण

गैस के कारण सांस लेने में दिक्कत

हमारा पाचन तंत्र और श्वसन तंत्र आपस में जुड़े हुए हैं। जब पेट में गैस बनती है, विशेषकर बड़ी आंत या पेट के ऊपरी हिस्से में, तो इससे डायाफ्राम (diaphragm) पर दबाव पड़ता है। डायाफ्राम वह पेशी है जो फेफड़ों को फैलने और सिकुड़ने में मदद करती है। इस पर दबाव पड़ने से छाती में भारीपन महसूस होता है और फेफड़ों का फैलाव बाधित होता है, जिससे सांस फूलने या ठीक से सांस न आने जैसी परेशानी होती है। यह स्थिति खासकर तब ज़्यादा खतरनाक लगती है जब व्यक्ति पहली बार इसका अनुभव करता है, क्योंकि यह दिल के दौरे जैसे लक्षण उत्पन्न कर सकती है।

गैस से संबंधित प्रमुख लक्षण:

  • पेट फूलना – गैस जमने से पेट कड़ा और फूला हुआ महसूस होता है।

  • डकारें आना – गैस बाहर निकलने का एक प्राकृतिक तरीका है, लेकिन लगातार डकारें आना गैस की अधिकता दर्शाता है।

  • सीने में जलन – अम्लता के कारण पेट की गैस गले तक चढ़ सकती है, जिससे जलन होती है।

  • सांस फूलना – छाती पर दबाव और बेचैनी की वजह से गहरी सांस लेना मुश्किल हो सकता है।

  • बेचैनी – गैस से पेट और सीने में असहजता होती है, जिससे मानसिक बेचैनी भी हो सकती है।

घरेलू समाधान:

  • अजवाइन + काला नमक – एक चुटकी अजवाइन में थोड़ा काला नमक मिलाकर चबाने से गैस निकलती है और तुरंत राहत मिलती है।

  • गर्म पानी का सेवन – गुनगुना पानी गैस को बाहर निकालने और पाचन सुधारने में मदद करता है।

  • लेमन टी या सौंफ की चाय – ये चाय पेट को ठंडक देती है और गैस को शांत करती है।

  • पेट को सीधा रखना – खाने के तुरंत बाद लेटने की बजाय सीधे बैठें ताकि गैस ऊपर की बजाय नीचे की ओर निकल सके।

अगर गैस से जुड़ी सांस की दिक्कत बार-बार हो रही हो, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें क्योंकि यह गट डिसऑर्डर या पाचन से जुड़ी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है।

सोते समय सांस लेने में दिक्कत

सोते समय यदि अचानक सांस फूलने लगे, दम घुटने लगे या व्यक्ति हड़बड़ाकर उठ जाए, तो यह नींद में सांस रुकने की समस्या का संकेत हो सकता है। कई बार लोग इसे सामान्य थकान या मौसम की वजह मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह स्थिति कई कारणों से जुड़ी हो सकती है और समय पर इसका इलाज जरूरी होता है।

संभावित कारण:

  1. स्लीप एपनिया (Sleep Apnea):
    यह एक गंभीर नींद संबंधी विकार है जिसमें नींद के दौरान सांस कई बार रुकती है। इसके लक्षणों में तेज खर्राटे, बार-बार नींद खुलना, और थकान शामिल हैं। यह स्थिति अधिकतर मोटापे या गर्दन की चौड़ाई बढ़ने से होती है, जिससे वायुमार्ग संकरा हो जाता है।

  2. दिल की कमजोरी (Congestive Heart Failure):
    जब हृदय शरीर में रक्त को सही तरीके से पंप नहीं कर पाता, तो फेफड़ों में द्रव भरने लगता है जिससे रात में लेटने पर सांस लेने में तकलीफ होती है।

  3. अस्थमा:
    कुछ लोगों को रात्रि-कालीन अस्थमा होता है, जिसमें फेफड़ों में सूजन या बलगम के कारण रात में सांस लेने में दिक्कत होती है।

  4. गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिज़ीज (GERD):
    जब पेट का एसिड ऊपर की ओर बढ़ता है और श्वास नली को प्रभावित करता है, तो इससे घुटन और सांस की परेशानी हो सकती है, विशेष रूप से लेटने के बाद।

घरेलू उपाय:

नींद के दौरान सांस की समस्या को हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है। समय रहते सही पहचान और उपचार जरूरी है।

अचानक सांस लेने में दिक्कत होना

अगर किसी व्यक्ति को अचानक से सांस लेने में तकलीफ होने लगे, या ऐसा लगे कि दम घुट रहा है, तो यह स्थिति गंभीर हो सकती है और तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है। ऐसी परिस्थिति न केवल डरावनी होती है, बल्कि कई बार यह जीवन के लिए खतरा भी बन सकती है। इसलिए इसके पीछे के कारणों को जानना और तुरंत सही कदम उठाना बेहद जरूरी है।

संभावित कारण:

  1. दमा (Asthma) का तीव्र दौरा:
    जिन लोगों को अस्थमा होता है, उन्हें अचानक ट्रिगर (जैसे धूल, पराग, ठंडी हवा, व्यायाम) मिलने पर सांस फूलने की शिकायत हो सकती है। तेज़ खाँसी, घरघराहट, और सीने में जकड़न इसके लक्षण हैं।

  2. एलर्जी का तीव्र प्रभाव (Anaphylaxis):
    किसी विशेष खाद्य पदार्थ, दवा, या कीट काटने से शरीर में तीव्र एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है। इससे गला सूज सकता है, सांस की नली सिकुड़ सकती है और व्यक्ति बेहोश भी हो सकता है।

  3. दिल का दौरा (Heart Attack):
    सीने में तेज़ दबाव या दर्द, पसीना, घबराहट और सांस फूलना – ये सब दिल के दौरे के संकेत हो सकते हैं। महिलाओं में यह लक्षण थोड़ा अलग भी हो सकते हैं जैसे उल्टी या थकान।

  4. पल्मोनरी एम्बोलिज़्म (Pulmonary Embolism):
    जब फेफड़ों की किसी रक्त वाहिका में खून का थक्का फंस जाता है, तो यह अचानक और तीव्र सांस की कमी का कारण बन सकता है।

  5. घबराहट या पैनिक अटैक:
    तनाव या डर की वजह से भी व्यक्ति को ऐसा लग सकता है कि उसे सांस नहीं आ रही। इसका शारीरिक रूप में असर दिल की धड़कन तेज़ होना, कंपकंपी, और पसीना आना होता है।

क्या करें?

यह ध्यान रखें कि यदि सांस की तकलीफ एकाएक और तीव्र हो, तो यह केवल मानसिक कारण नहीं बल्कि गंभीर शारीरिक स्थिति का संकेत हो सकता है। ऐसे में देर करना घातक हो सकता है।

सांस लेने में दिक्कत के घरेलू उपचार

जब सांस लेने में परेशानी प्रारंभिक अवस्था में हो और कोई बड़ी चिकित्सकीय आपात स्थिति न हो, तो कुछ घरेलू उपाय राहत पहुंचा सकते हैं। ये उपाय फेफड़ों को साफ करने, श्वसन तंत्र को मजबूत बनाने और कफ व बलगम को दूर करने में मदद करते हैं। नीचे कुछ असरदार घरेलू नुस्खे दिए गए हैं:

(i) भाप लें (Steam Inhalation)

गर्म पानी में विक्स या यूकेलिप्टस ऑयल की कुछ बूंदें डालकर भाप लेने से बंद नाक और छाती में जमा बलगम ढीला होता है। यह उपाय अस्थमा, सर्दी या हल्के संक्रमण में बहुत राहत देता है।

👉 कैसे करें:
एक बर्तन में गर्म पानी लेकर उसमें विक्स डालें। तौलिया से सिर ढंक कर 5-10 मिनट तक भाप लें।

(ii) तुलसी, शहद और अदरक का मिश्रण

तुलसी के पत्ते, अदरक का रस और शहद मिलाकर लेने से कफ और गले की सूजन में आराम मिलता है। यह मिश्रण फेफड़ों को साफ करता है और इम्युनिटी भी बढ़ाता है।

👉 कैसे लें:
5 तुलसी के पत्ते, आधा चम्मच अदरक का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार लें।

(iii) हल्दी वाला दूध

हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। यह फेफड़ों की सूजन और संक्रमण में उपयोगी है।

👉 कैसे लें:
एक कप गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर रात को सोने से पहले पिएं।

(iv) प्राणायाम और गहरी सांस लेना

योग में कई प्राणायाम हैं जो फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने और श्वसन मार्ग को साफ करने में सहायक होते हैं। इनमें अनुलोम विलोम, कपालभाति, और भ्रामरी विशेष रूप से लाभदायक हैं।

👉 प्रत्येक प्राणायाम 5–10 मिनट करें, सुबह खाली पेट।

(v) अजवाइन का सेवन

अजवाइन गैस, जकड़न और कफ से राहत दिलाने वाला पारंपरिक उपाय है। यह श्वसन प्रणाली को खोलने में भी मदद करता है।

👉 कैसे लें:
1 चम्मच अजवाइन को गर्म पानी के साथ खाएं या अजवाइन को भूनकर सूती कपड़े में बांधकर सूंघें।

इन उपायों को अपनाते समय यह ध्यान रखें कि अगर सांस की दिक्कत लगातार बनी रहती है या बढ़ रही है, तो घरेलू उपायों पर निर्भर न रहें और तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें। घरेलू उपाय सिर्फ प्रारंभिक राहत के लिए होते हैं, न कि गंभीर बीमारियों का इलाज।

सांस लेने में दिक्कत हो तो क्या करें (COVID-19 के दौरान)

कोरोना संक्रमण ने सांस संबंधी समस्याओं को गंभीर और व्यापक बना दिया। इस वायरस का सीधा प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है, जिससे श्वसन प्रक्रिया प्रभावित होती है। यदि किसी को COVID-19 के दौरान सांस लेने में तकलीफ हो रही हो, तो यह स्थिति चिंताजनक हो सकती है और तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

कोरोना में सावधानियां:

  1. पल्स ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन स्तर जांचना:
    घर में एक पल्स ऑक्सीमीटर जरूर रखें।
    • सामान्य ऑक्सीजन स्तर: 95% से ऊपर
    • अगर स्तर 94% से नीचे हो जाए, तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करें।
  2. स्टीम और आयुर्वेदिक काढ़ा लेना:
    दिन में 2-3 बार भाप लेना बंद नाक और गले की खराश से राहत देता है। तुलसी, अदरक, लौंग, दालचीनी आदि से बना काढ़ा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
  3. बेली ब्रीदिंग एक्सरसाइज (Diaphragmatic Breathing):
    इससे फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है।
    • पेट के बल लेटकर गहरी और धीमी सांस लें
    • 4 सेकंड सांस लें, 6 सेकंड रोकें, और 8 सेकंड में छोड़ें
  4. अधिक से अधिक आराम करें:
    शरीर की ऊर्जा का उपयोग रोग से लड़ने में हो, इसके लिए भरपूर आराम ज़रूरी है।

ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के उपाय:

सांस लेने में दिक्कत हो तो क्या खाना चाहिए?

फेफड़ों को मजबूत और संक्रमण से लड़ने में मदद करने के लिए भोजन का भी बड़ा योगदान होता है। कुछ खाद्य पदार्थ सांस लेने में राहत दे सकते हैं, वहीं कुछ चीजें तकलीफ को बढ़ा सकती हैं।

क्या खाना चाहिए?

  1. अदरक:
    सूजन कम करने वाला तत्व है। कफ को ढीला करता है और गले को साफ करता है।
  2. लहसुन:
    एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुणों से भरपूर। फेफड़ों को साफ करने में सहायक।
  3. हल्दी:
    इसमें करक्यूमिन नामक तत्व होता है जो सूजन कम करता है और फेफड़ों की रक्षा करता है।
  4. सेब और बेरीज़:
    इन फलों में भरपूर एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो श्वसन प्रणाली को स्वस्थ रखते हैं।
  5. ग्रीन टी:
    इसमें फ्लेवोनॉइड्स होते हैं जो एलर्जी और सूजन को कम करते हैं। यह गले की खराश से भी राहत देती है।
  6. पानी:
    शरीर को हाइड्रेट रखना बलगम को पतला करने में मदद करता है और कफ बाहर निकलने में सहायक होता है।
  7. सूखे मेवे:
    बादाम और अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं जो फेफड़ों को मजबूत बनाते हैं।

क्या ना खाएं?

  1. जंक फूड:
    इनमें ट्रांस फैट और संरक्षक होते हैं जो शरीर में सूजन बढ़ा सकते हैं।
  2. बासी भोजन:
    बासी खाना पाचन तंत्र को कमजोर कर सकता है और गैस की समस्या से श्वसन में और दिक्कत हो सकती है।
  3. डेयरी उत्पाद (अगर कफ हो):
    दूध और पनीर जैसी चीजें कुछ लोगों में कफ बढ़ा सकती हैं। अगर कफ बना रहता है तो डेयरी से परहेज करें।
  4. तला-भुना खाना:
    यह पाचन में भारी होता है और गैस व एसिडिटी बढ़ाकर डायाफ्राम पर दबाव डाल सकता है, जिससे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।

नोट: यदि आपकी सांस की समस्या बढ़ रही है, घरेलू उपाय असफल हो रहे हैं या लक्षण लंबे समय तक बने हुए हैं, तो यह किसी गहरी समस्या का संकेत हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह लेना ही सर्वोत्तम उपाय है।

सांस फूलने की दवा (Sans Phulne Ki Dava)

अगर सांस लगातार फूल रही है, तो डॉक्टर से परामर्श ज़रूरी है। फिर भी कुछ आम दवाएँ जो डॉक्टर सुझा सकते हैं:

(i) ब्रोंकोडायलेटर इनहेलर:

(ii) स्टेरॉयड इनहेलर:

(iii) एंटीहिस्टामिनिक:

(iv) एसिडिटी की दवा:

(v) गैस की दवा:

नोट: कोई भी दवा बिना डॉक्टर की सलाह के न लें।

निष्कर्ष (Conclusion)

सांस लेने में दिक्कत को नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है। यह छोटी परेशानी लग सकती है लेकिन इसके पीछे गंभीर बीमारी छिपी हो सकती है। यदि समस्या बार-बार हो रही है या अचानक शुरू हुई है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही, जीवनशैली में बदलाव, खानपान का ध्यान और योग-प्राणायाम से इस समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है।

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