इंग्लैंड के राजा जॉर्ज तृतीय बहुत ही शक्तिशाली राजा थे ! उनके गुस्से की चर्चा दूर-दूर तक होती थी और यही कारण था की उनसे सभी लोग बहुत डरते थे ! एक शक्तिशाली राजा होने में उनके गुस्से का बहुत बड़ा योगदान था , उनका गुस्सा इतना भयानक था की जरा सी छोटी छोटी बातों पे भी वो लोगो को सजा दे बैठते थे ! एक बार मौसम में अचानक बदलाओ के कारण राजा की तबियत बहुत ज्यादा ख़राब हो गयी ! राज्य के कई डॉक्टर से बात की गयी लेकिन राजा के गुस्से के कारण कोई भी डॉक्टर उनका इलाज़ करने को तैयार नहीं हो रहा था ! बहुत तलाश के बाद एक गॉव का सीधा -साधा डॉक्टर राजा का इलाज़ करने के लिए तैयार हो गया !
सफलता जरूर मिलती है- short kahani in hindi
डॉक्टर जब इलाज़ करने के के लिए अपने घर से निकला था तो उसके शुभचिंतक ने उसे राजा के गुस्से से अवगत कराया की अगर इलाज़ करते वक़्त कोई चूक हुई तो राजा बड़ी से बड़ी सजा दे सकता है !
डॉक्टर ने सभी से कहा की, ” जो होगा देख लेंगे !” यह कह कर वह महल की तरफ निकल पड़ा !
डॉक्टर जब महल में प्रवेश किया तो सभी लोग उसे बड़ी हैरानी से देख रहे थे ! क्योंकि बड़ी मस्कत के बाद कोई डॉक्टर राजा के इलाज़ के लिए तैयार हुआ था ! डॉक्टर जब राजा के रूम में पंहुचा तो देखा की राजा बेहोशी के हालत में है ! डॉक्टर ने तुरंत राजा की ब्लड जाँच के लिए उनके शरीर से ब्लड निकाला ! और जाँच के लिए भेज दिया ! जाँच और इलाज के बाद राजा के तबियत में सुधार होने लगा और वो बेहोशी से बाहर आ गये !
राजा को जब अपने कर्मचारियों से पता चला की डॉक्टर ने बिना राजा के इजाजत के उनके शरीर से ब्लड निकाला है तो राजा गुस्से से लाल हो गया और डॉक्टर की तरफ देखते हुए बोला , ” तुमने बिना मेरी इजाजत के मेरे शरीर से ब्लड कैसे निकाला ? तुम्हें इसकी सजा मिलेंगी !
डॉक्टर बहुत ही सीधा -साधा था उसने शान्त शब्दो में राजा से कहा, ” बेशक आप मुझे सजा दीजिए महाराज परन्तु आप इस हालत में नहीं थे की आपसे इजाजत ली जाती !”
राजा डॉक्टर की यह बात सुनकर शांत हो गया ! डॉक्टर ने पुरे दिन राजा की देख भाल में राजा के पास ही रहने लगा ! और तब -तक राजा की सेवा करता रहा जबतक राजा पूरी तरह से ठीक नहीं हो गए ! राजा ने डॉक्टर की सेवा से खुश होकर उसे अपना निजी डॉक्टर नियुक्त कर दिया !
कई दिनों के बाद जब डॉक्टर अपने घर लौटा तो सभी जानने के लिए उत्सुक थे की डॉक्टर राजा के गुस्से से अपने आप को कैसे बचाया ! जब दूसरे डॉक्टर ने उससे पूछा की राजा के इलाज करते वक़्त क्या तुम्हे तनिक भी डर नहीं लगा तो उसने कहा, “मेरा आत्मविश्वाश ही था जो मुझे डरने नहीं दिया और बिना डरे मैं राजा का इलाज सही से कर पाया !
कहानी का सार :-
जो लोग बिना डरे आत्मविश्वाश के साथ अपने काम को करते रहते है, उन्हें सफलता जरूर मिलती है !