बिहार के पारंपरिक भोजन लिट्टी-चोखा और खाजा बनाने की विधि
बिहार के पारंपरिक भोजन
बिहार के पारंपरिक भोजन लिट्टी-चोखा और खाजा बनाने की विधि
1. लिट्टी-चोखा: बिहार की पाक धरोहर का प्रतीक है
2. खाजा: बिहार का मीठा पकवान है
बिहार: एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर
बिहार, भारत का एक प्राचीन और ऐतिहासिक राज्य है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी हिस्से में स्थित है। यह राज्य अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक महत्व और शैक्षिक योगदान के लिए प्रसिद्ध है। बिहार का इतिहास हजारों साल पुराना है और यह भारतीय सभ्यता के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहाँ की भूमि पर कई महान ऐतिहासिक घटनाएँ घटी हैं, जो न केवल भारत बल्कि पूरे दुनिया के इतिहास को प्रभावित करती हैं।
बिहार का नाम इतिहास में कई महान शासकों, धार्मिक नेता और दार्शनिकों से जुड़ा हुआ है। यहाँ का ऐतिहासिक महत्व, विशेष रूप से प्राचीन मगध साम्राज्य के समय, बहुत विशाल रहा है। पटना, जो बिहार की राजधानी है, प्राचीन काल में पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था और यह मौर्य और गुप्त साम्राज्य का प्रमुख केंद्र था। पाटलिपुत्र को एक महान शहर के रूप में जाना जाता था, जहां से भारतीय सभ्यता के कई महत्वपूर्ण आंदोलन और शासकीय निर्णय हुए थे।
इसके अलावा, बिहार धार्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। बिहार में गया और बोधगया जैसी जगहें हैं, जो बौद्ध धर्म के लिए अत्यधिक पवित्र मानी जाती हैं। बोधगया वह स्थल है जहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान की प्राप्ति की थी। यह जगह न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बल्कि पूरे विश्व में धार्मिक पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुकी है। इसके अलावा, बिहार में हिंदू धर्म से संबंधित कई प्रसिद्ध स्थल भी हैं, जैसे कि नालंदा, जो प्राचीन समय में एक प्रमुख शिक्षा केंद्र था।
वर्तमान बिहार, भले ही आर्थिक रूप से कई चुनौतियों का सामना कर रहा हो, लेकिन इसकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर आज भी जीवित है। यहाँ की लोक कला, संगीत, नृत्य और भोजन की विविधता इसे अन्य राज्यों से अलग बनाती है। बिहारी समाज की एक विशेषता है कि यहाँ के लोग अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक धरोहर को बड़े गर्व से अपनाए रखते हैं। बिहार की लोक कला जैसे कि मधुबनी चित्रकला, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, ने राज्य को कला और संस्कृति के क्षेत्र में एक अलग पहचान दिलाई है।
कृषि, उद्योग और शिक्षा के क्षेत्र में भी बिहार ने कई महत्वपूर्ण प्रगति की है। हालांकि, यह राज्य आज भी कुछ सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, लेकिन समय के साथ यहाँ की स्थिति में सुधार आया है। बिहार के लोग अपनी कठोर मेहनत, साहस और समर्पण के लिए प्रसिद्ध हैं, और उनका योगदान भारतीय समाज में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
इस प्रकार, बिहार एक ऐसा राज्य है जो ऐतिहासिक रूप से समृद्ध, सांस्कृतिक रूप से विविध और भविष्य की ओर अग्रसर है। यहाँ की भूमि न केवल भारतीय सभ्यता की नींव है, बल्कि यह वर्तमान और भविष्य की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता रखती है।
आज हम बात कर रहे हैं बिहार के सबसे मशहूर खाने की,
1. लिट्टी-चोखा
2. खाजा
लिट्टी-चोखा क्या है?
लिट्टी-चोखा बिहार का एक पारंपरिक व्यंजन है, जिसे बिहार और उसके आस-पास के क्षेत्रों में बेहद पसंद किया जाता है। यह दो मुख्य भागों से बनता है: लिट्टी, जो गेहूं के आटे से बनी गोल गेंद होती है, जिसे भुने हुए चने के आटे (सत्तू) से भरा जाता है, और चोखा, जो भुने हुए बैंगन, आलू और टमाटर से बना हुआ एक मैश्ड व्यंजन होता है। इसे आमतौर पर घी के साथ परोसा जाता है, जो इसे समृद्ध, स्वादिष्ट और पौष्टिक बनाता है।
लिट्टी-चोखा का उद्भव बिहार के ग्रामीण इलाकों से हुआ है, जहां स्थानीय समुदाय को लंबी मेहनत वाली कृषि कार्यों के दौरान उर्जा देने के लिए मज़बूत और पौष्टिक भोजन की आवश्यकता थी। समय के साथ, यह साधारण व्यंजन बिहार के पाक संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है, जिसे लोग हर वर्ग के लोग पसंद करते हैं और अब यह देश भर में प्रसिद्ध हो गया है।
लिट्टी-चोखा का इतिहास और महत्व
लिट्टी-चोखा का इतिहास बिहार की सांस्कृतिक और कृषि प्रथाओं से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि यह पारंपरिक व्यंजन पहले किसानों और श्रमिकों द्वारा खाया जाता था, जो खेतों में लंबे समय तक काम करते थे। लिट्टी और चोखा बनाने के लिए उपयोग किए गए सामग्री स्थानीय रूप से उपलब्ध होते थे और यह उस समय के कठिन श्रमिक जीवन के लिए ऊर्जा देने वाले थे।
सत्तू, जो लिट्टी का मुख्य भराव है, भुने हुए चने या जौ से तैयार किया जाता है और यह अपनी उच्च पौष्टिकता के लिए जाना जाता है। यह प्रोटीन, फाइबर और आवश्यक खनिजों का एक समृद्ध स्रोत है, जो दिन भर के श्रमिकों के लिए आदर्श सामग्री है। चोखा, जो भुने हुए सब्जियों से बनाया जाता है, एक धूनी स्वाद और लिट्टी के पृथ्वी से जुड़े स्वाद के मुकाबले एक अद्भुत ताजगी प्रदान करता है।
आजकल, लिट्टी-चोखा केवल एक ग्रामीण व्यंजन नहीं रहा, बल्कि यह एक प्रिय स्ट्रीट फूड बन चुका है, जो घरों, रेस्टोरेंटों और खाद्य स्टॉल्स में पूरे बिहार में परोसा जाता है। इसे त्योहारों, पारिवारिक आयोजनों और खास अवसरों पर विशेष रूप से खाया जाता है।
लिट्टी-चोखा के सामग्री
लिट्टी-चोखा बनाने के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:
लिट्टी के लिए:
- गेंहू का आटा – 3 कप
- सत्तू (भुना हुआ चना का आटा) – 2 कप
- अजवाइन – 1 चम्मच
- जीरा – 1 चम्मच
- घी – 4 टेबलस्पून
- नमक – स्वाद अनुसार
- पानी – आटा गूंधने के लिए
चोखा के लिए:
- बैंगन (बैंगन) – 2 मध्यम आकार के
- आलू – 2 मध्यम आकार के
- टमाटर – 4 बड़े
- लहसुन – 6-7 कलियाँ
- हरी मिर्च – 2-3
- अदरक – 1-2 इंच टुकड़ा
- धनिया पत्तियाँ – 1-2 मुट्ठी
- सरसों का तेल – 1-2 टेबलस्पून
- नमक – स्वाद अनुसार
परोसने के लिए:
- घी – 2-5 टेबलस्पून
- लाल मिर्च पाउडर – 1 चम्मच
- जीरा पाउडर – 1 चम्मच
लिट्टी-चोखा बनाने की विधि
लिट्टी बनाने की विधि:
- आटा गूंधना: सबसे पहले लिट्टी के लिए आटा तैयार करें। एक बड़े कटोरे में गेंहू का आटा, अजवाइन, जीरा और नमक डालें। धीरे-धीरे पानी डालकर आटा गूंधें। आटे की बनावट चपाती के आटे जैसी होनी चाहिए, न तो बहुत नरम, न ही बहुत सख्त। आटे में घी मिलाकर अच्छे से गूंधें और उसे चिकना करें।
- सत्तू का भरावन तैयार करना: एक अलग कटोरे में सत्तू, नमक, जीरा पाउडर और लाल मिर्च पाउडर (यदि उपयोग कर रहे हों) डालकर अच्छे से मिला लें। इसमें थोड़ा पानी डालकर गीला मिश्रण तैयार करें। सत्तू का भरावन न बहुत गीला और न बहुत सूखा होना चाहिए। आप इसमें हरी मिर्च, धनिया पत्तियाँ और सरसों का तेल भी डाल सकते हैं।
- लिट्टी में सत्तू भरना: अब आटे को छोटे-छोटे भागों में बांट लें, प्रत्येक भाग को गोल आकार में बेल लें। उसके बीच में सत्तू का मिश्रण भरें। फिर आटे के किनारों को इकट्ठा करके उसे बंद कर दें। इसे हल्के हाथों से गोल आकार में घुमाकर मोल्ड करें।
- लिट्टी पकाना: पारंपरिक रूप से, लिट्टी को खुली आंच पर या मिट्टी के तंदूर में पकाया जाता है। हालांकि, आप इन्हें ओवन में भी 180°C पर 20-25 मिनट तक बेक कर सकते हैं, जब तक कि ये सुनहरे भूरे रंग के न हो जाएं और क्रिस्पी न हो जाएं।
चोखा बनाने की विधि:
- सब्जियाँ भूनना: सबसे पहले बैंगन, आलू और टमाटर को भूनें। आप इन्हें खुली आंच पर भून सकते हैं या ओवन में रख सकते हैं। सब्जियाँ तब तक भूनें जब तक उनकी त्वचा जल न जाए और वे नरम न हो जाएं।
- छीलकर मसलना: जब सब्जियाँ थोड़ा ठंडी हो जाएं, तो बैंगन और टमाटर की त्वचा उतार लें। सभी भुनी हुई सब्जियों को एक कटोरे में डालकर मैश कर लें। इसमें लहसुन, अदरक, हरी मिर्च और नमक डालकर अच्छे से मिलाएं।
- चोखा को सीज़न करना: एक कढ़ाई में सरसों का तेल गरम करें और इसमें मैश की हुई सब्जियाँ डालकर कुछ मिनट तक भूनें। इसके बाद ताजे धनिया पत्तियाँ डालकर मिला लें। आवश्यकतानुसार नमक डालें।
परोसना:
गर्म लिट्टी को घी के साथ परोसें और चोखा को उसके साथ सर्व करें। आप इसके ऊपर थोड़ा लाल मिर्च पाउडर और जीरा पाउडर भी छिड़क सकते हैं।
2. खाजा क्या है?
खाजा बिहार का एक पारंपरिक मीठा व्यंजन है, जो विशेष रूप से होली, दीवाली और मकर संक्रांति जैसे त्योहारों के दौरान लोकप्रिय है। यह एक कुरकुरी, परतदार पेस्ट्री है, जो मैदा, शक्कर और घी से बनाई जाती है। “खाजा” शब्द फारसी शब्द “ख्वाजा” से लिया गया है, जिसका अर्थ है मिठाई। खाजा बनाने की प्रक्रिया में आटे को कई पतली परतों में बेलकर, गहरे तेल में तला जाता है और फिर उसे शक्कर की चाशनी में डुबोकर मीठा किया जाता है।
खाजा बिहार के पाक संस्कृति में विशेष स्थान रखता है। यह अक्सर बड़े धार्मिक अवसरों पर तैयार किया जाता है, और यह अतिथि सत्कार का प्रतीक है।
खाजा का इतिहास और सांस्कृतिक महत्व
खाजा का उत्पत्ति बिहार के खानपान से जुड़ी हुई है और इसका संबंध मुग़ल और फारसी प्रभावों से है। कहा जाता है कि खाजा बनाने की कला बिहार में मुग़ल आक्रमणकारियों द्वारा लाई गई थी, जिन्होंने तले हुए और चाशनी में डूबे हुए मीठे पकवानों के नुस्खे पेश किए थे। समय के साथ, बिहार के रसोइयों ने इस व्यंजन को स्थानीय स्वाद के अनुरूप ढाल लिया और अपनी अनूठी विधियों से इसे और बेहतर बना दिया।
खाजा केवल एक मिठाई नहीं है, बल्कि यह महत्वपूर्ण धार्मिक अवसरों की धरोहर है, जो बिहार के लोग अपने सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं से जुड़ते हुए बनाते हैं। इसका कुरकुरापन और मीठा स्वाद उल्लास और खुशी का प्रतीक है, जो परिवारों और समुदायों को एक साथ लाता है।
खाजा के सामग्री
खाजा बनाने के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- मैदा (सादा आटा) – 2-3 कप
- घी – 1/4 कप (आटे के लिए)
- पानी – आवश्यकतानुसार आटा गूंधने के लिए
- शक्कर – 1/2 कप
- पानी – 1/2 कप (चाशनी के लिए)
- इलायची पाउडर – 1/2 चम्मच
- घी – तलने के लिए
खाजा बनाने की विधि
खाजा एक पारंपरिक बिहारी मिठाई है, जो अपने कुरकुरे, परतदार बनावट और मीठी चाशनी से भरी स्वादिष्टता के लिए प्रसिद्ध है। इसे बनाने के लिए कुछ खास विधियाँ हैं, जिन्हें अपनाकर आप इस स्वादिष्ट पकवान को घर पर बना सकते हैं।
1. आटा गूंधना
खाजा बनाने के लिए सबसे पहले एक बड़े कटोरे में मैदा और घी डालकर अच्छे से मिला लें। फिर, धीरे-धीरे पानी डालते हुए आटा गूंधें। आटा ऐसा गूंधें कि वह न ज्यादा नरम और न ज्यादा सख्त हो, बल्कि उसका आकार थोड़ा कठोर और सख्त होना चाहिए। आटे को गीले कपड़े से ढककर 30 मिनट तक आराम करने दें। इससे आटे का बनावट बेहतर होगा और खाजा परतदार बनेगा।
2. बेलन और आकार देना
30 मिनट बाद, गूंधे हुए आटे को छोटे-छोटे गोले में बांट लें। फिर, इन गोले को बेलन की मदद से पतला बेलें। बेलने के बाद, बेलन से बने आटे को स्ट्रिप्स में काट लें। अब इन स्ट्रिप्स को एक-दूसरे के ऊपर रखें और फिर उन्हें रोल करें ताकि यह परतदार आकार में बदल जाए। इस परतदार आकार की वजह से खाजा कुरकुरा बनता है।
3. खाजा तलना
अब एक गहरी कढ़ाई में घी गरम करें। घी को मध्यम आंच पर अच्छे से गरम होने दें। जब घी पर्याप्त गर्म हो जाए, तो तैयार किए गए परतदार आटे के गोले उसमें डालें और मध्यम आंच पर तलें। तला हुआ खाजा सुनहरा और कुरकुरा होना चाहिए, इसलिए तलने में ध्यान रखें कि वह जलें नहीं, बल्कि अच्छे से पकें।
4. चाशनी बनाना
एक अलग कढ़ाई में शक्कर और पानी डालकर उबालें। इसे तब तक पकाएं, जब तक यह एक तार की चाशनी न बन जाए। फिर, इस चाशनी में इलायची पाउडर डालकर उसे मीठा करें। इलायची का स्वाद खाजा में एक ख़ास महक और स्वाद डालता है।
5. खाजा को चाशनी में डुबाना
तले हुए खाजों को तुरंत चाशनी में डालें और कुछ सेकंड तक भिगोने दें, ताकि वे चाशनी को अच्छे से सोख सकें। यह कदम खाजा को मीठा और रसदार बना देता है।
6. परोसना
अब खाजा को ठंडा होने के बाद परोसें। यह मिठाई हर उत्सव, विशेष अवसर और त्योहार पर एक आदर्श पकवान बन जाती है। खाजा का स्वाद, उसकी परतदार और कुरकुरी बनावट, और मीठी चाशनी का मिश्रण इसे खास बनाता है।
इस प्रकार, खाजा की विधि को अपनाकर आप बिहार की पारंपरिक मिठाई का आनंद घर पर ले सकते हैं।
लिट्टी-चोखा और खाजा, केवल भोजन के नाम नहीं, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पाक धरोहर का एक अमूल्य हिस्सा हैं। ये व्यंजन न केवल बिहार की लोक परंपरा को दर्शाते हैं, बल्कि इनकी तैयारी में इस्तेमाल होने वाली प्राचीन विधियाँ भी इस राज्य के लोगों की मेहनत, साधना और सादगी को उजागर करती हैं।
लिट्टी-चोखा और खाजा बनाने की विधियाँ, न केवल स्वाद में बल्कि इनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गहराई में भी एक विशेष स्थान रखती हैं। ये व्यंजन बिहार के जीवन और संस्कृति से गहरे जुड़े हुए हैं, और जब आप इन्हें बनाते हैं या खाते हैं, तो आप न केवल एक स्वादिष्ट अनुभव प्राप्त करते हैं, बल्कि आप बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से भी जुड़ते हैं।
लिट्टी-चोखा बिहार का सबसे प्रिय और पारंपरिक व्यंजन है। लिट्टी, गेहूं के आटे और सत्तू (भुने चने का आटा) से बनाई जाती है, जो विशेष रूप से भुने हुए सत्तू में मसाले डालकर तैयार किया जाता है।
यह व्यंजन पहले खेतों में काम करने वाले मजदूरों के लिए उच्च पोषण मूल्य वाला भोजन हुआ करता था, क्योंकि यह उन्हें लंबे समय तक ऊर्जा देता था। जब यह चोखा, जो मुख्य रूप से भुने हुए बैंगन, आलू और टमाटर से बनाया जाता है, के साथ परोसा जाता है, तो यह स्वाद और स्वास्थ्य का एक बेहतरीन मिश्रण बन जाता है। यह व्यंजन बिहार के ग्रामीण जीवन के सबसे अच्छे उदाहरणों में से एक है, जहाँ सादगी और स्वाद का अद्भुत मेल होता है।
लिट्टी-चोखा का खाना सिर्फ एक भोज नहीं होता, यह बिहार की आत्मा का अनुभव होता है। इसे परिवार के साथ परोसने से हर कोई एक-दूसरे के साथ जुड़ता है और यह मिलजुल कर खाने की परंपरा को जीवित रखता है। यह व्यंजन न केवल बिहार में, बल्कि पूरे देश में एक सांस्कृतिक पहचान बन चुका है। खासतौर पर त्योहारों और विशेष अवसरों पर, लिट्टी-चोखा घर-घर बनता है और यह उन पलों को यादगार बना देता है, जब परिवार और दोस्त एक साथ इकट्ठा होते हैं और अपनी पुरानी परंपराओं का पालन करते हैं।
खाजा, बिहार का प्रसिद्ध मीठा पकवान, किसी भी बिहारिया उत्सव का अभिन्न हिस्सा है। यह एक परतदार और कुरकुरी मिठाई होती है, जिसे घी और शक्कर के साथ तैयार किया जाता है। यह न केवल खाने में स्वादिष्ट होती है, बल्कि इसके बनाने की प्रक्रिया भी एक कला है। खाजा को तैयार करने के लिए मैदा, घी और शक्कर का मिश्रण बहुत मेहनत से तैयार किया जाता है, और फिर इसे तला जाता है। इसके बाद शक्कर की चाशनी में डुबोकर इसे मीठा किया जाता है। खाजा का स्वाद और बनावट उसे बिहार के हर पर्व और खास अवसरों पर सर्व करने के लिए आदर्श बनाती है।
इन व्यंजनों की विधियाँ और स्वाद, बिहार की खानपान संस्कृति के ऐतिहासिक पहलुओं को उजागर करती हैं। बिहार का खानपान, न केवल स्वाद में समृद्ध होता है, बल्कि इसमें उस क्षेत्र की जीवनशैली, मौसम और भूमि की विशेषताएँ भी समाहित होती हैं। लिट्टी-चोखा और खाजा बनाने की विधियों को जानकर आप न केवल इस राज्य के भोजन का स्वाद ले सकते हैं, बल्कि इन प्राचीन विधियों के द्वारा उस समय की सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व को भी समझ सकते हैं। ये व्यंजन बिहार के परिश्रमी लोगों की कठिनाईयों और उनके साझा प्रयासों का प्रतीक हैं, जो हमेशा से समाज को एकजुट रखने में मददगार रहे हैं।
जब आप अगली बार लिट्टी-चोखा बनाएं या खाजा तैयार करें, तो यह न केवल एक स्वादिष्ट व्यंजन होगा, बल्कि आप बिहार के इतिहास, संस्कृति और परंपरा को अपने घर में महसूस करेंगे। इन प्रख्यात व्यंजनों को बनाना और खाना न केवल आपको बिहार के स्वाद का आनंद देगा, बल्कि यह आपको बिहार की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ने का एक अनोखा अवसर भी प्रदान करेगा। इसलिए, अगली बार जब आप कुछ खास और स्वादिष्ट बनाने का सोचें, तो लिट्टी-चोखा और खाजा को अपनी रसोई में जरूर लाएं और बिहार के असली स्वाद का अनुभव करें।