नई किताब “Saumy aur Shree”: एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल दस्तान
नई किताब “Saumy aur Shree”📍जयपुर/अयोध्या से विशेष रिपोर्ट
भावनाओं से लबरेज़, शब्दों की गहराइयों में डूबी और प्यार की चुप्पी को काव्य में ढालती एक नई किताब “Saumy aur Shree” ने साहित्यप्रेमियों के बीच हलचल मचा दी है। यह कोई आम कविता संग्रह नहीं है, बल्कि एक अधूरी प्रेमकहानी की वो आख़िरी चिट्ठी है, जिसे पढ़ते हुए पाठक खुद को “Saumy” या “Shree” जैसा महसूस करने लगते हैं।
लेखक की आत्मा से निकली आवाज़
कविता नहीं, अनुभव हैं पन्नों में
“Saumy aur Shree” कोई साधारण कविता-संग्रह नहीं है, बल्कि यह एक दिल से निकले अनुभवों की जीवंत अभिव्यक्ति है। इसमें लिखी गई हर कविता एक ऐसे पन्ने की तरह है जिसे जैसे-जैसे पढ़ते जाते हैं, वैसा लगता है मानो किसी की निजी डायरी में झाँक रहे हों। हर शब्द में भावनाओं की नमी है, और हर पंक्ति में बीते लम्हों की खुशबू।
यह किताब उन लोगों के लिए है जो इश्क़ को सिर्फ़ एक भाव नहीं, बल्कि एक पूरा जीवन मानते हैं। जो प्रेम को किताबों में नहीं, अपने सीने में संजोते हैं। जिन्हें टूटना आता है, बिखरना आता है, लेकिन फिर भी वे उस प्रेम को शब्दों में ढालकर उसे अमर कर देते हैं। विवेक सिंह की यह रचना उनके दिल के बहुत करीब है, और यही आत्मीयता इसे पढ़ने वालों के दिल से जोड़ देती है।
“Saumy aur Shree” की कविताएँ पाठकों को केवल पढ़ने के लिए नहीं, महसूस करने के लिए आमंत्रित करती हैं – जैसे कोई पुरानी चिट्ठी हो, कोई भूली-बिसरी तस्वीर, या कोई वो आखिरी मुलाक़ात जिसकी गूंज अब भी दिल में बाकी है।
कहाँ मिलेगी यह किताब?
यह किताब अब Amazon, Flipkart और Kindle पर उपलब्ध है। डिजिटल और पेपरबैक दोनों फॉर्मेट्स में इसे खरीदा जा सकता है। शुरुआती पाठकों की प्रतिक्रियाएं इसे “2025 की सबसे भावनात्मक कविता पुस्तक” बता रही हैं।
पाठकों पर प्रभाव
लेखक ने क्यों और कैसे लिखी ‘Saumy aur Shree’?
जब दिल के भीतर एक कहानी सालों से दबी हो, जब शब्द आंखों से बहने लगें और जब यादें नीम की डाली जैसी हों—जो एक दिन टूट जाती है—तब एक किताब जन्म लेती है। ‘Saumy aur Shree’ उसी टूटी डाली की कहानी है, जिसे लेखक विवेक सिंह ने अपनी आत्मा की स्याही से लिखा है।
क्यों लिखी गई ये किताब?
“Saumy aur Shree” के पीछे कोई बाज़ारी सोच या प्रसिद्धि की लालसा नहीं थी। यह किताब उस भावनात्मक सफ़र का परिणाम है जो लेखक विवेक सिंह ने वर्षों तक अपने भीतर जिया। उनके दिल में एक अधूरी प्रेमकहानी बरसों से पल रही थी—न तो वह कहानी पूरी हो पाई, और न ही वह कभी खत्म हुई। वह प्रेम इतना मासूम और सच्चा था कि उसने लेखक की आत्मा में हमेशा के लिए अपनी जगह बना ली। यही वजह है कि इस किताब में जो कुछ लिखा गया है, वह कल्पना नहीं बल्कि संवेदना है—एक जी हुई, महसूस की हुई, और फिर से जी ली गई कहानी।
विवेक कहते हैं,
“कभी-कभी कुछ रिश्ते मुकम्मल नहीं होते, लेकिन वो आपकी रूह में बस जाते हैं। ‘Saumy aur Shree’ उन्हीं लम्हों का दस्तावेज़ है।”
यह किताब एक कोशिश है उस अनकहे प्रेम को आवाज़ देने की, जिसे समाज ने भले ही न समझा हो, लेकिन लेखक ने हर पल जिया। नीम की वो डाली, जिस पर दो नाम कभी साथ लिखे गए थे, उसके टूटने की टीस लेखक की भावनात्मक यात्रा की शुरुआत बन गई। यह प्रतीक मात्र एक दृश्य नहीं था—बल्कि उस वियोग, उस अधूरेपन की निशानी बन गया, जिसे शब्दों के सहारे अमर कर दिया गया।
“Saumy aur Shree” एक ऐसी रचना है जो यह दिखाती है कि सच्चा प्रेम कभी मरता नहीं, वह शब्दों में जीता है, और रचनाओं में हमेशा के लिए बसा रह जाता है।
कैसे लिखी गई ये किताब?
Saumy aur Shree’ किन लोगों को पढ़नी चाहिए और क्यों?
1. जिनका प्यार अधूरा रह गया हो
अगर आपने कभी किसी को पूरी सच्चाई, मासूमियत और समर्पण से चाहा हो, लेकिन हालात, समाज या समय के फेर ने आपको उस इंसान से जुदा कर दिया—तो ‘Saumy aur Shree’ आपके उसी अधूरे एहसास की परछाई है। यह किताब उस प्रेम की बात करती है जो कभी मुकम्मल नहीं हो पाया, लेकिन उसकी गहराई, उसकी सच्चाई अब भी दिल में ज़िंदा है। हर कविता आपको उसी मोड़ पर ले जाती है जहां आपने कभी कहा था – “काश…”।
2. जिन्हें भावनात्मक गहराई पसंद है
अगर आप सिर्फ शब्द नहीं, उनके पीछे की संवेदनाएं पढ़ते हैं—तो यह संग्रह आपकी आत्मा तक पहुँचेगा। ‘Saumy aur Shree’ में भावनाएं बहुत शोर नहीं मचातीं, लेकिन अंदर से बहुत कुछ कह जाती हैं। यह किताब उन पाठकों के लिए है जो किसी कविता को कई बार पढ़ते हैं, हर बार उसमें कुछ नया महसूस करते हैं, और फिर भी उसका रहस्य पूरी तरह खोल नहीं पाते।
3. जो कविताओं को जीते हैं, पढ़ते नहीं
कुछ लोग कविता को सिर्फ पढ़ते नहीं, वे उसे जीते हैं। ‘Saumy aur Shree’ उनके लिए है। यह किताब एक स्मृति-पंक्ति की तरह है—कभी वो ख़त, जो आपने लिखा लेकिन कभी भेजा नहीं; कभी वो मुलाकात, जो होनी थी लेकिन रह गई। हर कविता जैसे आपके भीतर उतरती है और आपको आपकी ही किसी भूली हुई याद से मिलवाती है।
4. जो अकेलेपन में साथी ढूंढते हैं
अकेलापन एक ऐसी भावना है जिसे शब्दों में कहना मुश्किल होता है, लेकिन यह किताब उस खामोशी में एक साथी की तरह बैठती है। जब आप खुद को सबसे ज़्यादा अकेला महसूस करते हैं, ‘Saumy aur Shree’ आपकी भावनाओं को समझती है, और बिना कोई सवाल किए आपके साथ उस खामोशी को साझा करती है।
5. जो अपने जज़्बात कह नहीं पाते
हर कोई बोल नहीं पाता। कई लोग होते हैं जो अपने दर्द, अपनी मोहब्बत, अपनी कसक को दिल में ही दबा लेते हैं। यह किताब उनके लिए है—जो चुप रहते हैं, लेकिन अंदर गहराई से महसूस करते हैं। ‘Saumy aur Shree’ के पन्ने उनके लिए एक ऐसी आवाज़ बन जाते हैं जो उन्होंने कभी बाहर नहीं आने दी, लेकिन अब वह आवाज़ शब्दों में ढल चुकी है।
यह सिर्फ़ एक किताब नहीं—एक एहसास है, जो आपको खुद से मिलने का मौका देता है।
क्यों पढ़नी चाहिए?
अंतिम शब्द:
“Saumy aur Shree” एक भावनात्मक यात्रा है—ऐसी यात्रा जो केवल आंखों से नहीं, दिल से पूरी की जाती है। यह किताब कविताओं का संग्रह भर नहीं, लेखक की आत्मा के टुकड़ों से बुना गया एक दस्तावेज़ है। हर पंक्ति में एक टीस है, हर शब्द में कोई छुपी हुई दुआ, और हर कविता में एक ऐसा अनुभव जो जीया गया है, सहा गया है, और अंततः शब्दों में ढाल दिया गया है।
विवेक सिंह ने इस किताब में न केवल अपनी भावनाएं उकेरी हैं, बल्कि उन सभी लोगों की भावनाओं को भी आवाज़ दी है जो खुद को कभी कह नहीं पाए। यह किताब आपको पढ़ने के लिए नहीं बुलाती, यह आपको छूने आती है—आपके अकेलेपन में, आपकी खामोशी में, और आपकी उन अधूरी कहानियों में जिन्हें आप आज तक सिर्फ महसूस करते आए हैं।
“Saumy aur Shree” एक एहसास है, एक आईना है, और एक ऐसा साथी है जो आपको खुद से मिलाने के लिए रचा गया है।