थायरॉइड की समस्या में शरीर का वजन बढ़ने की वजह क्या होती है?

थायरॉइड की समस्या में शरीर का वजन बढ़ने की वजह क्या होती है?

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थायरॉइड की समस्या – थायरॉइड ग्रंथि आकार में छोटी जरूर होती है, लेकिन इसका प्रभाव पूरे शरीर पर गहरा होता है। यह ग्रंथि गर्दन के ठीक सामने स्थित रहती है और T3 (Triiodothyronine) तथा T4 (Thyroxine) नामक हार्मोन का निर्माण करती है, जो शरीर के चयापचय (Metabolism) को नियंत्रित करते हैं। मेटाबॉलिज्म वह प्रक्रिया है जिससे शरीर भोजन को ऊर्जा में बदलता है और इसका सीधा असर हमारे वजन पर पड़ता है।

जब थायरॉइड हार्मोन का निर्माण सामान्य से कम होने लगता है, तो इस स्थिति को हाइपोथायरॉइडिज्म कहा जाता है। इसमें शरीर की चयापचय गति धीमी पड़ जाती है, जिससे कैलोरी जलने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और फैट शरीर में जमा होने लगता है। इसके अलावा थायरॉइड की कमी से शरीर में पानी और नमक की रिटेंशन बढ़ जाती है, जिससे सूजन और वज़न बढ़ता है।

थकान, सुस्ती और डिप्रेशन जैसे लक्षण भी मरीज को शारीरिक गतिविधियों से दूर करते हैं, जिससे वजन और तेजी से बढ़ता है। इस कारण, थायरॉइड से पीड़ित व्यक्तियों को वजन नियंत्रित रखना मुश्किल हो जाता है, भले ही उनका खानपान सामान्य क्यों न हो। उचित दवा, संतुलित आहार और सक्रिय जीवनशैली से इस स्थिति को संभाला जा सकता है।

🔍 थायरॉइड और वजन का संबंध क्या है?

थायरॉइड और वजन के बीच का संबंध शरीर के मेटाबॉलिज्म पर आधारित होता है। थायरॉइड ग्रंथि से निकलने वाले T3 और T4 हार्मोन शरीर की कोशिकाओं को यह संकेत देते हैं कि उन्हें कितनी तेज़ी से ऊर्जा खर्च करनी है। जब ये हार्मोन पर्याप्त मात्रा में नहीं बनते—जैसा कि हाइपोथायरॉइडिज्म में होता है—तो शरीर की ऊर्जा खर्च करने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। यह “धीमा मेटाबॉलिज्म” वजन बढ़ाने की मुख्य वजह बनता है।

धीमे मेटाबॉलिज्म का मतलब है कि भोजन से मिलने वाली कैलोरी कम जलाई जाती हैं और अधिकतर शरीर में जमा होने लगती हैं, खासकर फैट के रूप में। इसके अलावा, थायरॉइड की कमी से शरीर में फ्लूइड रिटेंशन यानी पानी रुकने की समस्या भी हो जाती है, जिससे शरीर फूला हुआ और भारी लगता है।

कई बार व्यक्ति की जीवनशैली और भोजन की मात्रा में कोई खास बदलाव नहीं होता, लेकिन फिर भी वजन धीरे-धीरे बढ़ने लगता है। यही कारण है कि थायरॉइड की समस्या को अक्सर लोग देर से समझ पाते हैं और जब तक इसका पता चलता है, तब तक वजन में उल्लेखनीय वृद्धि हो चुकी होती है।

🧬 हाइपोथायरॉइडिज्म क्या होता है?

हाइपोथायरॉइडिज्म एक आम लेकिन गंभीर एंडोक्राइन समस्या है, जिसमें शरीर की थायरॉइड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में थायरॉइड हार्मोन (T3 और T4) नहीं बना पाती। ये हार्मोन शरीर के मेटाबॉलिज्म, ऊर्जा उत्पादन, तापमान नियंत्रण, पाचन क्रिया, दिल की धड़कन और मानसिक स्थिति को नियंत्रित करने में बेहद जरूरी होते हैं। जब ये हार्मोन कम बनते हैं, तो शरीर की सभी प्रक्रियाएं धीमी हो जाती हैं, जिससे थकान, वजन बढ़ना, मूड डिसऑर्डर और अन्य लक्षण सामने आते हैं।

भारत में अनुमानित तौर पर 10 करोड़ से अधिक लोग थायरॉइड संबंधी रोगों से प्रभावित हैं, और उनमें से एक बड़ा हिस्सा हाइपोथायरॉइडिज्म से जूझ रहा है। महिलाओं में यह समस्या पुरुषों की तुलना में लगभग 8 गुना अधिक पाई जाती है, खासकर गर्भावस्था के दौरान या मेनोपॉज़ के बाद।

इसके प्रमुख कारण:

  1. ऑटोइम्यून डिज़ीज (Hashimoto’s thyroiditis):
    यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से थायरॉइड ग्रंथि पर हमला करती है और उसे नुकसान पहुंचाती है। यह सबसे आम कारण माना जाता है।

  2. आयोडीन की कमी:
    आयोडीन थायरॉइड हार्मोन निर्माण के लिए आवश्यक खनिज है। इसकी कमी से हार्मोन का स्तर गिरता है और ग्रंथि कमजोर हो जाती है।

  3. कुछ दवाइयों का असर:
    लिथियम, अमियोडेरोन जैसी दवाएं थायरॉइड ग्रंथि के कार्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।

  4. रेडिएशन थेरेपी:
    कैंसर या गर्दन की अन्य बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली रेडिएशन थेरेपी थायरॉइड को नुकसान पहुंचा सकती है।

  5. थायरॉइड सर्जरी:
    यदि किसी व्यक्ति की थायरॉइड ग्रंथि का कोई हिस्सा या पूरी ग्रंथि हटा दी गई हो, तो हार्मोन निर्माण रुक सकता है।

समय पर निदान और सही उपचार से इस स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है।

⚖️ वजन बढ़ने के कारण (Reasons for Weight Gain in Thyroid)

थायरॉइड हार्मोन की कमी शरीर की अनेक प्रक्रियाओं को प्रभावित करती है, विशेष रूप से मेटाबॉलिज्म यानी चयापचय। जब थायरॉइड हार्मोन कम बनने लगते हैं, तो शरीर की कैलोरी जलाने की गति धीमी पड़ जाती है। यह धीमी मेटाबॉलिज्म अनावश्यक कैलोरी को फैट के रूप में संग्रहित करने लगता है, जिससे वजन बढ़ने लगता है।

1. मेटाबॉलिज्म की गिरावट:
थायरॉइड हार्मोन की कमी से ऊर्जा उत्पादन कम हो जाता है, जिससे कैलोरी जलने की दर घट जाती है। यह वजन बढ़ने का सबसे प्रमुख कारण है।

2. फ्लूइड रिटेंशन:
थायरॉइड की कमी से शरीर में नमक और पानी रुकने लगता है, जिससे सूजन और भारीपन महसूस होता है।

3. थकान और कम गतिविधि:
थायरॉइड के मरीज अक्सर थका-थका महसूस करते हैं, जिससे वे शारीरिक गतिविधियों और व्यायाम से दूर हो जाते हैं। इससे कैलोरी बर्न नहीं हो पाती और वजन बढ़ता है।

4. भूख में बदलाव:
कुछ लोगों में थायरॉइड के कारण भावनात्मक भूख या क्रेविंग बढ़ जाती है, जिससे वे अधिक खाना खाने लगते हैं।

5. तनाव और हार्मोनल असंतुलन:
थायरॉइड की समस्या डिप्रेशन और तनाव बढ़ा सकती है, जिससे कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हार्मोन बढ़ते हैं, और ये हार्मोन वजन बढ़ने में मदद करते हैं।

इन सभी कारणों से थायरॉइड से पीड़ित व्यक्ति का वजन नियंत्रण में रखना एक बड़ी चुनौती बन जाती है।

🔎 लक्षण जो वजन बढ़ने से पहले दिखते हैं

थायरॉइड की समस्या अचानक से नहीं होती, बल्कि इसके लक्षण धीरे-धीरे उभरते हैं और अक्सर शुरुआत में नज़रअंदाज़ कर दिए जाते हैं। वजन बढ़ना एक प्रमुख संकेत है, लेकिन उससे पहले कई और संकेत शरीर देना शुरू कर देता है। यदि इन पर समय रहते ध्यान दिया जाए, तो थायरॉइड की पहचान और उपचार जल्दी संभव हो सकता है।

थकान:
बिना किसी भारी काम के भी थकावट महसूस होना एक सामान्य लक्षण है। थायरॉइड हार्मोन की कमी से ऊर्जा स्तर गिरता है, जिससे शरीर हमेशा सुस्त लगता है।

त्वचा का रूखापन और बालों का झड़ना:
थायरॉइड की कमी से त्वचा सूखी और बेजान हो जाती है, साथ ही बाल पतले होकर झड़ने लगते हैं।

कब्ज:
पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है, जिससे बार-बार कब्ज की समस्या बनी रहती है।

मासिक धर्म में गड़बड़ी:
महिलाओं में पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं, ज्यादा दिन तक चल सकते हैं या बहुत हल्के हो सकते हैं।

अवसाद और चिड़चिड़ापन:
हार्मोनल असंतुलन का प्रभाव मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है, जिससे मूड स्विंग, उदासी या चिड़चिड़ापन हो सकता है।

ठंड सहन न कर पाना और याददाश्त में गिरावट भी इसके संकेत हैं।

यदि ये लक्षण लगातार बने रहें और समझ में न आएं, तो डॉक्टर से परामर्श लेकर थायरॉइड की जांच कराना ज़रूरी होता है। समय पर जांच से बीमारी को बिगड़ने से रोका जा सकता है।

🧪 थायरॉइड की जाँच कैसे करें?

थायरॉइड की गड़बड़ी का संदेह होने पर सबसे पहला कदम है सही और समय पर जांच कराना। ये जांचें यह निर्धारित करने में मदद करती हैं कि शरीर में थायरॉइड हार्मोन की मात्रा सही है या नहीं, और समस्या का प्रकार क्या है—हाइपोथायरॉइडिज्म (थायरॉइड हार्मोन की कमी) या हाइपरथायरॉइडिज्म (थायरॉइड हार्मोन की अधिकता)।

📋 प्रमुख थायरॉइड जांचें:

1. TSH (Thyroid Stimulating Hormone) Test:
यह सबसे सामान्य और पहली जांच होती है। यह जांच दर्शाती है कि पिट्यूटरी ग्रंथि थायरॉइड को कितनी प्रेरणा दे रही है हार्मोन बनाने के लिए।

⚠️ अगर TSH का स्तर 4.5 mIU/L से ऊपर है, तो यह हाइपोथायरॉइडिज्म का संकेत हो सकता है।

2. T3 (Triiodothyronine) और T4 (Thyroxine) Levels:
ये हार्मोन थायरॉइड ग्रंथि द्वारा सीधे बनाए जाते हैं। इनका स्तर शरीर में थायरॉइड की सक्रियता को दर्शाता है। हाइपोथायरॉइडिज्म में ये स्तर कम हो सकते हैं।

3. Anti-TPO Antibodies Test:
यह टेस्ट यह दर्शाता है कि कहीं शरीर की इम्यून सिस्टम थायरॉइड पर तो हमला नहीं कर रही। यह Hashimoto’s thyroiditis जैसी ऑटोइम्यून बीमारी का संकेत दे सकता है।

4. Ultrasound of Thyroid:
यदि गले में गांठ, सूजन या असामान्य आकार महसूस होता है, तो डॉक्टर अल्ट्रासाउंड की सलाह दे सकते हैं। यह थायरॉइड ग्रंथि की बनावट और गांठों का पता लगाने में मदद करता है।

इन सभी जांचों के संयोजन से थायरॉइड की स्थिति स्पष्ट होती है और डॉक्टर उचित इलाज तय कर सकते हैं। थायरॉइड के मरीजों को नियमित रूप से ये जांच कराते रहना चाहिए।

💊 थायरॉइड में वजन बढ़ने की दवाएं और इलाज

थायरॉइड की समस्या, खासकर हाइपोथायरॉइडिज्म, का मुख्य कारण शरीर में थायरॉइड हार्मोन की कमी होती है। जब यह कमी होती है, तो मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे वजन बढ़ता है। इस स्थिति में दवा और जीवनशैली दोनों का संतुलन जरूरी होता है। आइए जानते हैं इसका प्रभावी इलाज क्या है:

1. Levothyroxine (Eltroxin, Thyronorm):

यह सबसे सामान्य और प्रमाणित दवा है, जो शरीर में कृत्रिम T4 हार्मोन की पूर्ति करती है। यह दवा शरीर के मेटाबॉलिज्म को दोबारा सामान्य करने में मदद करती है, जिससे वजन धीरे-धीरे नियंत्रित होने लगता है।
👉 इसे रोज़ाना सुबह खाली पेट लिया जाता है, और इसके बाद कम से कम 30 मिनट तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए।

2. डोज़ का सही निर्धारण:

Levothyroxine की डोज़ हर मरीज के लिए अलग होती है। यह उसकी उम्र, वजन, मौजूदा TSH स्तर, और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों पर निर्भर करती है।
👉 इलाज के दौरान नियमित रूप से TSH टेस्ट करवाना आवश्यक होता है ताकि दवा की मात्रा में समायोजन किया जा सके।

3. लाइफस्टाइल में बदलाव:

दवा लेने के साथ-साथ यदि व्यक्ति संतुलित आहार ले, रोज़ाना हल्का व्यायाम करे और पर्याप्त नींद ले, तो वजन नियंत्रण में आसानी होती है।
➡️ जंक फूड से परहेज, प्रोटीन युक्त और फाइबर रिच डाइट, और स्ट्रेस मैनेजमेंट थायरॉइड मरीजों के लिए बेहद जरूरी है।

नोट: सिर्फ दवा से वजन नहीं घटता, जब तक जीवनशैली में सुधार न हो। इसलिए इलाज को एक समग्र प्रक्रिया मानना चाहिए।

🥗 थायरॉइड में क्या खाएं और क्या न खाएं?

थायरॉइड की समस्या, विशेषकर हाइपोथायरॉइडिज्म, में खानपान की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। एक संतुलित और पोषणयुक्त आहार न केवल दवा के असर को बेहतर बनाता है बल्कि वजन को नियंत्रित करने, थकान कम करने और हार्मोन संतुलन में भी मदद करता है। नीचे बताए गए खाद्य पदार्थ थायरॉइड के मरीज़ों के लिए उपयोगी या हानिकारक हो सकते हैं:

खाने योग्य खाद्य पदार्थ:

1. हरी सब्जियां:
पालक, मेथी, बथुआ जैसे पत्तेदार सब्जियों में आयरन और फाइबर भरपूर होता है, जो पाचन सुधारते हैं और ऊर्जा बनाए रखते हैं।

2. फल:
पपीता, केला, सेब, अमरूद जैसे फल एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स से भरपूर होते हैं, जो इम्युनिटी को मजबूत करते हैं।

3. साबुत अनाज:
ब्राउन राइस, ओट्स और क्विनोआ जैसे अनाज फाइबर से भरपूर होते हैं, जो कब्ज से राहत देते हैं और वजन नियंत्रण में सहायक होते हैं।

4. प्रोटीन स्रोत:
दूध, अंडा, दालें और पनीर शरीर की थकान को दूर करने और मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।

5. नट्स:
बादाम, अखरोट और अलसी में ओमेगा-3 और सेलेनियम पाया जाता है, जो थायरॉइड ग्रंथि के कार्य को सहारा देता है।

6. आयोडीन युक्त नमक:
आयोडीन थायरॉइड हार्मोन के निर्माण में मदद करता है। इसलिए आयोडाइज्ड नमक का सेवन आवश्यक है।

खाने से परहेज़ करें:

1. गोइट्रोजेनिक सब्जियां (कच्चे रूप में):
गोभी, फूलगोभी, ब्रोकली जैसी सब्जियों में गोइट्रोजेन्स होते हैं, जो आयोडीन के अवशोषण को बाधित कर सकते हैं। इनका सेवन पकाकर करें।

2. अधिक चीनी और रिफाइंड आटा:
मीठे और मैदे से बनी चीज़ें वजन बढ़ाने में सहयोग करती हैं और मेटाबॉलिज्म को और धीमा कर सकती हैं।

3. ज्यादा नमक और तेल:
अत्यधिक सोडियम और फैट्स थायरॉइड और हृदय पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं।

4. रेड मीट और फास्ट फूड:
इनमें सैचुरेटेड फैट और रसायन अधिक होते हैं जो शरीर में सूजन और हार्मोनल असंतुलन को बढ़ा सकते हैं।

5. अत्यधिक सोया उत्पाद:
सोया में फाइटोएस्ट्रोजन होता है जो थायरॉइड हार्मोन के साथ हस्तक्षेप कर सकता है, विशेषकर जब थायरॉइड नियंत्रण में न हो।

थायरॉइड में भोजन को दवा के समान महत्व देना चाहिए। सही खानपान न केवल हार्मोन के संतुलन को बनाए रखता है, बल्कि थायरॉइड से जुड़े वजन बढ़ने और अन्य लक्षणों को भी नियंत्रित करता है। हमेशा पोषण विशेषज्ञ या डॉक्टर से परामर्श लेकर अपनी डाइट को थायरॉइड के अनुसार अनुकूलित करें।

🧘‍♀️ वजन नियंत्रित करने के उपाय

1. नियमित व्यायाम

  • वॉकिंग (30-45 मिनट)

  • योगासन (विशेषकर सूर्य नमस्कार, भुजंगासन, मत्स्यासन)

  • स्ट्रेचिंग और हल्का कार्डियो

2. नींद पूरी करें

थायरॉइड ग्रंथियों का सही कार्य करने के लिए 7-8 घंटे की नींद ज़रूरी है।

3. तनाव को कम करें

  • ध्यान और मेडिटेशन करें

  • अच्छी किताबें पढ़ें

  • सोशल मीडिया से दूरी बनाएं

4. खुद को दोष न दें

वजन बढ़ना इस बीमारी का प्रभाव है, यह आपकी इच्छा या आलस से नहीं हो रहा। खुद के साथ सहानुभूति रखें।

🧠 क्या मानसिक स्थिति भी असर डालती है?

हाँ, थायरॉइड से पीड़ित मरीजों में डिप्रेशन, घबराहट और आत्म-संदेह जैसी मानसिक समस्याएं आम हैं। इससे खानपान बिगड़ता है, नींद गड़बड़ाती है और वजन बढ़ता है।

समाधान:

  • परिवार और दोस्तों से बात करें

  • थेरेपिस्ट की मदद लें

  • मोटिवेशनल वीडियोज़ और पॉडकास्ट सुनें


📋 सफल मैनेजमेंट के लिए टिप्स

आदतक्या करेंक्यों ज़रूरी है
सुबह जल्दी उठेंहल्का वॉक करेंमेटाबॉलिज्म एक्टिव होता है
नाश्ता न छोड़ेंप्रोटीन से भरपूर लेंऊर्जा बनी रहती है
छोटे-छोटे भोजन लेंहर 3-4 घंटे परओवरईटिंग से बचाव
पानी खूब पिएंदिन में 8-10 गिलासपानी वज़न घटाने में सहायक
स्क्रीन टाइम कम करेंमोबाइल, टीवीनींद और तनाव पर असर
रोज़ाना एक डायरी बनाएंभोजन, मूड और वजन का ट्रैकSelf-awareness बढ़ेगी

🤔 क्या थायरॉइड के साथ वजन कम हो सकता है?

बिलकुल हो सकता है, लेकिन इसके लिए थोड़ा समय, अनुशासन और धैर्य की ज़रूरत होती है। थायरॉइड की समस्या विशेष रूप से हाइपोथायरॉइडिज्म में मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे वजन आसानी से बढ़ता है और कम करना मुश्किल लगता है। हालांकि, यदि सही तरीके से दवा ली जाए और जीवनशैली में कुछ आवश्यक बदलाव किए जाएं, तो वजन घटाना पूरी तरह संभव है।

सबसे पहले जरूरी है कि आपकी थायरॉइड स्थिति दवा के जरिए संतुलित रहे। इसके लिए Levothyroxine जैसी दवाएं डॉक्टर की सलाह से नियमित रूप से लेना और समय-समय पर TSH जांच कराना चाहिए। जब हार्मोन संतुलन में आ जाता है, तब शरीर फिर से सामान्य ऊर्जा खर्च करने लगता है।

इसके साथ, संतुलित आहार जिसमें कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ, पर्याप्त प्रोटीन और फाइबर शामिल हों, वजन घटाने में मदद करता है। नियमित व्यायाम, विशेषकर कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, मेटाबॉलिज्म को तेज करते हैं और अतिरिक्त कैलोरी जलाने में मदद करते हैं।

महत्वपूर्ण यह है कि आप मानसिक रूप से शांत रहें। तनाव से कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है जो वजन घटाने में रुकावट डाल सकता है। इसीलिए मेडिटेशन और पर्याप्त नींद भी ज़रूरी हैं।

लक्ष्य रखें कि हर महीने 1 से 2 किलो वजन कम हो, और याद रखें कि धीमी लेकिन स्थिर प्रगति ही सबसे स्थायी होती है।

📌 निष्कर्ष (Conclusion)

थायरॉइड की बीमारी में वजन बढ़ना एक आम परंतु जटिल समस्या है। यह सिर्फ कैलोरी का खेल नहीं, बल्कि हार्मोनल असंतुलन, मानसिक स्थिति और लाइफस्टाइल से जुड़ा हुआ विषय है। लेकिन यह जानकर सुकून मिलता है कि यह स्थिति काबू में लाई जा सकती है।

दवा समय पर लेना, खानपान पर ध्यान देना, रोज़ाना हल्की एक्सरसाइज़ करना और तनाव से दूर रहना – ये चार स्तंभ हैं, जिन पर थायरॉइड में स्वस्थ जीवन की नींव टिकी है।

थायरॉइड के मरीज़ यदि इन बातों को अपनाएं तो वे न केवल वजन नियंत्रित कर सकते हैं, बल्कि एक ऊर्जावान, स्वस्थ और सकारात्मक जीवन भी जी सकते हैं।

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