गैस्ट्रेक्टॉमी (Gastrectomy Surgery): सर्जरी के बाद जीवन में बदलाव और स्वस्थ आदतें

गैस्ट्रेक्टॉमी (Gastrectomy Surgery) : एक संपूर्ण मार्गदर्शिका

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11 गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद जीवन प्रत्याशा

गैस्ट्रेक्टॉमी (Gastrectomy Surgery): सर्जरी के बाद जीवन में बदलाव और स्वस्थ आदतें

गैस्ट्रेक्टॉमी एक जटिल शल्य चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसमें पेट को आंशिक या पूर्ण रूप से हटा दिया जाता है। यह आमतौर पर उन रोगियों के लिए किया जाता है, जिन्हें पेट का कैंसर, पेप्टिक अल्सर, गंभीर मोटापा या अन्य पेट से संबंधित गंभीर समस्याएं होती हैं। इस प्रक्रिया का उद्देश्य रोगी की जान बचाना या उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाना होता है।

गैस्ट्रेक्टॉमी के प्रकार मुख्य रूप से चार होते हैं: कुल गैस्ट्रेक्टॉमी, जिसमें पूरा पेट हटा दिया जाता है; आंशिक गैस्ट्रेक्टॉमी, जिसमें पेट का एक भाग हटाया जाता है; स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी, जिसमें पेट को एक लंबी, पतली ट्यूब का आकार दिया जाता है; और ओमेंटेक्टॉमी, जिसमें पेट के आसपास की चर्बी को हटा दिया जाता है। स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी मुख्य रूप से मोटापे के इलाज के लिए की जाती है।

इस सर्जरी के बाद मरीज को कई बदलावों का सामना करना पड़ता है। चूंकि पेट का आकार या संरचना बदल जाती है, इसलिए भोजन पचाने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। मरीज को छोटे-छोटे भोजन लेने की सलाह दी जाती है और कुछ खाद्य पदार्थों से बचना पड़ता है। गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद शरीर को पोषण की कमी से बचाने के लिए विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट लेना आवश्यक हो सकता है।

हालांकि यह प्रक्रिया कई मरीजों के लिए जीवन रक्षक साबित होती है, लेकिन इसके कुछ जोखिम भी होते हैं, जैसे संक्रमण, रक्तस्राव, अपच, वजन घटना और डंपिंग सिंड्रोम। इसलिए, सर्जरी से पहले और बाद में डॉक्टर की सलाह और देखभाल बहुत जरूरी होती है। यदि सही ढंग से इसका पालन किया जाए, तो मरीज सामान्य जीवन जी सकते हैं और स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं।

गैस्ट्रेक्टॉमी क्या है?

 

गैस्ट्रेक्टॉमी एक शल्य प्रक्रिया है, जिसमें पूरे या आंशिक रूप से पेट को हटा दिया जाता है। यह आमतौर पर पेट के कैंसर, गंभीर अल्सर, मोटापा, या अन्य जटिल पाचन रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण चिकित्सा प्रक्रिया है, जो रोगी के जीवन को बचाने या उसकी सेहत में सुधार करने में मदद कर सकती है। गैस्ट्रेक्टॉमी मुख्य रूप से चार प्रकार की होती है, जिनका उपयोग मरीज की स्थिति और आवश्यकताओं के आधार पर किया जाता है।

  1. पूर्ण गैस्ट्रेक्टॉमी (Total Gastrectomy) – इस प्रक्रिया में पूरे पेट को हटा दिया जाता है और छोटी आंत को सीधा इसोफेगस (भोजन नली) से जोड़ा जाता है। यह आमतौर पर उन्नत पेट के कैंसर के मामलों में किया जाता है। सर्जरी के बाद मरीज को खाने-पीने की आदतों में बदलाव करने पड़ते हैं और उन्हें पोषण के लिए विशेष देखभाल की जरूरत होती है।
  2. आंशिक गैस्ट्रेक्टॉमी (Partial Gastrectomy) – इसमें पेट का केवल एक हिस्सा निकाला जाता है, जबकि बाकी का भाग काम करता रहता है। यह प्रक्रिया पेट के कैंसर या अल्सर के मामलों में की जाती है, जहां पूरा पेट निकालने की जरूरत नहीं होती।
  3. स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी (Sleeve Gastrectomy) – इसमें पेट के एक बड़े हिस्से को हटाकर उसे एक पतली ट्यूब के आकार में बदल दिया जाता है। यह प्रक्रिया विशेष रूप से मोटापा घटाने के लिए की जाती है, क्योंकि इससे भूख कम हो जाती है और व्यक्ति कम भोजन करने लगता है।
  4. इसोफेगोगैस्ट्रेक्टॉमी (Esophagogastrectomy) – इसमें ऊपरी पेट और निचले इसोफेगस (भोजन नली) को हटा दिया जाता है। यह आमतौर पर इसोफेगस और पेट के जंक्शन पर कैंसर होने की स्थिति में किया जाता है।

इन प्रक्रियाओं के बाद मरीज को विशेष आहार और जीवनशैली में बदलाव अपनाने की जरूरत होती है ताकि वे स्वस्थ जीवन जी सकें।

गैस्ट्रेक्टॉमी के कारण

गैस्ट्रेक्टॉमी एक महत्वपूर्ण शल्य चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसे कई गंभीर चिकित्सीय स्थितियों के कारण किया जाता है। जब अन्य उपचार प्रभावी नहीं होते या मरीज की जान को खतरा होता है, तब डॉक्टर इस सर्जरी की सलाह देते हैं। नीचे गैस्ट्रेक्टॉमी के प्रमुख कारणों को विस्तार से समझाया गया है:

  1. पेट का कैंसर (Stomach Cancer) – गैस्ट्रेक्टॉमी का सबसे आम कारण पेट का कैंसर है। यदि कैंसर पूरे पेट या उसके बड़े हिस्से में फैल गया हो, तो इसे हटाना आवश्यक हो जाता है। शुरुआती अवस्था में आंशिक गैस्ट्रेक्टॉमी की जा सकती है, लेकिन उन्नत अवस्था में पूरी गैस्ट्रेक्टॉमी की जरूरत पड़ सकती है।
  2. पेप्टिक अल्सर (Peptic Ulcer) – कुछ मामलों में, जब पेप्टिक अल्सर बार-बार होते हैं और दवाओं से ठीक नहीं होते, तो पेट के प्रभावित हिस्से को हटाने के लिए गैस्ट्रेक्टॉमी की जाती है। यह उन मामलों में भी आवश्यक हो सकती है, जहां अल्सर से गंभीर रक्तस्राव या संक्रमण का खतरा हो।
  3. मोटापा (Obesity) – अत्यधिक मोटापा एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन सकता है, जिससे हृदय रोग, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। वजन घटाने के लिए स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी की जाती है, जिसमें पेट का एक बड़ा हिस्सा हटाकर उसे छोटी ट्यूब के आकार में बदल दिया जाता है। इससे भोजन की मात्रा सीमित हो जाती है और व्यक्ति कम खाता है, जिससे वजन कम होता है।
  4. अत्यधिक रक्तस्राव (Severe Gastrointestinal Bleeding) – गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग यानी पाचन तंत्र में गंभीर रक्तस्राव के मामलों में, जब अन्य उपचार कारगर नहीं होते, तो गैस्ट्रेक्टॉमी करना आवश्यक हो सकता है। इससे मरीज को बचाने में मदद मिलती है।
  5. गंभीर चोटें (Severe Abdominal Injury) – दुर्घटना या किसी अन्य कारण से पेट में गंभीर चोट लगने पर, यदि पेट के ऊतक बहुत अधिक क्षतिग्रस्त हो गए हों, तो गैस्ट्रेक्टॉमी करनी पड़ सकती है।
  6. सौम्य ट्यूमर (Benign Tumors) – पेट में गैर-कैंसरयुक्त गांठें (सौम्य ट्यूमर) भी हो सकती हैं, जो कभी-कभी परेशानी या दर्द का कारण बनती हैं। यदि ये ट्यूमर बड़े हो जाते हैं या अन्य समस्याएं उत्पन्न करते हैं, तो उन्हें हटाने के लिए गैस्ट्रेक्टॉमी की जाती है।

गैस्ट्रेक्टॉमी जीवन रक्षक हो सकती है, लेकिन यह एक जटिल सर्जरी है, जिसके बाद मरीज को विशेष देखभाल और आहार प्रबंधन की जरूरत होती है।

गैस्ट्रेक्टॉमी के लाभ

गैस्ट्रेक्टॉमी, हालांकि एक जटिल शल्य प्रक्रिया है, लेकिन यह कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का प्रभावी समाधान प्रदान कर सकती है। उचित चिकित्सा देखभाल और सर्जरी के बाद जीवनशैली में आवश्यक बदलावों के साथ, यह सर्जरी मरीज के जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकती है। आइए विस्तार से समझते हैं कि गैस्ट्रेक्टॉमी के क्या-क्या लाभ हो सकते हैं:

  1. कैंसर के इलाज में प्रभावी (Effective in Treating Cancer) – गैस्ट्रेक्टॉमी पेट के कैंसर से ग्रस्त मरीजों के लिए एक प्रभावी उपचार हो सकता है। शुरुआती चरण में की गई आंशिक गैस्ट्रेक्टॉमी से कैंसर को नियंत्रित किया जा सकता है, जबकि उन्नत चरण में पूर्ण गैस्ट्रेक्टॉमी आवश्यक हो सकती है। यह सर्जरी कैंसर के फैलाव को रोकने और मरीज की जीवन प्रत्याशा बढ़ाने में मदद करती है।
  2. गंभीर मोटापे से निजात (Relief from Severe Obesity) – स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी विशेष रूप से वजन घटाने के लिए की जाती है। इस प्रक्रिया में पेट के आकार को छोटा कर दिया जाता है, जिससे मरीज की भूख कम हो जाती है और वह कम भोजन करता है। यह मोटापे से जुड़े हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर और अन्य समस्याओं को कम करने में भी मदद करता है।
  3. अल्सर का स्थायी समाधान (Permanent Solution for Ulcers) – पेप्टिक अल्सर, खासकर जब वे गंभीर होते हैं और बार-बार होते हैं, तो गैस्ट्रेक्टॉमी उनका स्थायी समाधान हो सकता है। इस सर्जरी के बाद, मरीज को बार-बार होने वाले दर्द और संक्रमण से राहत मिलती है।
  4. टाइप 2 डायबिटीज में सुधार (Improvement in Type 2 Diabetes) – गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद वजन घटने के कारण टाइप 2 डायबिटीज के लक्षणों में काफी सुधार देखा गया है। कई मामलों में, मरीजों को डायबिटीज की दवाओं की जरूरत भी कम हो जाती है या वे पूरी तरह से बंद कर सकते हैं।
  5. जीवन प्रत्याशा बढ़ सकती है (Increased Life Expectancy) – जिन मरीजों को कैंसर, मोटापा या अन्य जटिल बीमारियों के कारण गैस्ट्रेक्टॉमी कराई जाती है, उनके लिए यह सर्जरी जीवन प्रत्याशा को बढ़ा सकती है। हालांकि सर्जरी के बाद जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता होती है, लेकिन सही खानपान और चिकित्सा देखभाल से मरीज स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

हालांकि गैस्ट्रेक्टॉमी के कई लाभ हैं, लेकिन यह एक बड़ी सर्जरी है, जिसके कुछ संभावित दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। इसलिए, इसे करवाने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना और इसके संभावित प्रभावों को समझना आवश्यक है।

गैस्ट्रेक्टॉमी की आवश्यकता के लक्षण

गैस्ट्रेक्टॉमी एक बड़ी शल्य प्रक्रिया है, जिसे आमतौर पर तब किया जाता है जब पेट से संबंधित गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती हैं और अन्य उपचार कारगर नहीं होते। यदि किसी व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दें, तो यह संकेत हो सकता है कि उसे गैस्ट्रेक्टॉमी की आवश्यकता हो सकती है।

  1. लगातार पेट दर्द (Persistent Stomach Pain) – यदि लंबे समय तक पेट में तेज या असहनीय दर्द बना रहता है, खासकर खाने के बाद, तो यह पेट के कैंसर, पेप्टिक अल्सर या अन्य गंभीर स्थितियों का संकेत हो सकता है। जब दर्द दवाओं से ठीक नहीं होता, तो डॉक्टर गैस्ट्रेक्टॉमी की सलाह दे सकते हैं।
  2. बिना वजह वजन घटना (Unexplained Weight Loss) – यदि व्यक्ति का वजन तेजी से कम हो रहा है और इसके पीछे कोई स्पष्ट कारण नहीं है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। पेट के कैंसर, गैस्ट्रिक अल्सर या अन्य पाचन संबंधी समस्याओं के कारण शरीर को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिससे वजन तेजी से घटता है। ऐसे मामलों में, सर्जरी आवश्यक हो सकती है।
  3. लगातार उल्टी आना (Frequent Vomiting) – अगर किसी व्यक्ति को बार-बार उल्टी आ रही है, खासकर खाने के तुरंत बाद, तो यह संकेत हो सकता है कि उसके पाचन तंत्र में कोई रुकावट या गंभीर समस्या है। यह पेट के ट्यूमर या अन्य जटिलताओं के कारण हो सकता है, जिनका इलाज गैस्ट्रेक्टॉमी से किया जा सकता है।
  4. मल या उल्टी में खून आना (Blood in Stool or Vomit) – यदि किसी व्यक्ति के मल या उल्टी में खून आ रहा है, तो यह एक गंभीर संकेत हो सकता है कि पेट में अल्सर, कैंसर या आंतरिक रक्तस्राव जैसी समस्या है। यदि यह समस्या गंभीर हो जाती है और अन्य उपचार विफल हो जाते हैं, तो गैस्ट्रेक्टॉमी करना जरूरी हो सकता है।
  5. निगलने में कठिनाई (Difficulty in Swallowing) – अगर किसी व्यक्ति को खाने या पीने में कठिनाई हो रही है और ऐसा लगातार हो रहा है, तो यह इसोफेगस (भोजन नली) या पेट की किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। खासकर इसोफेगोगैस्ट्रेक्टॉमी की आवश्यकता ऐसे मरीजों को पड़ सकती है।
  6. भूख में कमी (Loss of Appetite) – यदि व्यक्ति को लंबे समय तक भूख नहीं लग रही है या खाना खाते ही वह असहज महसूस कर रहा है, तो यह पाचन तंत्र की गंभीर समस्याओं का संकेत हो सकता है। पेट के कैंसर या अल्सर की स्थिति में, मरीज को सामान्य भूख नहीं लगती, जिससे कुपोषण और कमजोरी हो सकती है।

यदि इनमें से कोई भी लक्षण लगातार बने रहते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है। उचित निदान और समय पर उपचार से गंभीर समस्याओं को रोका जा सकता है और मरीज का जीवन बचाया जा सकता है।

गैस्ट्रेक्टॉमी से पहले निदान

गैस्ट्रेक्टॉमी एक बड़ी सर्जरी है, इसलिए इसे करने से पहले डॉक्टर कई परीक्षणों और जांचों के माध्यम से यह सुनिश्चित करते हैं कि यह प्रक्रिया आवश्यक और सुरक्षित है। सही निदान से न केवल बीमारी की गंभीरता का पता चलता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित होता है कि मरीज सर्जरी के लिए उपयुक्त है या नहीं। गैस्ट्रेक्टॉमी से पहले किए जाने वाले प्रमुख परीक्षण निम्नलिखित हैं:

  1. एंडोस्कोपी (Endoscopy)
    यह एक महत्वपूर्ण परीक्षण है, जिसमें एक पतली, लचीली ट्यूब (एंडोस्कोप) को मुंह के माध्यम से पेट में डाला जाता है। इस ट्यूब के सिरे पर एक कैमरा लगा होता है, जो डॉक्टर को पेट की आंतरिक स्थिति देखने में मदद करता है। इससे अल्सर, ट्यूमर या अन्य असामान्यताओं की पहचान की जाती है।
  2. बायोप्सी (Biopsy)
    यदि एंडोस्कोपी के दौरान पेट में कोई असामान्यता पाई जाती है, तो डॉक्टर ऊतक (टिशू) का एक छोटा नमूना निकालकर उसकी जांच करते हैं। इसे बायोप्सी कहा जाता है। इस परीक्षण से यह पुष्टि की जाती है कि कोई कैंसर या अन्य घातक रोग मौजूद है या नहीं। बायोप्सी के परिणाम गैस्ट्रेक्टॉमी की आवश्यकता को निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
  3. इमेजिंग टेस्ट (Imaging Tests)
    पेट की स्थिति को विस्तार से समझने और बीमारी के प्रसार का आकलन करने के लिए विभिन्न इमेजिंग तकनीकों का उपयोग किया जाता है:
    • सीटी स्कैन (CT Scan) – पेट के ट्यूमर, सूजन या अन्य समस्याओं को स्पष्ट रूप से दिखाने में मदद करता है।
    • एमआरआई (MRI) – यह शरीर के अंदरूनी अंगों की विस्तृत छवि प्रदान करता है, जिससे डॉक्टर को सटीक निदान करने में सहायता मिलती है।
    • एक्स-रे (X-Ray) – यह पेट और पाचन तंत्र की संरचना का अवलोकन करने के लिए किया जाता है, खासकर यदि कोई रुकावट या असामान्यता हो।
  4. रक्त परीक्षण (Blood Tests)
    गैस्ट्रेक्टॉमी से पहले मरीज की संपूर्ण स्वास्थ्य स्थिति की जांच करने के लिए विभिन्न रक्त परीक्षण किए जाते हैं:
    • हीमोग्लोबिन और रक्त की गणना (CBC Test) – यह जांच करता है कि मरीज में एनीमिया या संक्रमण तो नहीं है।
    • लिवर और किडनी फंक्शन टेस्ट – यह सुनिश्चित करता है कि मरीज के शरीर के प्रमुख अंग सर्जरी के लिए तैयार हैं।
    • ट्यूमर मार्कर टेस्ट – अगर कैंसर की आशंका हो, तो यह जांच की जाती है कि कैंसर कोशिकाएं शरीर में कितनी फैली हैं।

इन निदान प्रक्रियाओं के माध्यम से डॉक्टर मरीज की स्थिति का पूरा आकलन करते हैं और यह तय करते हैं कि गैस्ट्रेक्टॉमी करना आवश्यक है या नहीं। सही समय पर और सही तरीके से किए गए परीक्षणों से मरीज को बेहतर उपचार मिल सकता है और सर्जरी की सफलता दर बढ़ जाती है।

गैस्ट्रेक्टॉमी से पहले अन्य उपचार विकल्प

गैस्ट्रेक्टॉमी एक गंभीर और स्थायी सर्जरी है, जिसे अंतिम उपाय के रूप में अपनाया जाता है। इससे पहले, डॉक्टर आमतौर पर विभिन्न गैर-शल्य चिकित्सा उपचारों की सिफारिश करते हैं, जो मरीज की स्थिति को सुधारने में मदद कर सकते हैं। यदि ये उपचार कारगर नहीं होते, तो गैस्ट्रेक्टॉमी ही अंतिम विकल्प बचता है।

1. दवाएं (Medications)

  • प्रोटॉन पंप इनहिबिटर (PPIs) – ये दवाएं पेट में एसिड के उत्पादन को कम करने में मदद करती हैं और पेप्टिक अल्सर जैसी स्थितियों में उपयोग की जाती हैं।
  • एच2-ब्लॉकर (H2 Blockers) – ये भी पेट के एसिड को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं और अल्सर के इलाज में मदद करते हैं।
  • एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) – यदि पेट में हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. pylori) नामक बैक्टीरिया के कारण संक्रमण हो रहा है, तो एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं।
  • कीमोथेरेपी (Chemotherapy) – पेट के कैंसर के मामलों में, दवाओं के जरिए कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने की कोशिश की जाती है। यदि कैंसर बहुत अधिक बढ़ गया हो और दवाओं का असर न हो, तो गैस्ट्रेक्टॉमी की आवश्यकता पड़ती है।

2. रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy)

  • पेट के कैंसर के मामलों में, रेडिएशन थेरेपी का उपयोग किया जाता है, जिसमें उच्च-ऊर्जा विकिरण (radiation) से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है।
  • यह सर्जरी से पहले या बाद में दी जा सकती है, ताकि ट्यूमर छोटा हो जाए या बची हुई कैंसर कोशिकाएं नष्ट हो सकें।

3. जीवनशैली में परिवर्तन (Lifestyle Changes)

  • आहार में सुधार – कुछ मामलों में, भोजन में बदलाव करके पेट की समस्याओं को नियंत्रित किया जा सकता है। हल्का, सुपाच्य और कम मसाले वाला भोजन पेट की जलन और अल्सर को कम कर सकता है।
  • वजन प्रबंधन – मोटापे से पीड़ित मरीजों को गैस्ट्रेक्टॉमी से पहले एक्सरसाइज, संतुलित आहार और अन्य वजन घटाने के उपाय अपनाने की सलाह दी जाती है।
  • शराब और धूम्रपान से बचाव – ये दोनों चीजें पेट की बीमारियों को बढ़ा सकती हैं, इसलिए इन्हें पूरी तरह छोड़ना चाहिए।

यदि इन उपचार विकल्पों से मरीज की स्थिति में सुधार नहीं होता और बीमारी बढ़ती जाती है, तो डॉक्टर गैस्ट्रेक्टॉमी की सलाह देते हैं। सही समय पर लिया गया निर्णय मरीज के स्वास्थ्य को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

गैस्ट्रेक्टॉमी प्रक्रिया

गैस्ट्रेक्टॉमी एक जटिल शल्य चिकित्सा प्रक्रिया है, जो पेट के कैंसर, गंभीर अल्सर, मोटापा, या अन्य गंभीर पाचन समस्याओं के इलाज के लिए की जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान पेट के प्रभावित हिस्से को हटाया जाता है, और शेष पेट या आंतों को जोड़ने की प्रक्रिया की जाती है। गैस्ट्रेक्टॉमी की प्रक्रिया मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है: पूर्ण गैस्ट्रेक्टॉमी और आंशिक गैस्ट्रेक्टॉमी

(क) पूर्ण गैस्ट्रेक्टॉमी प्रक्रिया

यह प्रक्रिया तब की जाती है जब पेट का अधिकांश भाग या पूरा पेट कैंसर, अल्सर, या अन्य गंभीर रोगों से प्रभावित हो। इस सर्जरी की प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण होते हैं:

  1. एनेस्थीसिया (Anesthesia) – मरीज को सामान्य एनेस्थीसिया दिया जाता है ताकि सर्जरी के दौरान वह पूरी तरह से बेहोश रहे और दर्द महसूस न हो।
  2. चीरा या लेप्रोस्कोपिक उपकरण (Incision or Laparoscopic Tools) – पेट में एक बड़ा चीरा लगाया जाता है, या फिर लेप्रोस्कोपिक तकनीक (सूक्ष्म उपकरणों का उपयोग) से पेट की आंतरिक स्थिति देखी जाती है। लेप्रोस्कोपिक तकनीक में छोटे-छोटे चीरे लगाए जाते हैं, जिससे सर्जरी की रिकवरी जल्दी होती है।
  3. पेट हटाना और आंत से जोड़ना (Removal of Stomach and Connection to Intestines) – सर्जन पूरे पेट को हटा देते हैं और फिर इसोफेगस (भोजन नली) को छोटी आंत से जोड़ देते हैं। यह महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि पेट हटने के बाद पाचन प्रक्रिया को बनाए रखना जरूरी होता है।
  4. पुनर्निर्माण (Reconstruction) – इस प्रक्रिया के दौरान, डॉक्टर आंतों और इसोफेगस को जोड़ने के बाद पुनर्निर्माण करते हैं ताकि पाचन तंत्र ठीक से काम कर सके।
  5. चीरे का बंद करना और रिकवरी (Closing Incision and Recovery) – अंत में, सर्जरी के बाद किए गए चीरे को बंद किया जाता है। इसके बाद मरीज को अस्पताल में कुछ समय के लिए निगरानी में रखा जाता है और फिर धीरे-धीरे रिकवरी शुरू होती है।

(ख) आंशिक गैस्ट्रेक्टॉमी सर्जरी

इस सर्जरी में पेट का केवल एक हिस्सा निकाला जाता है, और बाकी का हिस्सा पाचन प्रक्रिया के लिए कार्यशील रहता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर पेट के कैंसर या अल्सर के मामलों में की जाती है, जब पूरी गैस्ट्रेक्टॉमी की आवश्यकता नहीं होती।

  1. पेट का प्रभावित हिस्सा हटाना (Removal of Affected Portion of Stomach) – सर्जन पेट के उस हिस्से को हटाते हैं जो कैंसर, अल्सर या अन्य कारणों से प्रभावित होता है।
  2. बचे हुए हिस्से को छोटी आंत से जोड़ना (Connecting Remaining Stomach to Small Intestine) – बचा हुआ पेट छोटी आंत से जोड़ दिया जाता है ताकि पाचन प्रक्रिया सामान्य रूप से चलती रहे।

इस सर्जरी के बाद, मरीज को कुछ समय तक विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है, ताकि उसका पाचन तंत्र ठीक से काम कर सके।

गैस्ट्रेक्टॉमी की ये दोनों प्रक्रियाएं मरीज की स्थिति और बीमारी के आधार पर चुनी जाती हैं। दोनों ही सर्जरी के बाद मरीज को जीवनशैली में बदलाव और विशेष आहार की आवश्यकता होती है, ताकि वे अच्छे स्वास्थ्य की ओर वापस लौट सकें।

गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद रिकवरी

गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद रिकवरी प्रक्रिया समय-साध्य होती है और मरीज की स्थिति पर निर्भर करती है। सर्जरी के बाद की सही देखभाल से जल्दी रिकवरी और जटिलताओं को कम किया जा सकता है।

  1. अस्पताल में रुकने की अवधि (Hospital Stay Duration) – गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद मरीज को अस्पताल में 1 से 2 सप्ताह तक रहना पड़ सकता है। इस दौरान, मरीज की स्थिति पर निगरानी रखी जाती है, ताकि कोई भी संक्रमण या जटिलता न हो। डॉक्टर मरीज के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उसे अस्पताल से छुट्टी देने का निर्णय लेते हैं।
  2. आहार परिवर्तन (Dietary Changes) – शुरुआत में, मरीज को केवल तरल पदार्थ (जैसे पानी, शोरबा, जूस) दिए जाते हैं ताकि पाचन तंत्र को आराम मिल सके। जैसे-जैसे मरीज की स्थिति में सुधार होता है, उन्हें नरम और हल्का भोजन (जैसे दलिया, सूप) दिया जाता है। आहार में इस तरह का बदलाव पाचन को समायोजित करने में मदद करता है।
  3. वजन प्रबंधन (Weight Management) – गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद वजन प्रबंधन महत्वपूर्ण होता है, खासकर स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी जैसी प्रक्रियाओं के बाद। मरीज को संतुलित आहार और उचित पोषण की आवश्यकता होती है।
  4. हल्के व्यायाम (Light Exercise) – सर्जरी के कुछ सप्ताह बाद हल्के व्यायाम जैसे चलना शुरू किया जा सकता है। इससे शरीर को ताकत मिलती है और रिकवरी प्रक्रिया में मदद मिलती है।

सभी बदलावों को धीरे-धीरे अपनाना महत्वपूर्ण है, ताकि शरीर को हर बदलाव के लिए समय मिल सके और मरीज की रिकवरी सही दिशा में हो।

गैस्ट्रेक्टॉमी के जोखिम और जटिलताएँ

गैस्ट्रेक्टॉमी एक बड़ी शल्य प्रक्रिया है, और जैसे किसी भी सर्जरी के साथ, इसके साथ कुछ जोखिम और जटिलताएँ जुड़ी होती हैं। हालांकि, सही उपचार और देखभाल से इन जोखिमों को कम किया जा सकता है, फिर भी यह महत्वपूर्ण है कि मरीज इन संभावित जटिलताओं के बारे में जागरूक रहें।

  1. संक्रमण (Infection) – सर्जरी के बाद संक्रमण एक सामान्य जोखिम हो सकता है, खासकर अगर चीरे में कोई गंदगी या बैक्टीरिया प्रवेश कर जाए। संक्रमण के लक्षणों में बुखार, दर्द, सूजन, या रेडनेस शामिल हो सकते हैं। इसे समय पर उपचार से ठीक किया जा सकता है।
  2. आंतरिक रक्तस्राव (Internal Bleeding) – गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है, जो अक्सर किसी रक्त वाहिका के क्षतिग्रस्त होने से होता है। यदि रक्तस्राव गंभीर हो, तो तत्काल चिकित्सकीय हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।
  3. डंपिंग सिंड्रोम (Dumping Syndrome) – यह तब होता है जब भोजन तेजी से पेट से छोटी आंत में पहुंचता है, जिससे शरीर में असामान्य प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न होती हैं। इससे मरीज को चक्कर आना, मतली, दस्त, और थकान महसूस हो सकती है। यह स्थिति आमतौर पर भोजन के बाद 30-60 मिनट में होती है और जीवनशैली और आहार में बदलाव से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
  4. पोषण की कमी (Nutritional Deficiency) – पेट का बड़ा हिस्सा हटाए जाने के कारण पाचन प्रक्रिया में बदलाव आता है, जिससे शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित करने में कठिनाई हो सकती है। यह विटामिन और मिनरल्स की कमी का कारण बन सकता है, जैसे विटामिन B12, आयरन, और कैल्शियम की कमी। इस स्थिति से बचने के लिए पोषण विशेषज्ञ की सलाह के तहत आहार में सुधार किया जाता है।
  5. एसिड रिफ्लक्स (Acid Reflux) – गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद एसिड रिफ्लक्स की समस्या हो सकती है, जिससे पेट का एसिड आहार नलिका (एसोफैगस) में वापस आ जाता है। इससे जलन, दर्द और अपच जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। एसिड रिफ्लक्स को नियंत्रित करने के लिए विशेष दवाइयाँ दी जाती हैं।

इन जोखिमों और जटिलताओं से बचने के लिए, सर्जरी के बाद डॉक्टर की सलाह का पालन करना और नियमित स्वास्थ्य जांच करवाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, मरीज को सर्जरी से पहले और बाद में जीवनशैली और आहार संबंधी सलाह पर ध्यान देना चाहिए।

गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद जीवन प्रत्याशा

गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद जीवन प्रत्याशा मरीज की स्थिति, सर्जरी के प्रकार, और उसके द्वारा अपनाई गई जीवनशैली पर निर्भर करती है। सही देखभाल और आहार से मरीज लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जी सकता है, हालांकि इस सर्जरी के बाद जीवन में कुछ बदलाव आते हैं।

(क) पूर्ण गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद जीवन प्रत्याशा

पूर्ण गैस्ट्रेक्टॉमी में पेट को पूरी तरह से हटा दिया जाता है और आंतों को इसोफेगस से जोड़ दिया जाता है। इस सर्जरी के बाद जीवन प्रत्याशा मुख्य रूप से मरीज के आहार, पोषण, और जीवनशैली पर निर्भर करती है। यदि मरीज डॉक्टर की सलाह का पालन करते हुए संतुलित आहार लेते हैं, विटामिन और खनिज की कमी को पूरा करते हैं, और नियमित व्यायाम करते हैं, तो वे लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। हालांकि, इसके लिए निरंतर निगरानी और जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता होती है, जैसे कि छोटे भोजन करना और अत्यधिक वसा या चीनी से बचना।

(ख) आंशिक गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद जीवन प्रत्याशा

आंशिक गैस्ट्रेक्टॉमी में पेट का कुछ हिस्सा ही हटाया जाता है, और शेष हिस्सा पाचन प्रक्रिया में मदद करता रहता है। चूंकि पेट का कुछ हिस्सा बचा रहता है, इसलिए सामान्य रूप से जीवन प्रत्याशा उतनी प्रभावित नहीं होती। मरीज को विशेष आहार की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन सर्जरी के बाद सही देखभाल और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं से उनका जीवन सामान्य हो सकता है।

इस प्रकार, गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद जीवन प्रत्याशा मरीज के शरीर की स्थिति और उसकी जीवनशैली पर निर्भर करती है। सही आहार, नियमित स्वास्थ्य जांच, और सक्रिय जीवनशैली जीवन प्रत्याशा को बढ़ाने में मदद करती है।

गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद जीवन की गुणवत्ता

गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद जीवन की गुणवत्ता में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव होते हैं, क्योंकि शरीर के पाचन तंत्र में बड़ी शारीरिक और जैविक परिवर्तन आते हैं। यह बदलाव आहार, वजन, ऊर्जा स्तर और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि सही देखभाल और समर्थन से इन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है, फिर भी गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद जीवन की गुणवत्ता पर निम्नलिखित असर पड़ता है।

1. भोजन की आदतों में बदलाव

गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद, भोजन की आदतों में महत्वपूर्ण बदलाव लाना आवश्यक होता है। मरीज को छोटे-छोटे भोजन करने की आदत डालनी पड़ती है, ताकि पाचन तंत्र पर अत्यधिक दबाव न पड़े। वसा, चीनी और मसालेदार भोजन से बचना चाहिए, और संतुलित आहार के लिए विटामिन और खनिजों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

2. वजन में उतार-चढ़ाव

गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद वजन में उतार-चढ़ाव हो सकता है, विशेष रूप से स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी जैसी प्रक्रियाओं के बाद। वजन घटने की संभावना रहती है क्योंकि पेट की क्षमता घट जाती है, और भोजन के सेवन की मात्रा भी कम हो जाती है। हालांकि, यदि सही आहार और व्यायाम अपनाए जाएं, तो वजन को नियंत्रित किया जा सकता है।

3. ऊर्जा स्तर कम हो सकता है

चूंकि गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद शरीर को पोषक तत्वों का अवशोषण कम हो सकता है, इस कारण ऊर्जा स्तर में कमी हो सकती है। मरीज को थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है। यह कमी अक्सर विटामिन B12, आयरन और कैल्शियम की कमी के कारण होती है। इसलिए, सही आहार और सप्लीमेंट्स की मदद से इस कमी को दूर किया जा सकता है।

4. मानसिक स्वास्थ्य के लिए परामर्श की आवश्यकता

गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है। शारीरिक परिवर्तन, खाने की आदतों में बदलाव, और जीवनशैली में बदलाव से मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद हो सकता है। इसलिए, मानसिक स्वास्थ्य के लिए परामर्श और सपोर्ट की आवश्यकता हो सकती है। किसी पेशेवर से बात करना और सोशल सपोर्ट सिस्टम का होना इन समस्याओं से निपटने में मदद कर सकता है।

गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए, मरीज को आहार, व्यायाम, मानसिक स्वास्थ्य और नियमित मेडिकल देखभाल के प्रति सचेत रहना चाहिए। सही मार्गदर्शन और नियमित समर्थन से मरीज अपनी गुणवत्ता-जीवन को बेहतर बना सकते हैं।

गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद आहार

गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद आहार में सावधानी बरतनी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि पेट का हिस्सा हटने से पाचन तंत्र में महत्वपूर्ण बदलाव आते हैं। सही आहार न केवल रिकवरी में मदद करता है, बल्कि यह शरीर को आवश्यक पोषक तत्व भी प्रदान करता है। गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद आहार की कुछ महत्वपूर्ण दिशानिर्देश निम्नलिखित हैं:

1. शुरुआत में तरल पदार्थ

सर्जरी के बाद, शुरुआत में मरीज को केवल तरल पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इनमें शोरबा, फ्रूट जूस, और पानी शामिल होते हैं। इन पदार्थों को धीरे-धीरे सेवन करना चाहिए ताकि पाचन तंत्र को आराम मिल सके और कोई भी अपच न हो।

2. बाद में नरम भोजन

जब शरीर तरल पदार्थों को सही ढंग से पचा लेता है, तो मरीज को नरम भोजन जैसे दही, सूप, और मैश किए हुए आलू दिए जाते हैं। ये भोजन पचने में हल्के होते हैं और पेट पर कोई अतिरिक्त दबाव नहीं डालते।

3. उच्च प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ

गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद, शरीर को प्रोटीन की अधिक आवश्यकता होती है क्योंकि यह शरीर के पुनर्निर्माण और स्वस्थ कार्यों के लिए आवश्यक है। इसलिए, उच्च प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे चिकन, मछली, दाल, और अंडे का सेवन करना महत्वपूर्ण होता है।

4. छोटे और बार-बार भोजन

पेट की क्षमता घटने के कारण, मरीज को एक साथ अधिक भोजन नहीं करना चाहिए। इसके बजाय, उन्हें छोटे और बार-बार भोजन करने की सलाह दी जाती है, ताकि शरीर को आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें और पाचन तंत्र पर अत्यधिक दबाव न पड़े।

5. विटामिन सप्लीमेंट

गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद, पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, खासकर विटामिन B12, आयरन, और कैल्शियम की। इसलिए, विटामिन सप्लीमेंट्स का सेवन करना अनिवार्य हो सकता है। डॉक्टर की सलाह से इनकी खुराक तय की जाती है।

6. मध्यम चीनी, शराब और कैफीन से बचें

सर्जरी के बाद, मरीज को चीनी, शराब, और कैफीन से बचने की सलाह दी जाती है। ये पदार्थ डंपिंग सिंड्रोम को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे मरीज को चक्कर आना, मतली और थकान हो सकती है। इसके अलावा, ये पाचन तंत्र पर भी दबाव डाल सकते हैं।

इन आहार बदलावों का पालन करके गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद मरीज अपनी रिकवरी को तेज कर सकते हैं और स्वस्थ जीवन जीने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

गैस्ट्रेक्टॉमी के प्रकार

गैस्ट्रेक्टॉमी एक शल्य प्रक्रिया है जिसमें पेट का हिस्सा हटाया जाता है। यह सर्जरी विभिन्न प्रकार की हो सकती है, जो मरीज की चिकित्सीय स्थिति और आवश्यकता के आधार पर निर्धारित की जाती है। चार प्रमुख प्रकार की गैस्ट्रेक्टॉमी हैं:

1. पूर्ण गैस्ट्रेक्टॉमी (Total Gastrectomy)

पूर्ण गैस्ट्रेक्टॉमी में पूरे पेट को हटा दिया जाता है। इस सर्जरी में इसोफेगस (खाना निगलने वाली नली) को छोटी आंत से जोड़ा जाता है। यह प्रक्रिया अक्सर पेट के कैंसर या गंभीर अल्सर की स्थिति में की जाती है, जब अन्य उपचार पर्याप्त नहीं होते। इस प्रकार की सर्जरी के बाद, मरीज को विशेष आहार और जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता होती है, क्योंकि पेट पूरी तरह से हटाया जा चुका होता है।

2. आंशिक गैस्ट्रेक्टॉमी (Partial Gastrectomy)

आंशिक गैस्ट्रेक्टॉमी में पेट का केवल कुछ हिस्सा हटा दिया जाता है। यह सर्जरी आमतौर पर पेट में कैंसर या ट्यूमर के कारण की जाती है, जब कैंसर या गांठें केवल पेट के एक हिस्से में होती हैं। इस प्रक्रिया में बचा हुआ हिस्सा आंत से जोड़ा जाता है, और पाचन प्रक्रिया को सामान्य रूप से जारी रखने की कोशिश की जाती है।

3. स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी (Sleeve Gastrectomy)

स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी में पेट के बड़े हिस्से को हटा कर एक पतली ट्यूब जैसा आकार बना दिया जाता है। यह सर्जरी आमतौर पर गंभीर मोटापे के उपचार के रूप में की जाती है। इसके द्वारा पेट की क्षमता कम हो जाती है, जिससे मरीज को कम भोजन की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया वजन घटाने के लिए प्रभावी होती है और कई बार इसे बैरीएट्रिक सर्जरी के रूप में भी जाना जाता है।

4. इसोफेगोगैस्ट्रेक्टॉमी (Esophagogastrectomy)

इसोफेगोगैस्ट्रेक्टॉमी में पेट और इसोफेगस के कुछ हिस्से को हटा दिया जाता है। यह सर्जरी सामान्यत: ऊपरी पेट (जिसे गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट कहा जाता है) के कैंसर के इलाज के लिए की जाती है। इस सर्जरी में इसोफेगस और पेट के हिस्से को हटा कर, शेष को छोटी आंत से जोड़ा जाता है, ताकि पाचन प्रक्रिया को जारी रखा जा सके।

इन सर्जरी के प्रकारों का चुनाव मरीज की चिकित्सा स्थिति, डॉक्टर की सलाह और उपचार के उद्देश्य पर निर्भर करता है। गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद जीवनशैली में बदलाव, आहार का प्रबंधन, और निरंतर निगरानी से मरीज की स्वस्थ जीवन प्रत्याशा सुनिश्चित की जा सकती है।

निष्कर्ष

गैस्ट्रेक्टॉमी एक महत्वपूर्ण और जीवन बचाने वाली सर्जरी है, जो विभिन्न गंभीर स्थितियों जैसे पेट के कैंसर, अल्सर, और गंभीर मोटापे के इलाज के लिए की जाती है। हालांकि, इस सर्जरी के बाद जीवन में कई महत्वपूर्ण बदलाव की आवश्यकता होती है, क्योंकि पेट का हिस्सा हट जाने से पाचन प्रक्रिया में बदलाव आता है। व्यक्ति को छोटी-छोटी मात्रा में भोजन करना, संतुलित आहार लेना और विशेष आहार संबंधी नियमों का पालन करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त, विटामिन और खनिज की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट्स की आवश्यकता हो सकती है।

नियमित चिकित्सीय जांच और निगरानी से कोई भी संभावित जटिलता जल्दी पहचान कर उसका इलाज किया जा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना जरूरी होता है, क्योंकि सर्जरी के बाद मानसिक तनाव और चिंता हो सकती है। उचित देखभाल और अनुशासन से व्यक्ति एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकता है।

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