अगर किसी का एक्सीडेंट हो जाए, तो जान कैसे बचाएं! डॉक्टर ने बताई ऐसी गलतियाँ जो कभी न करें

अगर किसी का एक्सीडेंट हो जाए, तो जान कैसे बचाएं! डॉक्टर ने बताई ऐसी गलतियाँ जो कभी न करें

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1 अगर किसी का एक्सीडेंट हो जाए, तो जान कैसे बचाएं! डॉक्टर ने बताई ऐसी गलतियाँ जो कभी न करें

एक्सीडेंट हो जाए, तो जान कैसे बचाएं! सड़क दुर्घटनाएं भारत में न सिर्फ एक आम घटना हैं, बल्कि यह एक गंभीर सामाजिक और स्वास्थ्य संकट का रूप भी ले चुकी हैं। हर साल लाखों लोग इन दुर्घटनाओं में घायल होते हैं और हजारों लोगों की जान चली जाती है। इन घटनाओं में कई बार मौत का कारण दुर्घटना नहीं, बल्कि समय पर इलाज या सही प्राथमिक उपचार न मिल पाना होता है। हादसे के समय मौजूद आम लोग यदि थोड़ी सी सतर्कता और समझदारी दिखाएं, तो कई जीवन बचाए जा सकते हैं।

ज़रूरी नहीं कि आप डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ हों — सही समय पर की गई कुछ साधारण लेकिन असरदार प्राथमिक चिकित्सा जान बचाने में सहायक हो सकती है। जागरूकता और सही जानकारी के साथ, हर नागरिक एक ‘फर्स्ट रिस्पॉन्डर’ बन सकता है। इसलिए, यह हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि हम न सिर्फ स्वयं जागरूक बनें, बल्कि दूसरों को भी सतर्कता और प्राथमिक उपचार के महत्व के बारे में बताएं।

सबसे पहले – घबराएं नहीं

जब भी कोई सड़क दुर्घटना होती है, तो वहां मौजूद लोग अक्सर घबरा जाते हैं। यह घबराहट एक स्वाभाविक मानवीय प्रतिक्रिया है, लेकिन ऐसी परिस्थिति में सबसे ज़रूरी चीज़ है – शांत रहना। अगर आप घबराकर सोचने की क्षमता खो देंगे, तो न सिर्फ मदद करने में असमर्थ रहेंगे, बल्कि घायल की स्थिति और खराब हो सकती है।

सबसे पहले खुद को मानसिक रूप से स्थिर करने की कोशिश करें। गहरी सांस लें, 2-3 बार लंबी सांस खींचें और धीरे-धीरे छोड़ें। यह तकनीक आपके मस्तिष्क को शांत करने में मदद करती है और आपको निर्णय लेने की स्थिति में लाती है।

इसके बाद घटनास्थल का ठंडे दिमाग से अवलोकन करें। देखें कि कितने लोग घायल हैं, किसी को गंभीर चोट है या कोई बेहोश है, कहीं आग लगने का खतरा तो नहीं, और ट्रैफिक की स्थिति कैसी है। यह सब जानने के बाद ही कोई अगला कदम उठाएं।

ध्यान रखें, घायल व्यक्ति भी आपकी बॉडी लैंग्वेज और आवाज़ से भावनात्मक प्रतिक्रिया करता है। अगर आप घबराएंगे, तो वो भी डर जाएगा। लेकिन अगर आप संयम से बात करेंगे, तो उसे राहत मिलेगी और उसका हौसला बना रहेगा।

खुद को सुरक्षित रखें

किसी भी आपातकालीन स्थिति में दूसरों की मदद करना मानवीय कर्तव्य है, लेकिन यह तभी संभव है जब आप खुद सुरक्षित हों। दुर्घटनास्थल पर पहुँचते ही सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि आप किसी खतरे में न हों। अगर आपने जल्दबाज़ी या असावधानी दिखाई, तो आप खुद भी घायल हो सकते हैं, जिससे आप किसी की मदद नहीं कर पाएंगे और स्थिति और गंभीर हो सकती है।

अगर एक्सीडेंट बीच सड़क पर हुआ है, तो गाड़ी से उतरने से पहले अपने चारों ओर का ट्रैफिक देखें। विशेष रूप से हाईवे या व्यस्त चौराहों पर तेज़ गति से आने वाले वाहन आपको नुकसान पहुँचा सकते हैं।

रात के समय, दृश्यता कम होती है, इसलिए टोर्च या मोबाइल की फ्लैशलाइट का प्रयोग करें ताकि आने-जाने वाले वाहन आपको देख सकें।

यदि आपके पास reflective जैकेट है, तो उसे पहनें। नहीं है तो गाड़ी की हेडलाइट्स और इंडिकेटर चालू रखें ताकि अन्य वाहन दुर्घटना स्थल से सावधानी से गुजरें।

इसके अतिरिक्त, कोशिश करें कि ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए दूसरों से मदद लें, और तभी घायल तक पहुंचें जब आप सुनिश्चित हों कि माहौल सुरक्षित है।
याद रखें, आपकी सुरक्षा प्राथमिक है — “पहले खुद सुरक्षित रहें, तभी किसी और को सुरक्षित कर पाएंगे।”

मदद के लिए पुकारें

दुर्घटना के समय कुछ ही मिनट बेहद कीमती होते हैं। ऐसे में सबसे पहला कदम होता है — मदद के लिए तुरंत पुकारना। अकेले सब कुछ संभालना न तो व्यावहारिक होता है और न ही सुरक्षित। इसलिए जैसे ही आप दुर्घटना स्थल पर पहुंचें और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर लें, तुरंत एम्बुलेंस और इमरजेंसी सेवाओं को कॉल करें।

भारत में आप 108 (एम्बुलेंस सेवा) और 112 (राष्ट्रीय इमरजेंसी हेल्पलाइन) नंबर पर कॉल कर सकते हैं। कॉल करते समय घबराएं नहीं — शांत स्वर में दुर्घटना का स्थान, घायलों की संख्या और स्थिति, तथा आपकी पहचान (नाम, मोबाइल नंबर) स्पष्ट रूप से बताएं। जितनी अधिक सटीक जानकारी आप देंगे, मदद उतनी ही जल्दी और प्रभावी ढंग से पहुंचेगी।

इसके साथ ही, नजदीकी पुलिस स्टेशन को भी सूचना देना जरूरी है, खासकर अगर मामला गंभीर हो या कोई कानूनी प्रक्रिया बनती हो। पुलिस की मौजूदगी ट्रैफिक कंट्रोल करने और घायलों को प्राथमिकता से अस्पताल पहुंचाने में सहायक हो सकती है।

अगर आपके पास स्मार्टफोन है, तो GPS लोकेशन शेयर करें और किसी आस-पास के व्यक्ति को भी मदद के लिए पुकारें।
याद रखें – मदद मांगना कमज़ोरी नहीं, समझदारी है।

घायल व्यक्ति को हिलाएं नहीं (बहुत ज़रूरी!)

जब भी कोई व्यक्ति दुर्घटना में घायल मिलता है, हमारी पहली प्रतिक्रिया होती है — उसे उठाकर बैठाना या खींचकर सड़क से हटाना। लेकिन डॉक्टरों की राय में यह सबसे बड़ी और घातक गलती हो सकती है। विशेषकर जब व्यक्ति बेहोश हो, सांस नहीं ले रहा हो, या उसे गंभीर चोटें आई हों, तो उसे छेड़ना जानलेवा साबित हो सकता है।

हो सकता है कि उसकी रीढ़ की हड्डी (spinal cord) को गंभीर चोट लगी हो। अगर आप बिना किसी विशेषज्ञता के उसे उठाते हैं, तो उसकी हड्डी पूरी तरह टूट सकती है, जिससे वह हमेशा के लिए लकवाग्रस्त भी हो सकता है।

इसी तरह, अगर सिर में चोट लगी हो और आप उसे ज़बरदस्ती उठाते हैं, तो दिमाग में ब्रेन हेमरेज बढ़ सकता है, जिससे उसकी हालत और बिगड़ सकती है।

तो कब हिलाएं? केवल दो ही स्थितियों में:

  1. अगर गाड़ी में आग लगने का खतरा हो और व्यक्ति को वहीं छोड़ना जीवन के लिए ख़तरनाक हो।

  2. अगर वह ऐसी जगह है जहाँ तत्काल खतरा है – जैसे ट्रैफिक के बीच।

अन्यथा, उसे उसकी जगह स्थिर छोड़ें और एम्बुलेंस आने तक केवल सांस, नब्ज और स्थिति पर ध्यान दें।
“समझदारी से की गई निष्क्रियता, कभी-कभी सबसे बड़ी मदद होती है।”

व्यक्ति की सांस और पल्स चेक करें

जब घायल व्यक्ति बेहोश हो, तो सबसे महत्वपूर्ण होता है यह जानना कि क्या वह सांस ले रहा है और क्या उसकी नाड़ी (pulse) चल रही है। ये दोनों बातें यह तय करती हैं कि व्यक्ति को तुरंत जीवनरक्षक सहायता की आवश्यकता है या नहीं।

अगर आपके पास प्राथमिक चिकित्सा (First Aid) की थोड़ी भी जानकारी है, तो आप उस क्षण में किसी की जान बचा सकते हैं।

सबसे पहले, व्यक्ति के नाक और छाती की गति देखकर जानें कि वह सांस ले रहा है या नहीं।
अगर वह सांस नहीं ले रहा, तो तुरंत CPR (Cardiopulmonary Resuscitation) देना शुरू करें। इसमें छाती पर दबाव देकर दिल की धड़कन को कृत्रिम रूप से चलाया जाता है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचती रहती है।

अगर नाड़ी महसूस नहीं हो रही, तब भी CPR शुरू करना आवश्यक है। हर एक सेकंड कीमती होता है — 3-5 मिनट तक ऑक्सीजन न मिलने पर मस्तिष्क को स्थायी क्षति हो सकती है।

अगर व्यक्ति की सांस चल रही है लेकिन वह बेहोश है, तो उसे recovery position में डालें — यानी उसे एक करवट पर लेटाएं, सिर थोड़ा नीचे झुकाएं ताकि अगर उसे उल्टी हो, तो वह गले में फंसे नहीं और सांस रुकने का खतरा कम हो।

ध्यान रखें: CPR एक जीवनरक्षक तकनीक है – सही समय पर किया गया प्रयास, मौत से खींचकर जीवन की ओर ला सकता है।

खून बहना बंद करें

सड़क दुर्घटनाओं में अक्सर लोगों को गहरी चोटें आती हैं, जिनसे तेज़ी से खून बहने लगता है। अगर समय पर खून को नहीं रोका गया, तो व्यक्ति की जान सिर्फ अत्यधिक रक्तस्राव (severe blood loss) के कारण भी जा सकती है। इसलिए, घाव से खून बहना रोकना एक अति आवश्यक और प्राथमिक कदम है।

यदि आपके पास प्राथमिक चिकित्सा किट नहीं है, तो घबराएं नहीं — किसी भी साफ कपड़े, रुमाल, दुपट्टा या टिशू का इस्तेमाल करें। उस कपड़े को घाव पर ज़ोर से दबाएं और कुछ समय तक दबाव बनाए रखें। यह खून के प्रवाह को धीमा या बंद करने में मदद करता है।

यदि घाव हाथ या पैर में है, तो उस अंग को दिल की ऊंचाई से ऊपर उठाएं, ताकि खून का बहाव कम हो जाए। ध्यान रखें कि कपड़ा गंदा न हो — गंदगी से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

अगर खून बहुत ज़्यादा निकल रहा है और कपड़ा भीग जाए, तो नया कपड़ा लगाने की बजाय उसी के ऊपर दूसरा कपड़ा रखकर दबाव बढ़ाएं। बार-बार कपड़ा हटाना खतरनाक हो सकता है।

खून बहना रोकना सिर्फ मदद नहीं, कई बार जीवनदान होता है। इसलिए इस कदम में जल्दबाज़ी न करें, लेकिन तेजी और सतर्कता जरूर बरतें।

टूटी हड्डी या फ्रैक्चर हो तो

सड़क दुर्घटनाओं में हड्डी टूटने (फ्रैक्चर) की घटनाएं भी आम होती हैं। ऐसी स्थिति में यदि घायल व्यक्ति के हाथ, पैर या किसी अन्य हिस्से की हड्डी टूटी हो, तो उसे छेड़छाड़ किए बिना स्थिर (immobilize) रखना बेहद ज़रूरी होता है।
फ्रैक्चर पर ज़रा सी भी ज़्यादा हरकत दर्द को बढ़ा सकती है, अंदरूनी रक्तस्राव हो सकता है, या हड्डी की स्थिति और बिगड़ सकती है।

ऐसी स्थिति में सबसे पहले उस हिस्से को हिलने से रोकने की कोशिश करें। इसके लिए अगर संभव हो, तो लकड़ी की पट्टी (splint), अखबार, कार्डबोर्ड या कोई सीधा और मजबूत सामान लेकर उसे फ्रैक्चर वाले हिस्से के साथ बांध दें। इससे वह हिस्सा स्थिर रहेगा और हड्डी की स्थिति और नहीं बिगड़ेगी।

ध्यान रखें — पट्टी बांधते समय बहुत कसकर न बांधें और चोट वाले हिस्से पर वजन न डालें। कोशिश करें कि व्यक्ति को उसी अवस्था में रखें और जल्द से जल्द डॉक्टर या अस्पताल पहुंचाएं।

अगर टूटी हड्डी बाहर निकल आई हो (ओपन फ्रैक्चर), तो उस पर कोई चीज़ न रखें, केवल खून बहना बंद करने की कोशिश करें और संक्रमण से बचाएं।

सही तरीके से हड्डी को स्थिर रखना, लंबे समय की चोट और दर्द से व्यक्ति को बचा सकता है।

जलने या स्किन छिलने की स्थिति में

सड़क दुर्घटनाओं में कई बार व्यक्ति को त्वचा जलने (burns) या स्किन छिलने (abrasion) की चोटें लग सकती हैं, जो बेहद दर्दनाक होती हैं और अगर सही देखभाल न हो, तो संक्रमण (infection) का कारण बन सकती हैं। ऐसे मामलों में तुरंत सही कदम उठाना बहुत जरूरी होता है।

अगर त्वचा जली हुई हो, तो सबसे पहले उस जगह को ठंडे (but not icy) पानी से धोएं। यह जलन को कम करने और त्वचा को राहत देने में मदद करता है। लेकिन ध्यान रखें — बर्फ या बर्फीले पानी का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इससे स्किन डैमेज और ज्यादा हो सकती है।

अगर त्वचा छिल गई हो (road rash या abrasion), तो लोग अक्सर हल्दी, टूथपेस्ट या कोई क्रीम लगाने की गलती करते हैं। ऐसा बिल्कुल न करें। ये चीजें संक्रमण बढ़ा सकती हैं और इलाज को मुश्किल बना सकती हैं।

ऐसी स्थिति में सबसे अच्छा तरीका है कि आप घाव को साफ पानी से धोकर और फिर एक साफ, नरम कपड़े या बैंडेज से हल्के से ढक दें। ज्यादा दबाव न डालें, और घाव को खुली हवा से बचाएं।

साफ-सुथरी देखभाल संक्रमण रोकती है और व्यक्ति को आगे चलकर गंभीर त्वचा रोगों से बचा सकती है।

बेहोशी, उल्टी या दौरे (Seizure) आए तो

सड़क दुर्घटना के बाद कभी-कभी व्यक्ति को बेहोशी, उल्टी या यहाँ तक कि दौरे (Seizure) भी आ सकते हैं, जो स्थिति को और गंभीर बना देते हैं। ऐसी परिस्थिति में सही कदम उठाना बेहद जरूरी होता है ताकि घायल की जान बचाई जा सके और गंभीर चोट से बचाव हो।

अगर व्यक्ति को दौरा पड़ रहा है, तो उसे रोकने या दबाने की कोशिश न करें। दौरे के दौरान उसके शरीर में ऐंठन हो सकती है, और जबरदस्ती रोकने से चोट लग सकती है।

इसके बजाय, उसके आसपास की खतरनाक वस्तुएं, तेज किनारों या कठोर सतहों को हटाएं ताकि दौरे के दौरान वह कहीं चोट न खाए। सिर को हल्का सहारा दें, लेकिन ज़बरदस्ती हिलाएं नहीं।

दौरे के बाद या अगर व्यक्ति बेहोश हो गया है, तो उसे एक तरफ करवट (recovery position) में लेटाएं ताकि अगर उल्टी हो तो वह बाहर निकल सके और गले में न फंसे। उल्टी गले में फंसने से सांस बंद हो सकती है, जो जानलेवा हो सकता है।

इसके साथ ही, घबराएं नहीं और तुरंत मेडिकल मदद के लिए कॉल करें।

सावधानी और सही प्राथमिक उपचार से गंभीर स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है।

सांस लेने में तकलीफ हो तो

सड़क दुर्घटना के बाद कभी-कभी घायल व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है, जो एक आपातकालीन स्थिति होती है और तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत होती है। सांस लेने में रुकावट से शरीर और मस्तिष्क तक ऑक्सीजन सही मात्रा में नहीं पहुंच पाती, जिससे स्थिति गंभीर हो सकती है।

सबसे पहले, ध्यान दें कि क्या गले, मुंह या छाती में कोई ऐसी चीज़ तो नहीं अटकी हुई है, जो सांस लेने में बाधा डाल रही हो। अगर कोई टाई, बेल्ट, या तंग कपड़े गले या छाती पर कस रहे हों, तो उन्हें तुरंत धीरे से ढीला करें ताकि सांस लेने के लिए जगह मिले।

घायल व्यक्ति को ताजी हवा वाले खुले स्थान पर ले जाएं। अगर संभव हो, तो उसे ऐसे जगह पर बिठाएं या लिटाएं जहां सांस लेने में आसानी हो, जैसे कि आधा बैठा हुआ।

साथ ही, शांत और आरामदायक माहौल बनाए रखें ताकि घबराहट न बढ़े, क्योंकि घबराहट और तनाव सांस लेने में और परेशानी बढ़ा सकते हैं।

अगर सांस लेने में बहुत दिक्कत हो रही हो, तो तुरंत एम्बुलेंस या डॉक्टर से संपर्क करें।

सांस लेने में दिक्कत को नजरअंदाज न करें, यह जीवन और मौत के बीच का फासला हो सकता है।

बच्चे या बुजुर्ग घायल हों तो

  • इनका शरीर कमजोर होता है और जल्दी शॉक में आ सकते हैं।
  • इनकी नब्ज और श्वास को हर 1-2 मिनट में जांचते रहें।
  • बच्चे अक्सर दर्द सहन नहीं कर पाते, उन्हें भावनात्मक सहारा दें।

एक्सीडेंट में गर्भवती महिला घायल हो तो

  • पेट पर चोट या ब्लीडिंग हो रही हो तो तुरंत अस्पताल ले जाएं।
  • ऐसे मामलों में देरी बहुत खतरनाक साबित हो सकती है।
  • महिला को लेटाएं, पैर थोड़े ऊँचे रखें और बातचीत करते रहें।

एक्सीडेंट के बाद इन गलतियों से बचें (डॉक्टरों की चेतावनी)

डॉक्टरों के अनुसार, निम्नलिखित काम बिलकुल न करें:

क्र.गलतीपरिणाम
1घायल को खींचना या उठानारीढ़ की हड्डी को नुकसान
2पानी या कुछ खिलानाउल्टी या दम घुटने का खतरा
3भीड़ इकट्ठा करनाएम्बुलेंस का रास्ता रुक सकता है
4वीडियो बनानाइंसानियत के खिलाफ है
5बिना ट्रेनिंग CPR देनागलत ढंग से देने पर पसली टूट सकती है

एक्सीडेंट का कानूनी पक्ष

  • गुड समैरिटन लॉ (Good Samaritan Law) के अनुसार, अगर आप किसी घायल की मदद करते हैं तो आपको कानूनी सुरक्षा प्राप्त है।
  • पुलिस या अस्पताल आपको परेशान नहीं कर सकते।
  • नाम गुप्त रखने का भी अधिकार है।

प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स हमेशा रखें

हर गाड़ी में First Aid Kit होना अनिवार्य है, जिसमें निम्न वस्तुएं होनी चाहिए:

  • स्टेराइल गॉज पैड और बैंडेज
  • सेनेटाइज़र
  • एंटीसेप्टिक क्रीम
  • पेन किलर टैबलेट्स
  • कैंची, टेप, थर्मामीटर
  • CPR मास्क

बच्चों को भी सिखाएं बेसिक फर्स्ट एड

आज के बच्चे कल के नागरिक हैं। उन्हें स्कूल और घर पर प्राथमिक उपचार के बारे में बताना चाहिए।

  • चोट लगने पर क्या करें
  • नाक से खून आना, चोट लगना या जलना – प्राथमिक ज्ञान दें
  • CPR के बेसिक स्टेप्स समझाएं

मानसिक और भावनात्मक सपोर्ट

एक्सीडेंट का शिकार व्यक्ति न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी आहत होता है।

  • उसके पास रहें, उसका हाथ पकड़ें
  • उसे हिम्मत दें – “सब ठीक हो जाएगा” जैसे शब्द बहुत ताकत देते हैं
  • अगर हो सके तो परिवार या मित्रों को सूचना दें

अस्पताल पहुंचने तक क्या करें?

  • रास्ते में घायल की स्थिति लगातार जांचते रहें
  • सांस ले रहा है या नहीं, नाड़ी चल रही है या नहीं
  • स्ट्रेचर या गाड़ी में लेटाते समय सिर और गर्दन को स्थिर रखें

निष्कर्ष

किसी की जान बचाने का मौका जीवन में बार-बार नहीं आता, लेकिन जब आता है तो इंसानियत की सबसे बड़ी परीक्षा होती है। एक्सीडेंट की स्थिति में आपका सही निर्णय किसी की ज़िंदगी को बचा सकता है।

डॉक्टरों की मानें तो हर मिनट कीमती होता है।

इसलिए: मत घबराइए, मदद कीजिए – क्योंकि आप ही हो सकते हैं किसी की जिंदगी की आखिरी उम्मीद।

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