अंगुलिमाल एक बहुत बड़ा डाकू था वह लूट करने के साथ -साथ लोगों को मार कर उनकी अंगुलिया काट कर उसकी माला बना कर पहनता था ! अंगुलियों की माला पहनने के कारण ही लोग उसे अंगुलिमाल डाकू बुलाते थे लोगो के घरो में घुस कर वह लूट इस तरह से करता था की लोग उससे डरने लग गए थे ! दूर दूर तक के गावों में लोग उससे बहुत डरते थे , उसका नाम सुनते ही लोगो के पसीने छूटने लगते थे !
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अंगुलिमाल का लूट का ये सिनशिला चल ही रहा था की भगवान बुद्ध उन दिनों उस इलाके में अपना उपदेश देते हुए पहुंच गए ! गाँव के लोगो से भगवान बुद्ध को अंगुलिमाल डाकू के बारे में पता चला ! जिस इलाके में अंगुलिमाल का अक्सर आना जाना होता था उस इलाके में लोग जाने से डरते थे ! गाँव वालो का कहना था की अंगुलिमाल उसी इलाके में रहता भी है ! भगवान बुद्ध ने कहा जिस इलाके में वह रहता है मैं उसी जंगल की तरफ जाकर रहूँगा और अपने उपदेश का ज्ञान बढ़ाऊंगा ! गाँव वाले घबरा कर भगवान बुद्ध से कहने लगे ऐसा मत करिये वह बहुत ही खतरनाक डाकू है वह कभी भी किसी से नहीं डरता वह आप पर भी प्रहार कर सकता है !
भगवान बुद्ध सभी की बाते ध्यान से सुन रहे थे , लेकिन वह अपना इरादा नहीं बदले, और उस दिशा में जाने लगे जहा अंगुलिमाल रहता था ! अंगुलिमाल को जब इस बात का पता चला की कोई व्यक्ति मेरे इलाके में बिना खौफ के ही घूम रहा है तो उसे बहुत गुस्सा आया , और निकल पड़ा भगवान बुद्ध का रास्ता रोकने के लिए ! और भगवान बुद्ध के सामने आकर खड़ा हो गया , परन्तु उसने देखा की भगवान बुद्ध के चेहरे पे जरा सा भी मौत का भय नहीं था , और कुछ ही पल में उसका पत्थर सा दिल मोम की तरह मुलायम हो गया !
भगवान बुद्ध मुस्कुराते हुए बोले ” अरे भाई सामने के पेड़ से चार पत्ते लेकर आओगे क्या मुझे उस पत्ते से कुछ कार्य करना है ! अंगुलिमाल बड़ी सहजता से पेड़ से पत्ते लाने चला गया और पत्ते तोड़ कर भगवान बुद्ध के हाथों में दे दिया ! अब बुद्ध ने डाकू से कहा की इन पत्तो को जहां से तोड़ कर लाये हो इसे वही उस डाल पर जाकर जोड़ दो !
अंगुलिमाल बड़ा हैरान हुआ और कहा ये कैसे सम्भव है ! भगवान बुद्ध बोले जब टूटी हुयी चीज जोड़ नहीं सकते तो जुड़ी हुयी चीज़ तोड़ते क्यों हो ? ये सुनते ही अंगुलिमाल की आंखे खुल गयी और उसे ज्ञान हो गया और उसका ह्रदय परिवर्तन हो गया! उस दिन से ही भगवान बुद्ध की शरण में ही रहने लगा !
कहानी का सार :-
जिस चीज को हमने बनाया नहीं है उसे तोड़ने का भी हक़ हमारा नहीं होता है !