सनस्क्रीन आंखों में जलन का कारण क्यों बनता है?

सनस्क्रीन आंखों में जलन का कारण क्यों बनता है(Why does sunscreen cause eye irritation)

सनस्क्रीन एक महत्वपूर्ण उत्पाद है जो हमारी त्वचा को हानिकारक यूवी किरणों से बचाता है, जिससे सनबर्न, समय से पहले बुढ़ापे और त्वचा कैंसर से बचाव होता है। हालांकि, कुछ लोगों को सनस्क्रीन लगाने पर आंखों में जलन का अनुभव होता है। यह असुविधा परेशान करने वाली हो सकती है और कुछ व्यक्तियों को सनस्क्रीन का उपयोग करने से हतोत्साहित कर सकती है। यह समझना कि ऐसा क्यों होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है, उपयोगकर्ताओं को सनस्क्रीन का लाभ उठाने में मदद कर सकता है बिना जलन का सामना किए।

सनस्क्रीन आंखों में जलन का कारण उसके रासायनिक घटक, pH स्तर और संवेदनशील त्वचा के साथ संपर्क हो सकता है। अधिकतर सनस्क्रीन में रासायनिक तत्व जैसे ऑक्सीबेंजोन, अवोबेंजोन, और होमोसालेट होते हैं, जो यूवी विकिरण को अवशोषित करते हैं। हालांकि ये त्वचा के लिए सुरक्षित हो सकते हैं, लेकिन आंखों के संपर्क में आने पर जलन और चुभन पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा, सनस्क्रीन का pH स्तर त्वचा के लिए संतुलित होता है, लेकिन आंखों की त्वचा का pH थोड़ा अलग होता है, जिससे असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होती है और जलन हो सकती है।

इसके अलावा, सनस्क्रीन में डाले जाने वाले सुगंध और संरक्षक भी आंखों में जलन का कारण बन सकते हैं। कुछ सनस्क्रीन जल प्रतिरोधी होते हैं, जिससे पसीने या आंसू के साथ सनस्क्रीन आंखों में चला जाता है और रासायनिक घटक आंखों में जलन उत्पन्न करते हैं। सनस्क्रीन लगाने के दौरान यदि ध्यान न दिया जाए और आंखों के पास अधिक उत्पाद लगाया जाए तो भी जलन हो सकती है। इसलिए, खनिज आधारित सनस्क्रीन का उपयोग करना और आंखों से संपर्क से बचना इस समस्या से बचने के लिए बेहतर होता है।

1. सनस्क्रीन का संघटन(Composition of sunscreen)

सनस्क्रीन ऐसे सक्रिय घटकों से बने होते हैं जो यूवी विकिरण को अवरुद्ध या अवशोषित करने में मदद करते हैं। इन घटकों को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

रासायनिक (सिंथेटिक) सनस्क्रीन: ये रासायनिक पदार्थों जैसे अवोबेंजोन, ऑक्सीबेंजोन, होमोसालेट और ऑक्टिनोक्सेट का उपयोग करते हैं, जो यूवी विकिरण को अवशोषित करके उसे गर्मी में बदलते हैं, जिसे फिर त्वचा से बाहर किया जाता है।
भौतिक (खनिज) सनस्क्रीन: ये जिंक ऑक्साइड या टाइटेनियम डाइऑक्साइड का उपयोग करते हैं जो यूवी किरणों को शारीरिक रूप से अवरुद्ध करते हैं, जो त्वचा पर बैठकर सूर्य की किरणों को परावर्तित करते हैं।
दोनों प्रकार प्रभावी होते हैं यूवी विकिरण को अवरुद्ध करने में, लेकिन विशेष रूप से रासायनिक सनस्क्रीन के संघटन में, आंखों में जलन और जलन का कारण बनने की संभावना होती है।

2. सनस्क्रीन में रासायनिक घटक(Chemical Ingredients in Sunscreen)

कुछ रासायनिक सनस्क्रीन घटक, विशेष रूप से सिंथेटिक संघटन में, जब आंखों के संपर्क में आते हैं, तो जलन का कारण बन सकते हैं। सनस्क्रीन में उपयोग किए गए रासायनिक घटक त्वचा पर बने रहने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और सूर्य की रोशनी के साथ बातचीत करते हैं, लेकिन जब पसीना, पानी या चेहरे को छूने से सनस्क्रीन आंखों में चला जाता है, तो ये रासायनिक घटक जलन या चुभन का कारण बन सकते हैं।

रासायनिक सनस्क्रीन में कुछ सामान्य घटक जो आंखों के आसपास जलन का कारण बन सकते हैं:
ऑक्सीबेंजोन: यह सनस्क्रीन घटक कुछ व्यक्तियों में एलर्जी प्रतिक्रिया से जुड़ा हुआ है। यह आंखों के संपर्क में आने पर जलन, लालिमा और चुभन का कारण बन सकता है।
ऑक्टिनोक्सेट और होमोसालेट: ये घटक, हालांकि यूवी विकिरण को अवरुद्ध करने में प्रभावी होते हैं, संवेदनशील त्वचा और आंखों में जलन पैदा कर सकते हैं।
अवोबेंजोन: यह यूवीए किरणों के पूरे स्पेक्ट्रम से बचाव करने के लिए जाना जाता है, लेकिन यह कुछ लोगों में आंखों में जलन का कारण बन सकता है, विशेष रूप से जब यह पसीने या पानी से मिलकर आंखों में जाता है।

3. सनस्क्रीन का pH(pH of sunscreen)

सनस्क्रीन का pH स्तर एक महत्वपूर्ण कारक है जो यह निर्धारित करता है कि यह त्वचा पर कैसे प्रतिक्रिया करेगा। सामान्यतः, त्वचा का pH स्तर 4.5 से 5.5 के बीच होता है, जो हल्का अम्लीय होता है। इसी कारण से, सनस्क्रीन को भी त्वचा के प्राकृतिक pH स्तर के अनुरूप डिज़ाइन किया जाता है, ताकि यह त्वचा पर प्रभावी रूप से काम कर सके और किसी प्रकार की जलन या सूजन से बचा जा सके। अधिकांश सनस्क्रीन का pH लगभग 5.5 से 7 के बीच होता है, जो तटस्थ या हल्का अम्लीय होता है।

यदि सनस्क्रीन का pH बहुत अधिक (क्षारीय) या बहुत कम (अम्लीय) होता है, तो यह त्वचा की रक्षा की प्राकृतिक प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकता है। अत्यधिक अम्लीय या क्षारीय सनस्क्रीन त्वचा के सुरक्षात्मक बैरियर को कमजोर कर सकते हैं, जिससे त्वचा में जलन, सूजन और अन्य एलर्जी प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं। इसके अलावा, यदि pH संतुलन सही नहीं है, तो यह सनस्क्रीन की प्रभावशीलता को भी प्रभावित कर सकता है। अत: सनस्क्रीन का pH संतुलित और त्वचा के साथ संगत होना चाहिए, ताकि वह प्रभावी रूप से यूवी किरणों से सुरक्षा प्रदान कर सके और त्वचा पर किसी भी प्रकार की असुविधा का कारण न बने।

4. फ्रैगेंस और अन्य additives(Fragrances and other additives)

सनस्क्रीन में आमतौर पर सुगंध और संरक्षक (preservatives) जोड़े जाते हैं ताकि उत्पाद की महक बढ़ाई जा सके या उसकी शेल्फ लाइफ बढ़ सके। हालांकि, ये additives त्वचा और आंखों में जलन पैदा कर सकते हैं। यहां तक कि फ्रेगरेंस-फ्री सनस्क्रीन भी अन्य रासायनिक या अल्कोहल सामग्री का उपयोग कर सकते हैं जो प्रतिक्रिया पैदा कर सकते हैं, खासकर जब पसीना या आंसू सनस्क्रीन को आंखों में प्रवाहित कर देते हैं।

5. जल प्रतिरोध और सनस्क्रीन का फैलाव(Water resistance and dispersion of sunscreen)

जल प्रतिरोधी सनस्क्रीन को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि वे पसीने या पानी के संपर्क में आने पर भी त्वचा पर बने रहते हैं। हालांकि, यह विशेषता तब उलट सकती है जब सनस्क्रीन चेहरे से आंसू या पसीने के संपर्क में आकर आंखों में प्रवाहित हो जाता है, जिससे जलन या चुभन हो सकती है। जैसे-जैसे सनस्क्रीन टूटने लगता है, यह पसीने के साथ मिलकर आंखों में चला जाता है।

6. आंखों में सनस्क्रीन जाने से कैसे बचें(How to avoid getting sunscreen in your eyes)

जबकि सनस्क्रीन त्वचा को यूवी विकिरण से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है, यह आंखों में जलन से बचने के लिए कुछ कदम उठाने आवश्यक हैं। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:

सनस्क्रीन को सावधानी से लगाएं: जब चेहरे पर सनस्क्रीन लगाएं, तो आंखों के आस-पास के क्षेत्रों से बचने की कोशिश करें, या ऐसे सनस्क्रीन का उपयोग करें जो चेहरे के लिए डिज़ाइन किया गया हो। खासकर आंखों के आस-पास अधिक उत्पाद लगाने से बचें।

खनिज सनस्क्रीन चुनें: खनिज सनस्क्रीन, जो जिंक ऑक्साइड या टाइटेनियम डाइऑक्साइड का उपयोग करते हैं, रासायनिक सनस्क्रीन की तुलना में आंखों में जलन कम पैदा करते हैं। ये संवेदनशील त्वचा के लिए भी बेहतर होते हैं।
जल प्रतिरोधी सनस्क्रीन: अगर आप पसीना बहाने या तैरने का विचार कर रहे हैं, तो जल प्रतिरोधी सनस्क्रीन का चयन करें। हालांकि, सुनिश्चित करें कि यह आंखों के लिए हल्का हो और आंखों के आस-पास अधिक लगाने से बचें।
आंखों के लिए विशेष उत्पादों का उपयोग करें: कुछ ब्रांड ऐसे सनस्क्रीन प्रदान करते हैं जो विशेष रूप से आंखों के आस-पास उपयोग के लिए डिज़ाइन किए गए होते हैं। ये उत्पाद आमतौर पर हल्के होते हैं और जलन कम उत्पन्न करते हैं।

Sunglasses पहनें: अपनी आंखों को यूवी किरणों से बचाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सन्सग्लास पहनें। इस तरह आप आंखों के आस-पास सनस्क्रीन लगाए बिना भी सूर्य संरक्षण का आनंद ले सकते हैं।

7. अगर सनस्क्रीन आंखों में चला जाए तो क्या करें(What to do if sunscreen gets into your eyes)

अगर सनस्क्रीन आंखों में चला जाए और जलन हो, तो यहां कुछ कदम दिए गए हैं:
तुरंत धो लें: अपनी आंखों को ठंडे, साफ पानी से धो लें। आंखों को रगड़ने से बचें क्योंकि इससे जलन और बढ़ सकती है।

आंखों की बूँदें उपयोग करें: ओवर-द-काउंटर लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप्स जलन को शांत करने और चुभन को दूर करने में मदद कर सकती हैं।
आंखों को न छुएं: सनस्क्रीन लगाने के बाद आंखों को छूने या रगड़ने से बचें क्योंकि इससे उत्पाद आपकी आँखों में जा सकता है।

डायबिटीज़ का आंखों पर प्रभाव
डायबिटीज़ एक पुरानी चिकित्सा स्थिति है जिसमें शरीर रक्त शर्करा के स्तर को सही तरीके से नियंत्रित नहीं कर पाता। इस स्थिति का आंखों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा के स्तर से गंभीर आंखों की समस्याएं हो सकती हैं, जो दृष्टिहीनता का कारण बन सकती हैं। इस खंड में हम यह समझेंगे कि डायबिटीज़ आंखों पर कैसे असर डालती है।

1. डायबिटिक रेटिनोपैथी
डायबिटिक रेटिनोपैथी डायबिटीज़ से जुड़ी एक सामान्य आंखों की समस्या है। यह तब होता है जब उच्च रक्त शर्करा स्तर आंखों की रेटिना (आंख के पीछे की रोशनी संवेदनशील ऊतक) में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। ये रक्त वाहिकाएं तरल या रक्त रिसकने लगती हैं, जिससे दृष्टि में समस्या आती है।
डायबिटिक रेटिनोपैथी के दो मुख्य चरण होते हैं:

नॉन-प्रोलिफेरेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी (NPDR): यह रोग का प्रारंभिक चरण है। इस चरण में रेटिना की रक्त वाहिकाएं कमजोर हो जाती हैं और तरल रिसने लगता है, जिससे रेटिना में सूजन होती है और दृष्टि धुंधली हो जाती है।
प्रोलिफेरेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी (PDR): इस उन्नत चरण में नई, असामान्य रक्त वाहिकाएं रेटिना में बढ़ने लगती हैं। ये रक्त वाहिकाएं नाजुक होती हैं और रक्तस्राव कर सकती हैं, जिससे गंभीर दृष्टि समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें रेटिनल डिटैचमेंट का खतरा भी शामिल है।

2. मोतियाबिंद
डायबिटीज़ वाले लोगों को मोतियाबिंद होने का जोखिम अधिक होता है, यह एक स्थिति है जिसमें आंख के लेंस में धुंधलापन हो जाता है, जिससे दृष्टि बाधित होती है। मोतियाबिंद का खतरा उम्र और डायबिटीज़ के अवधि के साथ बढ़ता है। उच्च रक्त शर्करा स्तर आंख के लेंस में परिवर्तन कर सकते हैं, जिससे मोतियाबिंद हो सकता है। मोतियाबिंद के लक्षणों में धुंधली दृष्टि, चमक और रात में देखने में कठिनाई शामिल है।

3. ग्लूकोमा
डायबिटीज़ आंखों के ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचाने वाले ग्लूकोमा नामक आंखों की बीमारियों के जोखिम को भी बढ़ाता है। ग्लूकोमा से दृष्टिहीनता हो सकती है और अगर इलाज न किया जाए तो यह स्थायी हो सकता है। डायबिटीज़ वाले लोग खुली कोने वाले ग्लूकोमा (open-angle glaucoma) के शिकार होने के लिए अधिक प्रवृत्त होते हैं, जो कि प्रारंभिक चरणों में बिना किसी लक्षण के होता है।

4. डायबिटिक मैकुलर एडेमा (DME)
डायबिटिक मैकुलर एडेमा डायबिटिक रेटिनोपैथी का एक परिणाम है, जब तरल मैकुला में रिसता है, जो रेटिना का केंद्रीय भाग है और जो तेज, स्पष्ट दृष्टि के लिए जिम्मेदार है। यह सूजन का कारण बनता है, जिससे दृष्टि विकृत या धुंधली हो सकती है। DME डायबिटीज़ वाले लोगों में दृष्टिहीनता का एक प्रमुख कारण है।

5. आंखों पर डायबिटीज़ के प्रभाव के जोखिम कारक
कुछ कारक डायबिटीज़ वाले लोगों में आंखों की समस्याओं के जोखिम को बढ़ाते हैं:
उच्च रक्त शर्करा स्तर: लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा स्तर रक्त वाहिकाओं और तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

डायबिटीज़ की अवधि: जितने लंबे समय तक किसी व्यक्ति को डायबिटीज़ हो, आंखों की समस्याओं का खतरा उतना ही अधिक होता है।
खराब रक्त शर्करा नियंत्रण: जिन लोगों को रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में कठिनाई होती है, उनमें आंखों की समस्याएं होने की संभावना अधिक होती है।
उच्च रक्त दबाव और उच्च कोलेस्ट्रॉल: ये स्थितियां, जो डायबिटीज़ वाले लोगों में सामान्य होती हैं, भी आंखों की समस्याओं के जोखिम को बढ़ाती हैं।

6.पानी और पसीने के साथ मिश्रण: सनस्क्रीन आमतौर पर पसीने और पानी से बचने के लिए जल प्रतिरोधी होता है। हालांकि, जब पसीना या आंसू सनस्क्रीन को आंखों में बहाते हैं, तो यह रासायनिक तत्व आंखों में जलन पैदा कर सकते हैं।

इन समस्याओं से बचने के लिए, खनिज आधारित (जिंक ऑक्साइड या टाइटेनियम डाइऑक्साइड वाले) सनस्क्रीन का उपयोग करना अच्छा होता है, क्योंकि ये रासायनिक सनस्क्रीन की तुलना में आंखों में कम जलन उत्पन्न करते हैं।

6. क्या डायबिटीज़ से आंखों का स्वास्थ्य सुधर सकता है(Can diabetes improve eye health?)

हालांकि डायबिटीज़ आंखों की कई समस्याओं का कारण बन सकती है, लेकिन रक्त शर्करा स्तर का सही तरीके से प्रबंधन इन समस्याओं को रोकने या उनकी प्रगति को धीमा करने में मदद कर सकता है। कुछ मामलों में, यदि आंखों की समस्याएं जल्दी पकड़ी जाती हैं, तो इलाज से दृष्टि को बचाया या सुधारा जा सकता है। उदाहरण के लिए, डायबिटिक मैकुलर एडेमा के मामलों में, लेजर उपचार या एंटी-वीईजीएफ (anti-VEGF) इंजेक्शन जैसी उपचार विधियों से सूजन को कम किया जा सकता है और दृष्टि में सुधार हो सकता है।

7. डायबिटीज़ का दृष्टि पर प्रभाव(Effects of diabetes on vision)

डायबिटीज़ कई प्रकार की दृष्टि समस्याएं पैदा कर सकता है, जो अस्थायी दृष्टि में बदलाव से लेकर स्थायी दृष्टिहीनता तक हो सकती हैं। उच्च रक्त शर्करा स्तर से आंखों के लेंस में सूजन हो सकती है, जिससे दृष्टि धुंधली हो जाती है।

डायबिटीज़ का आंखों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, खासकर जब रक्त शर्करा का स्तर लंबे समय तक नियंत्रण में न हो। उच्च रक्त शर्करा की स्थिति में शरीर की रक्त वाहिकाओं पर दबाव बढ़ता है, जो आंखों की संरचनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। इस प्रकार, डायबिटीज़ से जुड़ी सबसे सामान्य आंखों की समस्याएं डायबिटिक रेटिनोपैथी, मोतियाबिंद, और ग्लूकोमा हैं।

डायबिटिक रेटिनोपैथी तब होती है जब उच्च रक्त शर्करा के कारण आंख की रेटिना (आंख के पीछे का हिस्सा) में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है। ये रक्त वाहिकाएं कमजोर होकर रिसने लगती हैं, जिससे आंखों में सूजन और दृष्टि में धुंधलापन आ सकता है। समय के साथ, यदि रक्त शर्करा नियंत्रण में न हो, तो यह स्थिति और गंभीर हो सकती है, जिससे दृष्टिहीनता हो सकती है।

मोतियाबिंद भी डायबिटीज़ वाले व्यक्तियों में सामान्य समस्या है, जिसमें आंखों के लेंस में धुंधलापन आ जाता है। यह स्थिति दृष्टि को प्रभावित करती है और समय के साथ गंभीर हो सकती है। इसके अलावा, डायबिटीज़ ग्लूकोमा का जोखिम भी बढ़ा सकता है, जो एक ऐसी स्थिति है जिसमें आंखों के दबाव में वृद्धि होती है, जिससे ऑप्टिक नर्व पर दबाव पड़ता है और दृष्टिहीनता हो सकती है।

यदि डायबिटीज़ का प्रबंधन ठीक से किया जाए और रक्त शर्करा स्तर नियंत्रण में रखें, तो इन समस्याओं से बचा जा सकता है या इनकी प्रगति को धीमा किया जा सकता है। नियमित आंखों की जांच और उचित चिकित्सा उपचार से दृष्टिहीनता के जोखिम को कम किया जा सकता है।

8. डायबिटीज़ में आंखों की समस्याओं से बचाव(Prevention of eye problems in diabetes)

डायबिटीज़ वाले लोग अपनी आंखों के स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए कई कदम उठा सकते हैं:
नियमित आंखों की जांच: डायबिटीज़ वाले व्यक्तियों को अपने नेत्र चिकित्सक से नियमित आंखों की जांच करवानी चाहिए। डायबिटिक आंखों की समस्याओं का जल्दी पता लगाना दृष्टिहीनता को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।
रक्त शर्करा का नियंत्रण: रक्त शर्करा को नियंत्रित रखना डायबिटिक आंखों की समस्याओं को रोकने या धीमा करने के लिए आवश्यक है। यह दवाइयों, स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम के माध्यम से किया जा सकता है।

रक्त दबाव और कोलेस्ट्रॉल की निगरानी: उच्च रक्त दबाव और कोलेस्ट्रॉल डायबिटिक आंखों की समस्याओं को बढ़ा सकते हैं, इसलिए इन स्थितियों का प्रबंधन करना आंखों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान डायबिटिक आंखों की समस्याओं का जोखिम बढ़ाता है, इसलिए धूम्रपान छोड़ना आंखों की रक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

निष्कर्ष(conclusion)

सनस्क्रीन हमारी त्वचा को हानिकारक यूवी विकिरण से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन कुछ व्यक्तियों में यह आंखों में जलन पैदा कर सकता है। यह जलन आमतौर पर सनस्क्रीन में मौजूद रासायनिक घटकों, pH स्तर और जोड़ी गई सुगंध या संरक्षकों के कारण होती है। इससे बचने के लिए, व्यक्तियों को खनिज सनस्क्रीन का उपयोग करना चाहिए, सावधानीपूर्वक लगाना चाहिए और आंखों से संपर्क से बचना चाहिए।

डायबिटीज़ आंखों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है, जिससे डायबिटिक रेटिनोपैथी, मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और डायबिटिक मैकुलर एडेमा जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, रक्त शर्करा के स्तर का प्रबंधन और नियमित आंखों की जांच से व्यक्ति अपनी दृष्टि की रक्षा कर सकते हैं और इन आंखों की समस्याओं के विकास को रोक सकते हैं या धीमा कर सकते हैं।

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