प्लास्टिक हमारे शरीर के लिए हानिकारक क्यों है?

प्लास्टिक हमारे शरीर के लिए हानिकारक क्यों है?

Contents hide
1 प्लास्टिक हमारे शरीर के लिए हानिकारक क्यों है?

प्लास्टिक हमारे आधुनिक जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। चाहे वह पानी की बोतल हो, टिफिन बॉक्स, सब्ज़ी का पैकेट, दूध की थैली, या बच्चों के खिलौने — हर जगह प्लास्टिक का ही बोलबाला है। इसकी सस्ती लागत, हल्के वजन और लचीलापन इसे अत्यधिक उपयोगी बनाते हैं। लेकिन इसी सुविधा के पीछे छुपा है एक गंभीर स्वास्थ्य संकट।

प्लास्टिक में मौजूद रसायन जैसे बीपीए (BPA), फथैलेट्स (Phthalates), और माइक्रोप्लास्टिक धीरे-धीरे हमारे शरीर में प्रवेश कर रहे हैं — पानी, भोजन, हवा और त्वचा के संपर्क से। ये रसायन हार्मोनल असंतुलन, कैंसर, प्रजनन समस्याएं, लिवर व किडनी की खराबी जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। विशेष रूप से प्लास्टिक की पैकिंग में गर्म खाना रखने या माइक्रोवेव में प्लास्टिक कंटेनर के इस्तेमाल से इसका प्रभाव और घातक हो सकता है। इसलिए, हमें प्लास्टिक के प्रति जागरूक होकर उसके सुरक्षित और सीमित उपयोग की दिशा में कदम उठाने की ज़रूरत है।

प्लास्टिक क्या है?

प्लास्टिक एक रासायनिक रूप से निर्मित कृत्रिम पदार्थ है, जिसे मुख्य रूप से पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस या कोयले जैसे जीवाश्म ईंधनों से बनाया जाता है। यह पॉलिमर नामक अणुओं से मिलकर बना होता है, जो आपस में श्रृंखला की तरह जुड़े होते हैं और इसे बेहद मजबूत तथा लचीला बनाते हैं।

यही कारण है कि प्लास्टिक लंबे समय तक वातावरण में बना रहता है और आसानी से विघटित नहीं होता। इसकी यह विशेषता — हल्कापन, मजबूती, पानी न सोखने की क्षमता और सस्ते निर्माण — इसे रोजमर्रा के जीवन में अत्यधिक उपयोगी बनाते हैं। बोतलों से लेकर मोबाइल कवर, पैकिंग सामग्री, घरेलू उपकरणों से लेकर चिकित्सा उपकरणों तक, प्लास्टिक का उपयोग लगभग हर क्षेत्र में किया जाता है। हालांकि यह हमारी सुविधाओं को बढ़ाता है, लेकिन इसके अत्यधिक और असंवेदनशील उपयोग से गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।

प्लास्टिक के प्रकार

प्लास्टिक के प्रकारों को उनके रासायनिक गुणों और उपयोग की प्रकृति के आधार पर दो मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है:

1. थर्मोप्लास्टिक (Thermoplastic):

यह वह प्रकार है जिसे गर्म करने पर मुलायम किया जा सकता है और मनचाही आकृति में ढाला जा सकता है। ठंडा होने पर यह फिर से ठोस बन जाता है। इसकी यह विशेषता इसे बार-बार रिसाइकिल करने योग्य बनाती है। आमतौर पर उपयोग होने वाले थर्मोप्लास्टिक में शामिल हैं:

  • पॉलीथीन (Polyethylene)

  • PVC (Polyvinyl Chloride)

  • PET (Polyethylene Terephthalate)

  • Polypropylene (PP)

उपयोग: बोतलें, प्लास्टिक बैग, पाइप, फर्नीचर आदि।

2. थर्मोसेट (Thermoset):

यह प्लास्टिक एक बार गर्म करके और आकार देकर ठोस बना दिया जाता है। इसके बाद इसे दोबारा गर्म करके नहीं बदला जा सकता। यह अत्यधिक गर्मी और रासायनिक प्रभावों को सहन कर सकता है।
उदाहरण:

  • बैकेलाइट (Bakelite)

  • मेलामाइन (Melamine)

उपयोग: इलेक्ट्रिकल इंसुलेशन, किचनवेयर, सॉकेट, स्विच आदि।

हालांकि ये दोनों प्रकार अपने-अपने स्थान पर उपयोगी हैं, लेकिन जब इनका अपशिष्ट रूप में गलत तरीके से निपटान किया जाता है, या ये शरीर में सूक्ष्म रूप में प्रवेश करते हैं, तब यह गंभीर स्वास्थ्य और पर्यावरणीय खतरे उत्पन्न करते हैं।

प्लास्टिक से स्वास्थ्य को नुकसान कैसे होता है?

1. रसायनिक रिसाव (Chemical Leaching)

प्लास्टिक में BPA (Bisphenol A), Phthalates, और अन्य जहरीले रसायन होते हैं जो गर्मी या समय के साथ भोजन या पानी में मिल सकते हैं। ये शरीर में हार्मोनल असंतुलन, कैंसर, बांझपन, और मधुमेह जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

2. माइक्रोप्लास्टिक का सेवन

प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े, जिन्हें माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता है, हमारे पीने के पानी, समुद्री जीवों, नमक, और यहाँ तक कि हवा में भी पाए गए हैं। ये शरीर में जाकर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं और लिवर, फेफड़े, या दिमाग तक को प्रभावित कर सकते हैं।

3. कैंसर का खतरा

कुछ प्लास्टिक रसायन (जैसे – डाइऑक्सिन, स्टाइरीन) कैंसरजनक होते हैं। प्लास्टिक की पैकिंग या कंटेनरों में गर्म खाना रखने से यह खतरा और बढ़ जाता है।

4. प्रजनन तंत्र पर असर

BPA और Phthalates जैसे रसायन एंडोक्राइन सिस्टम को बाधित करते हैं जिससे महिलाओं और पुरुषों दोनों में प्रजनन क्षमता पर असर पड़ सकता है।

5. हार्मोनल असंतुलन

प्लास्टिक में पाए जाने वाले रसायन एस्ट्रोजेन जैसे हार्मोन की नकल करते हैं, जिससे शरीर में असंतुलन उत्पन्न होता है।

6. श्वसन समस्याएँ

प्लास्टिक के जलने से निकलने वाला धुआँ फेफड़ों के लिए अत्यंत हानिकारक होता है और अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियाँ पैदा कर सकता है।

कौन-कौन से प्लास्टिक सबसे खतरनाक हैं?

प्लास्टिक का प्रकारसंकेत संख्याखतरा स्तर
Polyethylene Terephthalate (PET)1सुरक्षित पर बार-बार प्रयोग ना करें
High-Density Polyethylene (HDPE)2अपेक्षाकृत सुरक्षित
Polyvinyl Chloride (PVC)3विषैला और हार्मोन बाधित
Low-Density Polyethylene (LDPE)4कम खतरा, पर रिसाव संभव
Polypropylene (PP)5तुलनात्मक रूप से बेहतर
Polystyrene (PS)6कैंसरजनक संभावना
Other (BPA, Polycarbonate)7अत्यधिक खतरनाक

प्लास्टिक के फायदे

प्लास्टिक, अपने बहुउपयोगी गुणों के कारण आज हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। भले ही इसके दुष्परिणाम लंबे समय में गंभीर हो सकते हैं, लेकिन इसके कुछ ऐसे फायदे हैं, जिनके कारण इसका उपयोग हर क्षेत्र में होता है:

1. सस्ता और सुलभ:

प्लास्टिक का निर्माण अन्य सामग्रियों की तुलना में काफी कम लागत में हो जाता है। यही कारण है कि इसका उपयोग उद्योगों से लेकर घरेलू वस्तुओं तक बड़े पैमाने पर किया जाता है।

2. हल्का और मजबूत:

यह वजन में बहुत हल्का होता है, लेकिन फिर भी पर्याप्त मजबूत और टिकाऊ होता है। यही वजह है कि ट्रांसपोर्ट, पैकिंग और स्टोरेज में इसे प्राथमिकता दी जाती है।

3. पानी व गैस रोधक:

प्लास्टिक से बनी पैकिंग सामग्री हवा और नमी को अंदर नहीं जाने देती, जिससे खाद्य सामग्री अधिक समय तक सुरक्षित रहती है।

4. लचीला उपयोग:

प्लास्टिक से विभिन्न आकार, रंग और प्रकार के उत्पाद बनाए जा सकते हैं — जैसे बोतलें, पाइप, फर्नीचर, खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक केसिंग आदि।

5. नवीनीकरण योग्य (कुछ प्रकार):

पॉलीथीन, PET जैसी कुछ प्रकार की प्लास्टिक को रिसाइकिल किया जा सकता है और नए उत्पादों में बदला जा सकता है, जिससे संसाधनों की बचत होती है।

इन फायदों के बावजूद, प्लास्टिक का अनियंत्रित और लापरवाह उपयोग, विशेषकर सिंगल-यूज़ प्लास्टिक, हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन गया है। इसलिए इसका संतुलित और जागरूक उपयोग अत्यंत आवश्यक है।

प्लास्टिक के नुकसान

  1. प्राकृतिक पर्यावरण को हानि: प्लास्टिक सड़ता नहीं है और समुद्र, नदियों और जंगलों को प्रदूषित करता है।
  2. जानवरों की मौत: समुद्री जीव, गाय-बकरियाँ आदि प्लास्टिक खा लेते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है।
  3. भूमिगत जल प्रदूषण: प्लास्टिक में रिसते रसायन भूजल में मिलते हैं।
  4. वातावरणीय प्रदूषण: प्लास्टिक के जलने से जहरीली गैसें निकलती हैं।
  5. मानव शरीर में प्रवेश: माइक्रोप्लास्टिक के ज़रिए यह हमारे शरीर में प्रवेश कर रहा है।

प्लास्टिक से जुड़ी प्रमुख बीमारियाँ

प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग और इससे निकले रसायनों के संपर्क में आने से मानव शरीर पर गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। खासकर जब हम प्लास्टिक से बने बर्तनों में गर्म खाना रखते हैं, प्लास्टिक की बोतलों में पानी पीते हैं, या माइक्रोप्लास्टिक युक्त खाद्य-पदार्थों का सेवन करते हैं, तो यह धीरे-धीरे हमारे शरीर में विष के रूप में जमा हो जाता है। नीचे कुछ प्रमुख बीमारियाँ दी गई हैं जो प्लास्टिक के संपर्क से जुड़ी मानी जाती हैं:

1. थायरॉइड गड़बड़ी:

प्लास्टिक में मौजूद BPA जैसे रसायन शरीर के हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकते हैं, जिससे थायरॉइड ग्रंथि की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है।

2. बांझपन (Infertility):

फथैलेट्स और BPA जैसे रसायन प्रजनन प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रजनन क्षमता घट सकती है।

3. लिवर रोग:

प्लास्टिक के जहरीले तत्व लिवर में सूजन और विषाक्तता (toxicity) पैदा कर सकते हैं, जिससे समय के साथ लिवर की कार्यक्षमता घट जाती है।

4. कैंसर:

विशेष रूप से ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर से प्लास्टिक रसायनों का संबंध पाया गया है। लंबे समय तक इन रसायनों के संपर्क में रहना कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है।

5. हार्मोनल बदलाव:

प्लास्टिक के कई यौगिक ‘एंडोक्राइन डिसरप्टर्स’ कहलाते हैं, जो हार्मोन के सिग्नल को बाधित करते हैं। इससे पीरियड्स, मूड, नींद और ऊर्जा पर असर पड़ सकता है।

6. मोटापा और मधुमेह:

प्लास्टिक में मौजूद कुछ यौगिक इंसुलिन रेजिस्टेंस और फैट सेल्स को बढ़ावा देते हैं, जिससे मोटापा और टाइप-2 डायबिटीज़ की संभावना बढ़ती है।

7. बच्चों में मानसिक विकास की समस्या:

गर्भवती महिलाओं के शरीर में प्लास्टिक रसायनों की उपस्थिति नवजात शिशुओं के मस्तिष्क विकास पर असर डाल सकती है। इससे बच्चों में व्यवहार संबंधी समस्याएँ, एकाग्रता की कमी और सीखने में कठिनाई हो सकती है।

इन सभी कारणों से यह स्पष्ट है कि प्लास्टिक के लगातार संपर्क से हमारी सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए जागरूकता और सावधानी बेहद आवश्यक है।

क्या प्लास्टिक की बोतलों में पानी पीना सुरक्षित है?

प्लास्टिक की बोतलों में पानी पीना आम है, लेकिन यह पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होता — खासकर तब, जब बोतल को बार-बार उपयोग में लाया जाए या लंबे समय तक धूप या गर्मी में रखा जाए।

PET 1 (पॉलीइथिलीन टेरेफ्थेलेट):

यह सबसे आम प्लास्टिक है जो पानी, कोल्ड ड्रिंक्स और जूस की बोतलों में इस्तेमाल होता है। यह बोतलें सिर्फ एक बार इस्तेमाल के लिए बनाई जाती हैं। बार-बार इन्हें रिफिल करने से इनमें बैक्टीरिया पनप सकते हैं और BPA जैसे रसायन रिसने लगते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।

HDPE 2 (हाई डेंसिटी पॉलीइथिलीन):

यह थोड़ी मजबूत और सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन फिर भी यह भी सीमित बार उपयोग के लिए होती है। लंबे समय तक इसका इस्तेमाल करने पर इसमें भी रासायनिक बदलाव हो सकते हैं, खासकर यदि इसे धूप या गर्म वातावरण में रखा जाए।

संभावित खतरे:

  • बैक्टीरिया संक्रमण
  • हार्मोनल असंतुलन (BPA के कारण)
  • पेट की बीमारियाँ
  • कैंसर का खतरा (लंबे समय में)

इसलिए, बेहतर विकल्प हैं:

  • स्टील या कॉपर की बोतलें
  • ग्लास की बोतलें
  • BPA-free और फूड-ग्रेड प्लास्टिक बोतलें (सीमित उपयोग के लिए)

संक्षेप में कहें तो, प्लास्टिक बोतल से पानी पीना एक बार के लिए ठीक है, लेकिन बार-बार उपयोग और खराब रखरखाव से यह आपकी सेहत के लिए खतरा बन सकता है।

माइक्रोप्लास्टिक की चुनौती

माइक्रोप्लास्टिक वे बेहद छोटे-छोटे प्लास्टिक कण होते हैं जो 5 मिलीमीटर से भी छोटे होते हैं। ये कण तब बनते हैं जब बड़े प्लास्टिक उत्पाद समय के साथ टूटते हैं, या फिर कुछ उत्पाद जैसे टूथपेस्ट, स्क्रबिंग क्रीम, और कॉस्मेटिक आइटम्स में पहले से ही इनका इस्तेमाल किया जाता है।

एक 2020 के अध्ययन के अनुसार, एक औसत व्यक्ति हर हफ्ते लगभग 5 ग्राम माइक्रोप्लास्टिक निगल रहा है, जो लगभग एक क्रेडिट कार्ड के वजन के बराबर है। यह भयावह आंकड़ा यह दर्शाता है कि प्लास्टिक अब केवल पर्यावरण की समस्या नहीं रही, बल्कि यह मानव स्वास्थ्य के लिए भी प्रत्यक्ष खतरा बन चुकी है।

माइक्रोप्लास्टिक हमारे शरीर में भोजन, पानी, हवा, और यहां तक कि नमक के माध्यम से भी प्रवेश कर सकता है। एक बार जब यह शरीर में घुस जाता है, तो यह आंतों, फेफड़ों, लीवर और यहां तक कि मस्तिष्क तक में जमा हो सकता है। इससे सूजन, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, हार्मोनल असंतुलन, और कोशिका क्षति जैसे दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव हो सकते हैं।

सबसे चिंताजनक बात यह है कि अभी वैज्ञानिक भी पूरी तरह नहीं समझ पाए हैं कि माइक्रोप्लास्टिक का दीर्घकालिक असर कितना व्यापक हो सकता है। लेकिन जो संकेत मिल रहे हैं, वे निश्चित रूप से गंभीर चिंता का विषय हैं।

इसलिए, प्लास्टिक का उपयोग कम करना, पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को अपनाना, और साफ-सुथरे भोजन और पानी के स्रोत चुनना आज की आवश्यकता बन गई है।

प्लास्टिक से बचाव के उपाय

हमारे जीवन में प्लास्टिक का उपयोग बढ़ने के साथ ही इसके नकारात्मक प्रभाव भी बढ़ रहे हैं। प्लास्टिक से बचने के लिए हमें कुछ सरल और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। यहाँ कुछ उपाय दिए गए हैं, जिन्हें अपनाकर हम प्लास्टिक के खतरे से बच सकते हैं:

1. स्टील, कांच, तांबा आदि के बर्तनों का प्रयोग करें

प्लास्टिक के बर्तनों की जगह, स्टील, कांच या तांबे के बर्तन अधिक सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। ये लंबे समय तक चलने वाले होते हैं और रासायनिक रिसाव से भी मुक्त रहते हैं।

2. खाने-पीने की चीजें प्लास्टिक में स्टोर न करें

प्लास्टिक की पैकिंग के बजाय कांच के बर्तनों, स्टील के डिब्बों या कपड़ों के बैग्स में खाने-पीने की चीजें रखें। यह न केवल स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा भी करता है।

3. प्लास्टिक की बोतलें दोबारा उपयोग न करें

प्लास्टिक की बोतलों में लंबे समय तक पानी भरकर पीना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इसमें बैक्टीरिया और रसायन पनप सकते हैं। बेहतर होगा कि आप स्टील या कांच की बोतल का उपयोग करें, जो पुनः उपयोग योग्य हों।

4. प्लास्टिक की थैलियों की जगह कपड़े के थैले प्रयोग करें

प्लास्टिक की थैलियों की जगह कपड़े या जूट के थैले का इस्तेमाल करें। यह न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर है, बल्कि आपके सामान को सुरक्षित रखने में भी मदद करता है।

5. जितना हो सके रिसाइकिल करें या बायोडिग्रेडेबल विकल्प चुनें

प्लास्टिक उत्पादों को रिसायकल करें और बायोडिग्रेडेबल (जो प्राकृतिक रूप से नष्ट हो सकें) विकल्पों का चयन करें। इससे प्लास्टिक कचरे में कमी आती है और पर्यावरण पर कम दबाव पड़ता है।

इन सरल उपायों को अपनाकर हम प्लास्टिक के उपयोग को नियंत्रित कर सकते हैं और अपने आसपास के पर्यावरण को साफ और सुरक्षित बना सकते हैं।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम

प्लास्टिक प्रदूषण की गंभीरता को समझते हुए भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, खासकर एकल-उपयोग प्लास्टिक (Single-use plastic) के खिलाफ। इसका उद्देश्य पर्यावरण को सुरक्षित रखना और जनस्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम करना है।

1. 2022 से सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध

1 जुलाई 2022 से भारत सरकार ने कई सिंगल-यूज़ प्लास्टिक उत्पादों के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर कानूनी प्रतिबंध लगा दिया। इसमें निम्नलिखित उत्पाद शामिल हैं:

  • प्लास्टिक की स्ट्रॉ

  • प्लास्टिक कप और प्लेट

  • प्लास्टिक कटलरी (चम्मच, कांटा आदि)

  • थर्माकोल की डेकोरेशन आइटम्स

  • प्लास्टिक स्टिक (ईयरबड्स, गुब्बारों की डंडी आदि)

2. EPR (Extended Producer Responsibility)

सरकार ने कंपनियों को यह जिम्मेदारी दी है कि वे अपने द्वारा बनाए गए प्लास्टिक उत्पादों का संग्रहण और रीसायक्लिंग सुनिश्चित करें। इसके लिए EPR नीति लागू की गई है, जिसमें उत्पादक, आयातक और ब्रांड मालिकों को अपने उत्पादों का ट्रैक रखना होता है।

3. ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत जागरूकता

प्लास्टिक प्रदूषण को लेकर आम लोगों को शिक्षित करने के लिए विभिन्न राज्यों और नगर निगमों में स्वच्छता अभियान, रैली, और प्लास्टिक मुक्त कैंपेन चलाए गए हैं।

4. वैकल्पिक सामग्रियों को बढ़ावा

सरकार ने बायोडिग्रेडेबल और पुन: प्रयोज्य (reusable) विकल्पों जैसे कागज, कपड़े और जूट से बने उत्पादों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया है।

5. राज्य और नगर स्तर पर कड़े नियम

कई राज्यों ने पॉलीथीन बैग और थिन प्लास्टिक कैरी बैग्स पर अतिरिक्त रोक लगाई है और उनके उपयोग पर जुर्माना भी तय किया है।

इन पहलों का उद्देश्य केवल प्लास्टिक कचरे को कम करना नहीं है, बल्कि आम नागरिकों को इस दिशा में सोचने और व्यवहार बदलने के लिए प्रेरित करना भी है। हालांकि इन नियमों की सख्त निगरानी और पालन अब भी एक चुनौती बनी हुई है।

प्लास्टिक के विकल्प

प्लास्टिक उत्पादबेहतर विकल्प
प्लास्टिक बोतलस्टील / कांच बोतल
पॉलीथीन बैगजूट / कपड़े का बैग
थर्मोकोल प्लेटपत्तल / कागज की प्लेट
प्लास्टिक स्ट्रॉबांस / स्टील स्ट्रॉ
प्लास्टिक कंटेनरटिफिन स्टील / कांच के

निष्कर्ष

प्लास्टिक ने निस्संदेह हमारे जीवन को सुविधाजनक बनाया है — चाहे वह खाने की पैकिंग हो, पानी की बोतलें, या रोज़मर्रा की वस्तुएं। लेकिन इसी सुविधा ने हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए एक धीमा ज़हर भी तैयार किया है। माइक्रोप्लास्टिक हमारे शरीर में पहुंचकर गंभीर बीमारियों का कारण बन रहा है, और प्लास्टिक कचरे से मिट्टी, जल, और वायु सभी दूषित हो रहे हैं। यह समस्या अब केवल व्यक्तिगत नहीं रही, बल्कि वैश्विक संकट बन चुकी है। यदि हम आज ही प्लास्टिक का उपयोग कम नहीं करेंगे, तो हमारी अगली पीढ़ियों को इसका भयावह परिणाम भुगतना पड़ेगा। समय की मांग है कि हम प्लास्टिक के विकल्पों की ओर कदम बढ़ाएं और एक स्वस्थ व स्वच्छ भविष्य की नींव रखें।

संदेश:
“प्लास्टिक से छुटकारा पाना एक व्यक्ति की नहीं, पूरे समाज की जिम्मेदारी है।”

Spread the love